छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गणपति विसर्जन मंगलवार की रात को होगा। कारण कोई पौराणिक, ऐतिहासिक या धार्मिक नहीं है बल्कि व्यवहारिक है। गणपति विसर्जन के समय निकलने वाली झाँकियाँ रायपुर में नहीं बनती इसलिए उसे पड़ोस के ज़िले राजनांदगांव में गणपति विसर्जन के बाद खरीदकर रायपुर लाया जाता है। उन झाँकियों के आने के बाद ही यहाँ विसर्जन होता है, अब चाहे वो पितृपक्ष में क्यों न हो ?
हालाकि विसर्जन के नाम पर अनंत चतुदर्शी को स्थापित प्रतिमा को विसर्जन के मंत्रों के साथ थोड़ा हिला दिया जाता है और उसका विसर्जन मान लिया जाता है। प्रतिमा को फिर शेष बची मिट्टी ही माना जाता है और उसे इसलिए पितृपक्ष में विसर्जित करने में परहेज नहीं किया जाता है। अब इस तर्क को बहुत से लोग खारिज कर सकते हैं लेकिन छत्ताीसगढ़ के सिर्फ रायपुर शहर में इसे परंपरा के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।
विसर्जन पितृपक्ष में होना चाहिए या नहीं इस पर लंबी बहस हो सकती है लेकिन सिर्फ व्यवहारिक दिक्कतों से बचने के लिए हुई शुरूआत अब राजधानी रायपुर में स्थापित हो चुकी है। राजनांदगांव में विसर्जन के बाद वहाँ निकली शोभायात्रा या झाँकियों को राजधानीवासी खरीद लेते हैं और उसे रायपुर लाकर यहाँ शोभायात्रा या झाँकी निकालकर गणेश का विसर्जन करते हैं।
राजधानी रायपुर में आज मंगलवार की रात को गणपति विसर्जन होगा। संभवत: देश में आज सिर्फ रायपुर में ही गणपति विसर्जन होगा। इसे अनूठा कह लीजिए या अजूबा कोई खास फर्क नहीं पड़ता। और पितृपक्ष में विसर्जन के लिए तर्क तो पहले ही बता दिया गया है। है न छत्ताीसगढ़ कमाल का प्रदेश! वैसे इसे नहीं जानने वालों के लिए बता दू कि ये माता कौशल्या का मायका यानि दक्षिण कौशल कहलाता था।
10 comments:
भाई इस बारे मे हम कोरे हे, धन्यवाद जानकारी देने के लिये
आभार इस जानकारी के लिए.
Something strange but very new info. Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
"thanks for sharing about such wonderful ocassion, very interesting to read"
Regards
अनिल जी आपने एक नई जानकारी दी है ! अब ठीक है अपनी २
परमपराओं को मानने में, जब तक व्यवहारिक दिक्कत नही हो
तो क्या हरकत है ? इस जान कारी के लिए आपको धन्यवाद !
padhkar achcha laga, jaankari rochak hai.
रायपुर मे गणपति विसर्जन होते तो कितनी बार देखा है मगर यह जानकारी पहली बार हाथ लगी !अच्छी खबर सुनाइ आपने !!
बहुत सुविधानुसार एकॉमडेटिव धर्म है हिन्दू-धर्म! :-)
रीतियों को अपनी सहूलियत से मोड़ना कोई हिन्दू धर्म से सीखे!
अच्छा है, लगे हाथ पितरों का आशीर्वाद भी मिल जाता है.
jankari ke liye aabhar.
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