Sunday, February 15, 2009

अगर मेरा भाई होता तो भी नही बुलाती उसको

हम लोगो की बहसबाज़ी धीरे-धीरे उसकी सुंदरता की व्याख्या मे बदल गई।सब एक से बढकर एक उपमाए देने लगे थे उसको।वो थी भी उस तारीफ़ की हक़दार।इस बीच वो बाहर निकली और ऐसा लगा की स्माईल देते हुए आगे निकल गई।बाद मे पता लगा कि वो थी हंसता हुआ नूरानी चेहरा।

अब सब उसका पीछे चलने की ज़िद करने लगे लेकिन मै अड़ गया,अपने डिपार्टमेंट जाने के लिए।सब मन मार कर मेरे साथ चलने लगे।महौल थोड़ा सीरियस होने लगा तो मैने पूछा कि क्या बात है,सब खामोश क्यो हो गए?सब बोले तेरे कारण तो है।पता नही कहां होगी।मै बोला अबे किस्मत मे होगी तो फ़िर आएगी साईंस कालेज,फ़िर तुम लोग तो सब उसको छोड़ चुके हो।सब चिल्लाए कौन बोला?अबे अभी तो तुम लोग उसको भाभी की नज़र से देखने की बात कर रहे थे?वो लोग बोला भैया कौन है?मै खमोश था बाकी सब लड़ने-झगड़ने लगे और दिन महिने के हिसाब से उम्र मे छोटा-बड़ा होने का क्लेम होने लगा?नौबत एक दूसरे की डेट आफ़ बर्थ को फ़र्ज़ी करार देने तक़ आ गई।

मैं बोला बहुत ही कमीने हो बे तुम लोग।साले दो मिनट पहले क्या कर रहे थे,वो भी भूल गये।सब बोले याद है,तू बनेगा क्या भैया?मै बोला नही।तो फ़िर अपनी चोंच बंद रख ये हमारे फ़्यूचर का सवाल है।फ़िर सब एक-दुसरे के पुराने लफ़ड़े से लेकर छोटा बड़ा हर मामला सामने लाने लगे।ऐसा लगा कि चुनाव आ गया।सारे उम्मीदवार एक दुसरे की जन्म-कुण्डली खोलने लग गए थे।सब लड़ते-झगड़ते रहे कालेज मे उस दिन और बाद मे घर की ओर रवाना हुए।

दूसरे दिन सब बस स्टाप पहूंचे तो,कुछ जूनियर बस की खिड़की से सिर निकालकर चिल्लाए ,भैया भाभी आई है।अंदर हंसी का फ़व्वारा छूटा जिसकी फ़ुहार बाहर तक़ पडी।सब-के सब बस मे सवार हुए और एक बार फ़िर हंसी-ठिठोली करते सब कालेज पहुंचे।उस दिन वो कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही थी और कंमेण्ट्स के लिए भी तैयार नज़र आई।वो ज़रा भी नर्वस नही लगी,बल्कि उस्के चेहरे पर गज़ब का आत्मविश्वास नज़र आया।वो पहले दिन की तुलना मे कुछ ज्यादा ही बन-ठन कर आई थी।हम लोगो के अच्छे कंमेंट पर बाकायदा मुस्कुरा कर अपना जवाब भी देती रही।उसके साथ की स्टेपनी कंडिल ज़रूर उसकी मुस्कुराहट पर कुढ्ती रही और उसका खामियाजा हम लोगो के कमेण्ट्स का निशाना बन कर उसने भुगता भी। खैर सब कालेज पहुंचे और कुछ घण्टे वहां हंसी-ठट्ठे मे गुज़ार कर वापस लौट गए।

ऐसा कुछ दिनो तक़ चलता रहा।एक दिन मै थोड़ा देर से कालेज पहुंचा।कालेज मे छोटू उर्फ़ नीरज मिला।वो बोला सब कमीने बस मे सवार होकर निकले है,शायद वो बस मे नही आई है।इसलिये उस के स्टाप तक़ जाकर चेक़ करने गए है।हम दोनो कालेज के अंदर जा ही रहे थे की अंदर से उसे लूना पर सवार आते देखा।उसके साथ स्टेपनी वो कंडिल भी लटकी हुई थी। नीरज इन मामलो का एक्स्पर्ट भी कहलाता था।जैसे वो बगल से निकली,मुस्कुराई,और आगे निकल गई।थोड़ा आगे जाकर कण्डिल पलटी और उसकी लूना दूर होती गई।छोटू बोला चल गुरू हंसी तो फ़ंसी।मै बोला भग बे मेरा कोई इंट्रेस्ट नही है,वो बोला मेरा भी उसमे इंट्रेस्ट नही है,वो तू ले-ले मुझे तो वो कण्डिल जम गई।कंपिटिशन भी कम है और प्रोबेबिलीटी ज्यादा।

छोटू ने बगल से गुज़र रहे लड़के को रोका बोला दो मिनट तेरा स्कूटर दे,भैया की लाईफ़ का सवाल है,और उसने स्कूटर पर मुझे पिछे बिठाया और निकल पड़ा हवा की रफ़्तार से।मै बोला अबे छोटू लफ़ड़ा करवाएगा साले।वो बोला बस तू चुप रहना,बाकी मुझ पर छोड़ दे।मै मन ही मन हनुमान चालीसा रटने लगा।कुछ ही पल मे छोटू का स्कूटर उसकी लूना की बगल मे था।एक तो छोटू स्कूटर खूब तेज चला रहा था और शायद वो लूना कुछ ज्यादा ही धीरे चला रही थी।छोटू ने छूटते ही कहा है हाय्।उसने देखा और मुस्कुरा कर सीधा देखने लगी।मैने छोटू को पीछे से चिमटा।वो पलट कर बोला क्या चिमट रहा है बे।बड़ा बहादुर बनता है एक लड़की से साले बात नही कर सकता।दूसरो को बोलता है और जब दूसरे बात करते है।तो साले डरता है।वो खिल-खिलाकर हस पड़ी शायद पहली बार मै निशाना बना था।मेरा खून खौल गया इससे पहले मै उससे बोलता साले मैने कब कहा,उसने कहा अब बता दो मैडम को शरीफ़ बनने के लिये की मैने कुछ नही कहा सब इसकी करामात है।वो फ़िर खिलखिलाकर हंसी ,शायद पिछली बार से ज्यादा।मैने सफ़ाई देने की कोशिश की तो उसने कहा हमने आपके दोस्त की बात सुन ली है।

इतना सुनते ही छोटू बोला लडाई-झगडा छोडो चलो यही पास मे मेरा घर है,साथ मे चाय पी लेते हैं।वो तैयार हो गई मगर प्यार की दुश्मन,बिंदू,हेलेन या फ़रियाल कि तरह उस कण्डिल ने खलनायिका का रोल अदा किया और बोली,पहले मुझे तू घर छोड दे,बाद मे चाहे जो करना।वो मुस्कुरा कर छोटू से बोली सारी फ़िर कभी पी लेंगे,चाय ड्यू रही मेरी फ़्रेंड को घर जाना है।मै तत्काल बोला ठीक है ठीक है।उसे पहली बार मौका मिला था और उसने उसे खराब नही किया।वो फ़ट से बोली मै आपसे नही आपके दोस्त से बात कर रही हूं।उसने छोटू से कहा बाय्।मेरी तो सांवली सुरत्तिया गुस्से से लाल हो गई।शायद उसे मुझे चिढाने मज़ा आ रहा था।उसने छोटू से कहा बाय और लूना का एक्सिलरेटर मरोड दिया।उसकी बकरी लूना हवा से बात करने लगी थी।मुझे ऐसा लगा वो एक्सिलरेटर नही एंठ रही है मेरा कान मरोड़ रही है।मैने नीरज को जी भर कर गालिया दी।वो बोला गुरू तुम नही स्मझोगे।वो मुझे नही तुझे बाय कर गई है,एक बात और सुन ले बेटा मै तेरे लिये फ़िल्डिंग कर रहा हूं काम होते ही भूल मत जाना कण्डिल के लिये मेरी फ़िल्डिंग करना। हम दोनो वापस लौटने लगे मै छोटू से बोला भाई किसी को बताना मत,वरना बात फ़ैल जायेगी।छोटू बोला मूर्ख समझ लिया है क्या बे।मगर छोटू बात पचा नही पाया ,दुसरे दिन बात फ़ैल गई थी,कुछ खुश थे तो कुछ जल-भुन गये थे,उन लोगो ने वो कर दिया जो नही करना था वरना हो सकता है भाटिया जी का कमेण्ट सच साबित हो जाता।मै बजरंगबली का भक़्त नही रहता और हो सकता है इतनी पोस्ट लिख भी नही पाता,क्यो ये तो भाटिया जी ही बता पाएंगे,मगर मै आपको अगली बार बता दुंगा आखिर हुआ क्या था।

15 comments:

Anonymous said...

majaa aa gaya sir, waah. luna-lambretta ke jamane me le gaye.

Arvind Mishra said...

यह तो कोई फिल्म की पटकथा लगे है -बेहद आकर्षक !

संकेत पाठक... said...

अनिल जी,
मजा आ गया, आपकी छोटी सी लव स्टोरी पढ़कर..आगे क्या हुआ इंतज़ार रहेगा...

योगेन्द्र मौदगिल said...

आपने गजब कर दिया. अगली कड़ी कितनी देर में..?

Smart Indian said...

जाने कहाँ गए वो दिन...

Udan Tashtari said...

आनन्द आ रहा है यह सिरीज पढ़ने का. कहाँ कहाँ की यादें आकर घेर लेती हैं. लूना तो हमने भी कितनी गलियों में घुमाई कि क्या कहें..जारी रहिये.

Shamikh Faraz said...

anil ji aik achhe article ke lie main aapko badhai dena chaunga.
agar waqt mile to mera blog bhi dekhiega.
www.salaamzindadili.blogspot.com

P.N. Subramanian said...

अरे जल्दी से बाताओ आगे क्या हुआ?

Alpana Verma said...

afsos!अब तो जग जाहिर हो गया यह किस्सा भी..खूब रही!
'botany में पी एच डी कर लेते तो ये हाल न होता!'
आगे /अगली बार क्या हुआ अंदाजा लगाना मुश्किल तो नहीं लेकिन आप के बताने का भी इंतज़ार रहेगा.

Puja Upadhyay said...

very interesting...ab to jaldi se aage ki kahani sunaiye, besabri se intezaar hai.

राज भाटिय़ा said...

अजी अगली बार तो जो होना है वो आप थोडे ही करो गे, दोस्तो ने कर दिया, वेसे एक बात पक्की है आप के दिल के किसी कोने मै, ओर उस लडकी के दिल मै भी कुछ कुछ होना शुरु हो गया था, लेकिन दोस्त जिन्दा वाद...
चलिये कल हम भी दो आंसू बहा लेगे आप की इस कहानी के अन्त मै, अब क्या कहे....
बस यह कहानी तो बहुत सुंदर लगी लेकिन जिस पर बिती बाकी वो ही जाने.
धन्यवाद

विष्णु बैरागी said...

अपने एक मित्र के साथ आपकी पोस्‍ट पढ रहा हूं। मित्र शिकायत कर रहा है कि उसके किस्‍से को आप अपने नाम से छाप रहे हैं।
गोया, कई-कई लोग अपने चेहरे देख रहे हैं आपके इस किस्‍से में।
कापी राइट करवा ही लीजिएगा।
मजा आ रहा हा।

Abhishek Ojha said...

आगे?

seema gupta said...

" very interesting love story to read..." and very happy to know about your sister's son "Ayush" .....convey my love and good luck to him as well"

Regards

Sanjeet Tripathi said...

waiting sir, agli kisht jaldi lao