छत्तीसगढ़ के रायगढ़ ज़िले में एक महिला ने भगवान शंकर के मंदिर में अपनी जीभ काटकर चढ़ा दी। और उसने मंदिर का दरवाजा भीतर से बंद कर अपने आपको अंदर कैद कर लिया है। गाँव के लोग मंदिर के बाहर इकट्ठा होकर उसकी सलामती की दुआ कर रहे हैं, अब बताईए इसे क्या कहा जाए! भक्ति, पागलपन या अंधविश्वास।
सरकार अंधविश्वास और कुरीतियाँ हटाने के लिए अभियान चलाने के लाख दावे कर रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास और कुरीतियों का काफी बोलबाला है। यहाँ आज भी गाँवों में बच्चों के बीमार होने या किसी की मौत होने पर किसी भी महिला पर आसानी से टोनही होने का आरोप जड़ दिया जाता है। कई बार आपसी झगड़ों का बदला इन सब बातों में निकाला जाता है।
अब रायगढ़ ज़िले के ग्राम चपले की महिला सरिता पटेल को ही ले लीजिए। उसने अपनी जीभ काटकर शिव मंदिर में चढ़ा दी है।पति नरोत्ताम कुमार पटेल, सरपंच रतऊ सिंह समेत गाँव के लोग बाहर बैठे हैं। अब सरिता जो पूछा जाए उसका जवाब लिखकर देती है और उसने अपने आपको मंदिर में कैद कर रखा है। उसकी हालत बिगड़ न जाए इसलिए गाँव वाले पूजा पाठ कर रहे हैं, दुआ कर रहे हैं मगर सरिता पर इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है।
सरिता 2 बच्चों की माँ है और उसने गाँव वालों को अपने आसपास आने से मना कर दिया है। उसकी बात को मानकर सरपंच और अन्य प्रभावशाली लोगों को मंदिर के बाहर ही रोककर रख रहे हैं। लोगों की भीड़ मंदिर के बाहर खड़ी है। प्रशासन तक भी ख़बर पहुँच गई है मगर अभी तक गाँव में प्रशासन का कोई भी प्रतिनिधि नहीं पहुँचा है।
अब इसे क्या कहा जा सकता है ? 2 बच्चों की माँ सरिता ने जीभ क्यों काटी वो बता नहीं रही है। घर वाले कहते हैं कि मन्नत होगी ? ये कैसी मन्नत है जिसमें खुद की जान खतरे में पड़ जाए ? इसको अगर भक्ति कहते हैं तो फिर अंधविश्वास क्या है ? और अगर ये अंधविश्वास है तो फिर पागलपन क्या है ?
सरकार अंधविश्वास और कुरीतियाँ हटाने के लिए अभियान चलाने के लाख दावे कर रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास और कुरीतियों का काफी बोलबाला है। यहाँ आज भी गाँवों में बच्चों के बीमार होने या किसी की मौत होने पर किसी भी महिला पर आसानी से टोनही होने का आरोप जड़ दिया जाता है। कई बार आपसी झगड़ों का बदला इन सब बातों में निकाला जाता है।
अब रायगढ़ ज़िले के ग्राम चपले की महिला सरिता पटेल को ही ले लीजिए। उसने अपनी जीभ काटकर शिव मंदिर में चढ़ा दी है।पति नरोत्ताम कुमार पटेल, सरपंच रतऊ सिंह समेत गाँव के लोग बाहर बैठे हैं। अब सरिता जो पूछा जाए उसका जवाब लिखकर देती है और उसने अपने आपको मंदिर में कैद कर रखा है। उसकी हालत बिगड़ न जाए इसलिए गाँव वाले पूजा पाठ कर रहे हैं, दुआ कर रहे हैं मगर सरिता पर इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है।
सरिता 2 बच्चों की माँ है और उसने गाँव वालों को अपने आसपास आने से मना कर दिया है। उसकी बात को मानकर सरपंच और अन्य प्रभावशाली लोगों को मंदिर के बाहर ही रोककर रख रहे हैं। लोगों की भीड़ मंदिर के बाहर खड़ी है। प्रशासन तक भी ख़बर पहुँच गई है मगर अभी तक गाँव में प्रशासन का कोई भी प्रतिनिधि नहीं पहुँचा है।
अब इसे क्या कहा जा सकता है ? 2 बच्चों की माँ सरिता ने जीभ क्यों काटी वो बता नहीं रही है। घर वाले कहते हैं कि मन्नत होगी ? ये कैसी मन्नत है जिसमें खुद की जान खतरे में पड़ जाए ? इसको अगर भक्ति कहते हैं तो फिर अंधविश्वास क्या है ? और अगर ये अंधविश्वास है तो फिर पागलपन क्या है ?
9 comments:
बेचारी। मनोवैज्ञानिक बीमार है।
andhvishvaas ......kora andhvishvaas...
अनिल जी,
पागलपन, भक्ति, श्रद्धा या अंधविश्वास - नाम चाहे जो भी हो - यह प्रवृत्ति है बहुत दुखद और हानिप्रद. आप क्या सोचते हैं - किस तरह से इसके दुष्प्रभावों के बारे में लोगों में जागृति पैदा की जा सकती है?
भाई अनिल जी अब क्या बताएं ? हमको तो अंधविश्वास ही लग रहा है !
और शायद अनपढ़ होना इसका एक अन्य कारण है ! अभी शायद आपने
पिछले हफ्ते ही टोनही की एक ख़बर दी थी ! और आज ये वीभत्स ख़बर !
कैसे रियक्ट करे ? बहुत मुश्किल लग रहा है ! कल्पना से ही आत्मा काँप
रही है !
यह एक मानसिक उन्माद है,गाव का होने के नाते इन उन्मादो को मैने सामने देखा है,निश्चय ही गाव का एक बडा हिस्सा इस दंश से पिडित है॥
यह एक मानसिक उन्माद है,गाव का होने के नाते इन उन्मादो को मैने सामने देखा है,निश्चय ही गाव का एक बडा हिस्सा इस दंश से पिडित है॥
एक पागल पन भरा अंधविश्वास !!!
अब घुमे गुंगी बन कर
आपकी प्रस्तुति एवं तदपश्च्यात टिप्पणियों में विर्मश को पढने के बाद लगता है कि आपके पोस्ट में प्रकाशन के दूसरे दिन ही आना चाहिये ताकि भरपूर मानसिक विटामिन मिल सके ।
आभार
"oh god i am shocked to read this, aisa bhee hotta hai andhvishwas mey"
Regards
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