ऐसे ही एक दिन संजीत त्रिपा्ठी को मैने फ़ोन किया और हाल-चाल पूछने के साथ ही संजीत सीधे ब्लोग के बारे मे बात करने लगा।उसने सीधे और सपाट शब्दो मे पूछा कि लिखोगे या नही बताओ। हमने भी साफ़-साफ़ कह दिया हम लिख कर दे रहे तुम पोस्ट कर दो।संजीत भी कम जीवट नही निकला।उसने कहा दो क्या पोस्ट करना है,लेकिन एक शर्त है आपको ज़ल्द से ज़ल्द लिखना सीखना पड़ेगा। हमने कहा क्यों डर गये,वो हंस कर बोला डर नही रहा हूं,कब तक़ मै आपके लेख पोस्ट करता रहूंगा।हमने कहा देखते हैं,और इस तरह 21 अप्रेल को हमको ब्लोग परिवार का सदस्य बनाया संजीत ने।शुरू मे अलाली सर चढ कर बोलती रही मगर बाद मे ब्लोग परिवार से धीरे-धीरे प्यार बढता चला गया।देखते-देखते एक साल बीत गया और पता भी नही चला!
ब्लोग परिवार का सदस्य बनाये रखने का पूरा-पूरा श्रेय संजीत को जाता है।संजीत की अनुपस्थिती मे दफ़्तर मे रिपोर्टर उत्त्म पान्डेय और टायपिस्ट शेखर अवधिया मेरा ब्लोग पोस्ट करने लगे,और संजीत की बार-बार की टोका-टाकी से तंग आकर मैने खुद लिखना और पोस्ट करना शुरू कर दिया। हालांकी अभी भी लिखने की स्पीड काफ़ी कम है मगर मेरे हिसाब से ठीक ही है।
शुरू मे सारे दोस्तो ने भी मेरी आदत और पहचान बन चुकी भागने की आदत को ध्यान मे रख कर बार-बार पूछा ये नया शौक कब तक़ चलेगा?शुक्र है भगवान का कि इस बार मेरे दोस्तों को नही मुझे बोलने का मौका मिला है।साल भर से लगातार ब्लोग परिवार से जुड़े रहने से मेरी भागने वाली ईमेज भी बदली है।सारे दोस्त भी मानने लगे है नही थोडा सुधरा ज़रूर हूं।
और इस सुधार का पूरा-पूरा श्रेय जाता है ब्लाग परिवार के हर सदस्य को। हर उस सदस्य को जिसने मुझे पढा,समझा और लगातार लिखने के लिये मेरा हौसला बढायां। न केवल हौसला बढाने वाले बल्कि उन लोगो को भी श्रेय जाता है जिन्होने समय-समय पर मेरी गल्तिया पकड़ी और उसे सुधारने के सुझाव दिये।इस बीच बहुत से नये रिश्ते बने।कुछ ब्लाग-भाईयों से बात हुई तो कुछ ब्लाग-भाईयोंसे मुलाकात भी हुई।सच बात करना एक सुखद अनुभव रहा तो मिलना अविस्मरणीय अनुभव बना।
बहुत कुछ तेजी से घटता चला गया ब्लाग परिवार का सदस्य बनने के बाद्।200 से ज्यादा पोस्ट लिख डाली और 15000 से ज्यादा पाठक संख्या हो गई।सबसे अच्छी बात तो ये है की मेरे जैसे अलाल और लापरवाह के पास इस एक साल का लिखने का लेखा-जोखा पूरा का पूरा मेरे ब्लोग पर मौजुद है।इससे पहले 20 साल की पत्रकारिता मे लिखे कालम रिपोर्ट आर्टिकल कुछ भी नही है मेरे पास्।ये अच्छा साधन है अपना लिखा जमा रखने का।
इस बीते एक साल मे जैसा प्यार आप लोगो से मुझे मिला,उससे थोड़ा ज्यादा आगे भी चाहूंगा।किसी एक का नाम लेना और बाकि सब को नाराज़ करने का मेरा कोई इरादा नही है।सभी ने मुझे बहुत प्यार दिया और मै सम्झता हुं मैने भी कभी दिखावा नही किया।वैसे भी मुझे यंहा सब कहते है जुबान बहुत कड़ुवी है मगर दिल का बहुत मीठा है।यंहा तो अधिकांश लोगों को बिना उल्टा-सीधा सुने खाना नही पचता मगर मैने ब्लाग परिवार मे कभी ऐसा किया नही है,शायद नया-नया रिश्ता है। आप लोगो से बने इस रिश्ते को किसी की नज़र न लगे,हमारा प्यार निरंतर बढता रहे।ब्लाग परिवार फ़लता-फ़ूलता रहे इसी शुभकामनाओं के साथ आप सभी का आभारी हूं।
33 comments:
आपका ब्लाग रोज बढे और फ़ुले-फ़ले !! अनिल जी अकसर ज्यादा कडवे कमेंट मैने ही आपको दिये है ।मगर यकिन मानीये इसके पीछे कारण यही है कि मै आपको ज्यादा जिम्मेदार और मैच्यॊर आदमी मानता हुँ, जो कि छ्ग के सारे पत्रकारो का प्रतिनिधी है ,जो चिजो को खुले दिल से समझने के लिये और राजी होगा और मेरे कडवे कमेंट मे आपका मौन मेरी इस आशा को स्वयंसिद्ध कर देता है !!फ़िर भी यदि आपको मेरी कोई बात गलत लगी हो तो आपसे मै साधिकार माफ़ी का अधिकारी हुँ ।क्योकि ....क्षमा बडन को चाहिये छोटन को उत्पात ॥
आगे की बात फ़िर कभी ...मगर यह जरुर याद दिला दुँ कि मेरी टिप्पणी कि दिशा और दशा नही बदलने वाली ....... हा हा हा
वाह! बधाई!!
आने वाले वर्षों तक आपकी जुबान की कड़वाहट और दिल की मिठास बनी रहे।
सभी के प्यार के चलते, अब आप भागकर कहीं जाने की सोचियेगा भी नहीं।
किसी की नज़र ना लगे, इसलिए पार्टी वार्टी दे डालिए। आज आपके शहर में ही हूँ :-)
अनिल जी, सालगिरह की बधाई! आप यहाँ चिट्ठाजगत में पत्रकारों के साथ जनता के भी सच्चे प्रतिनिधि हैं। आप की उपस्थिति ने हिन्दी ब्लागजगत को सजाया है। अनेक विचारोत्तेजक आलेख आप ने दिए हैं। यह सच है, मिथ्या प्रशंसा नहीं है। आप की उपस्थिति से लगता है, एक सचाई के साथ खरी खरी कहने वाला व्यक्ति हमारे बीच मौजूद है।
बहुत बहुत बधाइयाँ। बस हमारे बीच बने रहिएगा। इसी तरह नियमित।
वृद्धों की स्थिति पहले से भी खराब है। जब कोई 75 साल का वृद्ध सड़क पर भीख मांगता दिखाई दे जाता है तो मुझे मेरे बुजुर्गों की याद आती है। दिल चाहता है घर ले चलूं। पर यह कब तक संभव है। इन के लिए एक सामाजिक घर की जरूरत है।
साल पूरा करने की बधाई।
सौ साल भी बीत जाएंगे यहां ... कुछ भी पता न चलेगा ... बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
बधाई अनिल भाई.
आप लिखते रहिये...आपमें
विषय चयन,प्रस्तुतीकरण और
प्रभाव तीनों का मेल है.ब्लाग अब
सशक्त माध्यम है...आप उसे समृद्ध
करते रहिये...यही कामना है.
==========================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
aap likhte rahie, ham padhte rahenge.
साल पूरा करने की बधाई।
regards
प्रिय अनिल
बहुत बहुत बधाइयाँ . पत्रकारिता की तरह ब्लॉग जगत में भी नई उचाइयां तुम्हारे कदम चूमे .
मैं भी एक अलग किस्म का अलाल हूँ . मुझे भी इस दुनिया में आने के लिए प्रेरित तुम्हीने किया .
इसमें आने के बाद एक नयी अनुभूति हुई . अपने विचारों को एक रूप देने से काफी सुकून मिलता है . मुझे तो लगता है इससे लोगों का तनाव भी काफी कम हो सकता है .
शुभकामनाओ सहित
पुनश्च : शाम को पार्टी वार्टी हो जाए पाबला जी भी शहर में हैं
हार्दिक अभिनन्दन ।
बधाई ..और आगे लिखने के लिए शुभकामनायें भी.विचारों में विरोध हो सकता है पर इससे हम परिपक्व ही होते हैं.
अनिल पुसदकरजी, पहले तो आपको एक साल पूरा करने पर बधाई। दूसरे इस पोस्ट के संदर्भ से अलग मेरे ब्लॉग पर विनायक सेन वाली पोस्ट पर आपकी टिप्पणी पर कुछ कहना चाहता हूं...
चलिए मान लेते हैं कि माओवादियों का रास्ता गलत है। लेकिन पक्ष तो आपको भी तय करना होगा कि आप ऐसी सामाजिक व्यवस्था के पक्ष में हैं या उसके खिलाफ जहां रोजाना पुलिस हिरासत में 4 लोगों को मार डाला जाता है, जहां हर साल 4,00,000 कामगार फैक्ट्रियों खदानों में काम करते हुए मारे जाते हों, जिस देश में रोजाना 6,000 बच्चे भूख और कुपोषण से अकाल मौत मारे जाते हैं। आपको बताना चाहिए कि इस देश में आप किसके साथ खड़े हैं - 75 फीसदी आम जनता के साथ या 25 फीसदी ऊपर के लोगों के साथ। ये 75 फीसदी लोग इस सामाजिक व्यवस्था से हताश हैं और एक न एक दिन इससे बेहतर व्यवस्था का रास्ता तलाश ही लेंगे। तय आपको करना है। वैसे हो सकता हो कि ये बातें आपपर कोई असर न करें। क्योंकि कई बार आदमी दिल से अच्छा सोचते हुए भी अपने आसपास के परिवेश, पद, ओहदे, मान-सम्मान की चिंता में उसके लोभ में सही बात को स्वीकारने से कतरा जाता है। दूसरे हर आदमी अपने वर्ग की सोच रखता है। जाहिरा तौर पर 75 फीसदी लोगों के सोचने के लिए उनसे जुड़कर धड़कता हुआ एक दिल होना लाजिमी है। बात स्पष्ट करनी थी इसलिए तीखी बात की है, उम्मीद है बात का मर्म समझेंगे, अन्यथा न लेंगे।
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।
अनिल जी, आपके पुराने आलेख भी मैंने पढ़े हैं,
और मैं यह कह सकता हूँ, कि एक वर्ष पूरा करने की अपेक्षा आपकी उपलब्धि एक अच्छे सहृदय निर्विवादित लेखक बने रहने की अधिक रही है !
और.. ऎसा ही बना रहे इन्हीं आकाँक्षाओं सहित
अमर
अभी तो शुरुआत हुई है.. सफ़र बहुत लम्बा है.. ऐसे तो हम आपको नहीं छोड़ने वाले.. बहुत बहुत बधाई..
वैसे सच कहा आपने.. ये अपना लिखा जमा करने का सबसे बढ़िया साधन है..
पुनःश्च :
कचोट बस यही है, कि "... will be visible after blog owner approval " के भय से टिप्पणियां कुछ कम ही कर पाया !
सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई..
बहुत बधाई आपको इस उपलब्धि के लिये. आपका सभी से प्रेम बना हुआ है ये आपकी व्यवहार कुशलता है, इसे बनाये रखिये. और सभी के प्रिय बने रहिये.
बहुत बहुत शुभकामनाएं अब आने वाले साल मे आंकडा ५०० के पार पहुंचना चाहिये.
रामराम.
चिट्ठा जगत में पूरे एक साल टिककर रहने के लिये बधाई! आशा है आपका "विकेट" सलामत रहे! :)
जमे रहिये जी ...कम्पूटर की सर्विस करवा ले .अभी बहुत इनिंग्स खेलनी है.....
एक साल पूरा करने की बधाई !
हम तो साथ-साथ चलते ही रहेंगे.
बहुत बहुत बधाईयां. इसी तरह से आगे भी आपका मार्गदर्शन सभी को मिलता रहे.
काफी ज्ञानवर्धक ब्लॉग है आपका। हमेशा कुछ न कुछ सीखता हूं।
एक साल का लिखने का लेखा-जोखा पूरा का पूरा मेरे ब्लोग पर मौजुद है।इससे पहले 20 साल की पत्रकारिता मे लिखे कालम रिपोर्ट आर्टिकल कुछ भी नही है मेरे पास्।
ये अच्छा साधन है अपना लिखा जमा रखने का।Lekin is ka duplicate blog bhi bana lijeeye Ashish ji ke blog par method hai.
kyonki yahan kabhi account hack ya disable ya kabhi galati se delte ho gaya..tab yahan wapas kuchh nahin milega..
apne ek saal ki is jamaa poonji ko save kar ke rakhiye..
--Ek saal poora karne par bahut bahut badhayee.blog regular likhtey rahna bhi badi himmat ka kaam hai.
aise hi aap ka blog unnati karta rahey--bahut bahut shubhkamnayen
सालगिरह पर बहुत बहुत बधाई..
B for Best
L for Lat
O for On
G for Govt. policies & G of society
ढ़ेरों बधाईयां अनील जी.....
आप यूं ही अनवरत लिखते रहें और और-और पैनी होती रहे आपकी लेखनी की धार
वाह! पता नहीं चला कि आपको ब्लॉग जगत पर आए एक साल पूरे हो गए।
भैया अपन टोका-टाकी नई करते तो आप एक साल खुद लिखते हुए पूरे कैसे करते।
हम तो चाहते थे कि आप खुद ही लिखें बस और लिखते रहें यहां।
आपने इस एक साल में इस ब्लॉग जगत में अपनी एक अलग ही पहचान कायम कर ली है।
शुभकामनाएं भैया, लिखते रहें आप सदा ऐसे ही।
अनिल जी, आप एक साल के हो गए. पहले जन्मदिन की बधाई. तो बताओ जन्मदिन का केक हमें कब खिला रहे हो?
भाई,
पहले साल की बधाई...
सच है, ब्लागजगत बहुत कुछ सिखाता है। आप सीख रहे हैं और कुबूल कर रहे हैं, ये बड़प्पन है आपका। इसमें कोई दो राय नहीं कि स्वीकार्यता का जो भाव वर्च्युअल वर्ल्ड में है वैसा वास्तविक जगत में भी हो, अधिकाधिक हो तो और आनंद आए।
बधाई, शुभकामनाएं...
बहुत बहुत बधाई आपको। अभी तो कारवां शुरू हुआ है आपका अभी तो लंबा चलना है आपको। आपने कभी कोई शायद ही मौका किसी को दिया हो कि वो आपके खिलाफ जाए।
ब्लॉगजगत में एक साल पूरा करने पर बधाई ....आप यूँ ही लिखते रहिये और हम पढ़ते रहेंगे
Post a Comment