राजधानी रायपुर से मात्र कुछ किलोमीटर दूर एक गांव के कुएं से लगभग बाईस सौ ज़िंदा कारतूस बरामद किये गये।ये कारतूस किसके हो सकते हैं इस पर विचार जारी है लेकिन बरामद कारतूसों मे 315 और 12 बोर के कारतूसो का भारी संख्या मे होना इस मामले को संवेदनशील बना देता है।इन कारतूसों का नक्सली ज्यादातर उप्योग करते हैं इसलिये पुलिस इस दिशा मे भी तफ़्तीश कर रही है।इससे पहले सरगुजा मे झारखण्ड से आ रहे एक ट्रक मे भरा गोला बारूद भी बरामद किया जा चुका है। हथियारो के जखिरे का बरामद होना छत्तीसगढ के लिये कतई अच्छा संकेत नही है।
नज़दीक के एक गांव दादर-पथर्रा के श्मशान के कुएं से पुलिस ने भारी 2177 ज़िंदा कारतूस बरामद किये।इतनी बडी मात्रा मे कारतूसो की बरामदगी ने पुलिस विभाग को सकते मे ला दिया।बरामद कारतूसो मे 478 एस एल आर के,1136 कारतूस 315 बोर के,12 बोर के 454, एके 47 के उन्तीस एक कट्टा ।दो पिस्टल और अलग-अलग बोर के बाकी कारतूस बरामद किये गये।दुर्ग ज़िले के एस पी दिपांशु काबरा ने मामले की गंभीरता को देखते हुये खुद मौके पर मौज़ुद रह कर तलाशी अभियान पूरा कराया।
इतनी बड़ी मात्रा मे ज़िंदा कारतूस किसके हो सकते हैं,ये बेहद महत्वपूर्ण सवाल है। छत्तीसगढ मे अपराध अभी इतना संगठित नही है किसी बड़े गिरोह पर इतनी बड़ी मात्रा मे हथियार छिपा कर रखने का शक़ किया जा सके। छत्तीसगढ मे हथियारो का भरपूर इस्तेमाल सिवाय नक्सलियों के कोई और नही करता,और जब्त कारतूसो मे उनके द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले 315 और 12 बोर के कारतूसो का बड़ी सख्या मे होना इस मामले मे उनकी संलिप्तता का संदेह और पुख्ता करता है।
कारतूस किसके है ये पता लगाना पुलिस का काम है मगर छतीसगढ जो कभी शांति का टापू हुआ करता था,वंहा इस तरह मौत के सामान का थोक मे मिलना अशुभ ही माना जायेगा।इससे पहले भी पूरा ट्रक भर कर गोला बारूद बरामद हो चुका है।वन्य औषधियों की खुश्बू वाले जंगलो मे अब बारूद की बदबू उड रही है।महुआ कब फ़लता है ये पता ही नही चलता हां मगर लैण्ड माईन्स के फ़टने के बाद चारो ओर इंसानी खून और बारूद की बदबू अब मादकता नही सिर्फ़ और सिर्फ़ आतंक फ़ैला रही है।पता नही किसकी बुरी नज़र लग गई है इस खूबसुरत प्रदेश को।
9 comments:
प्रशासन को हाई एलर्ट में रहना होगा . सारे वो रास्ते जाँच के दायरे में लाने पड़ेंगे जहां से संभावित रूट है
मानव अधिकार वाले तो इसे नक्सलियों पर बिला वजह इलज़ाम लगाने का आरोप थोप देंगे:)
किसी नेता वेता को पकड कर जुत्ता परेड करो सब पता चल जायेगा, या फ़िर जिस पर भी शक हो, जो भी गुंडा बदमाश सामने आये देखते ही दो चार को गोली मार दो...... फ़िर देखे केसे पनपता है यह रोग, इस की रोक थाम बस हिटलर शाही से ही हो सकती है.
गंभीर घटना है, इस की जाँच सही तरीके से होना चाहिए। इस से ऐसा लगता है कि किसी ने दबिश के मारे इस छिपी हुई सामग्री को यहाँ डिस्पोज किया है।
बधाई हो छत्तीसगढ़ वासियों को, हमारे उज्जैन से भी कुँए से AK-47 निकल चुकी हैं (मानवाधिकारवादियों के प्रातः स्मरणीय सोहराबुद्दीन की) तथा मन्दसौर में भी कई बार कुओं से तस्करी की अफ़ीम निकल चुकी है… इस हिसाब से छत्तीसगढ़ अभी बहुत पीछे लगता है… :)
यह बहुत ही खतरनाक संकेत है, नक्सलियों के शहरी संपर्क व नेटवर्क का यह नमूना है। यदि इसका पता व इस पर रोक तत्काल नहीं लगाया जाता तो परिस्थितियां गंभीर परिणामों की ओर संकेत कर रही हैं ।
प्रदेश के गृह मंत्री जी नें डेढ सालों में नक्सली खात्मे का ऐलान किया है, आगे आगे देखिये होता है क्या। भगवान उनकी जुबान को कायम रखे ।
गजब है अभी एक कुंए में मिला है और भी कुओं में हो सकते है . सरकार को सारे कुंए चैक करवाना चाहिए
"है।महुआ कब फ़लता है ये पता ही नही चलता हां मगर लैण्ड माईन्स के फ़टने के बाद चारो ओर इंसानी खून और बारूद की बदबू अब मादकता नही सिर्फ़ और सिर्फ़ आतंक फ़ैला रही है।पता नही किसकी बुरी नज़र लग गई है इस खूबसुरत प्रदेश को। "
सच कहते हैं आप...
जब आप यह लिख रहे थे लगभग उसी समय पश्चिम बंगाल के सारेन गाँव में माओवादी पुलिसकर्मियों की ह्त्या कर के असलाह लूट कर ले गए. कड़ी निगरानी की जितनी ज़रुरत है लगभग उतनी ही ज़रुरत पुलिस को अधिक सक्षम और योग्य बनाने की भी है ताकि पुलिस अपनी और निरीह जनता की रक्षा ठीक से कर सके.
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