Sunday, October 10, 2010

बच्चों को तक मार रहें हैं,महिलाओं को जीन्स पहनने से मना कर रहे हैं,क्या इसे ही कहते हैं अन्याय के खिलाफ़ संघर्ष?

बच्चों तक को मार रहें हैं,महिलाओं को जीन्स पहनने से मना कर रहे हैं,क्या इसे ही कहते हैं अन्याय के खिलाफ़ संघर्ष?जीं हां इस इलाके मे नक्सली यही सब कर रहे हैं और इसे वे अन्याय और व्यव्स्था के खिलाफ़ विचारधारा या सशस्त्र संघर्ष कहते हैं।अफ़सोस की बात तो ये है कि उनके इस सुर मे एक नही अनेकों बेसुरे बिना जाने-बूझे सुर मिला रहे हैं।छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित इलाकों से लगे महाराष्ट्र के गढचिरोली मे नक्सलियों ने चार स्कूली छात्रों को मार डाला और पडोसी राज्य उड़ीसा के मल्कानगिरी इलाके मे पोस्टर लगाकर महिलाओं को जीन्स और अन्य कथित उत्तेजक पोशाक पहने पर प्रतिबंध की घोषणा थोप दी।
अब सवाल ये उठता है कि उनके सुर मे सुर मिलाने वालों में सबसे आगे रहने वाली अरुंधती राय को महिलाओं को जीन्स पहनने से रोकने वाला ये नक्सली फ़रमान क्या महिलाओं की स्वतंत्रता का हनन नज़र नही आता?ऐसा करके नक्सली किस अन्याय के खिलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं?ज़रा सी बात पर महिलाओं के अधिकारों का रोना रोने वाली महिला अधिकारवादी भी पता नही क्यों खामोश हैं?क्या अब नक्सलियों को कोई पिंक चड्डी पहनाने की हिम्मत दिखयेंगी?
खैर जाने दिजीये,अरूंधति को तो जीन्स पहनने से नही रोका है ना नक्सलियों ने?उन्हे तो लगता है बस खुद से मतलब है इसलिये नक्सली अब चाहे तो मल्कानगिरी की महिलाओं को जीन्स पहनने से रोके या फ़िर लोकतंत्र की शिक्षा देने वाली पढाई से रोके उन्हे कोई फ़र्क़ नही पड़ने वाला।फ़िर जो नक्सली लोकतंत्र के महाकुम्भ चुनाओं का बहिष्कार करने की बात करते हैं,उससे तक़ अरुंधति को परहेज़ नही है तो बाकी सब किस खेत की मूली है।
हैरानी की बात तो ये है ज़रा-ज़रा सी बात पर मानवाधिकारों का उल्लंघन कहकर बवाल मचाने वाले भी खामोश हैं।एक नही चार-चार स्कूली बच्चे मारे गये और वे खामोश ही हैं।पहले तो ज़रा-ज़रा सी बात पर दिल्ली में बैठे कथित अधिकारवादी लोग दौड़े चले आते थे और कमाल की बात देखिये चंद घंटों मे ही वे प्रदेश मे सरकार के नही होने की घोषणा कर देते थे।चंद घंटे इसलिये कह रहा हूं कि हवाई जहाज से उतरने और फ़्रेश-वेश होकर  सड़क मार्ग से बस्तर जाकर वापस रायपुर लौटकर हवाई जहाज मे चढने के बीच बड़ी मुश्किल से कुछ घण्टे ही मिल पाते हैं।और इतने कम समय पहले से ही सब कुछ रट-रूटाकर आये मिट्ठू वो सब देख डालते हैं जिसे देखने के लिये एक नही कई दिन भी काफ़ी नही है।
अब नही आ रहे हैं वो पेड़ मिट्ठूओं के झुंड्।मिट्ठू की जगह कुछ समय तक मैनाओं को भी भेजा गया मगर वे भी अब खामोश है।पता नही क्यों ?हो सकता है कुछ लोग इसे सद्बुद्धी आना समझे या लौट के बु…… ना ना ना।गलतफ़हमी मे मत रहिये।हो सकता है रूदलियां पेमेंट बढाने के नाम पर खामोश हो।या फ़िर पहचान लिये जाने के कारण चेहरा बदले में लगी हों?चाहे जो भी हो,मेरा तो उनसे बस यही सवाल है कि क्या स्कूली बच्चों को ढाल बनाना?क्या स्कूली बच्चों की मौत? क्या महिलाओं को जीन्स पहनने से रोकना?मानवाधिकारों का हनन नही है?या ऐसा करना किस अन्याय और शोषण के खिलाफ़ संघर्ष है?मेरे हिसाब से तो अब ऐसे संघर्ष को विचारधारा कहना भी गलत होगा,ऐसा मैं मानता हूं।आपको क्या लगता है,बताईयेगा ज़रूर्।

23 comments:

गौरव शर्मा "भारतीय" said...

निश्चित रूप से अब अरुंधती राय जैसे लोगों को अपना मत अवश्य स्पष्ट करना चाहिए, रहा सवाल संघर्ष का तो यह चिंतन का विषय है की "संघर्ष" कर कौन रहा है ? नक्सली तथाकथित अन्याय के खिलाफ या हमारी गरीब आदिवासी जनता नक्सलियों के आतंक के खिलाफ.....
मानव अधिकारवादी संगठनों को केवल नक्सली ही मानव नजर आते हैं ऐसा प्रतीत होता है, शायद इनके नजर में गरीब आदिवासियों को मानव कहलाने का कोई हक़ नहीं या फिर बात कुछ और है.........
वैसे मै आपको सादर प्रणाम के साथ ही इतने संवेदनशील विषय पर सार्थक पोस्ट के लिए बधाई प्रेषित कर रहा हूँ कृपया स्वीकार करें |

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

डाकुओं ने अपना नाम बदल लिया है- नक्सली :)

संजय कुमार चौरसिया said...

aapki baat se poori tarah sahmat


http://sanjaykuamr.blogspot.com/

photo said...

sir in kutto k liy apna khoon kyo sukh rahy ho inko kuch farak nahi padnay wala

प्रवीण पाण्डेय said...

नये राज के नये नियम,
उनको पालन करें स्वयं।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

इन रुदालियों के नसीब में रोना ही बदा है...

Smart Indian said...

इन निर्दयी और स्वार्थी हत्यारों के सुर से सुर वही मिला रहे हैं जो (डाइरेक्टली/इनडाइरेक्टली) इनकी काली कमाई से लाभान्वित भी हो रहे हैं और जिनका दिल इनके दानवी अपराधों से विचलित भी नहीं होता है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

इन रुदालियों के भाग्य में रोना ही बदा है.

राज भाटिय़ा said...

बच्चो को मारना, महिलाओ को धमकाना, निहथे नागरिको को मारना... यह कहां कि ओर केसी विचार धारा? किस का भला कर रहे हे यह लोग, किस के लिये कर रहे हे यह लोग यह सब??

Gyan Darpan said...

अन्याय के नाम पर संघर्ष सत्ता हथियाने का दुष्चक्र मात्र है ये नाटक !

अजय कुमार झा said...

बहुत ही सही बात लिखी है अनिल भाई ..वैसे भी अब इस आदोंलन की दिशा और दशा इतनी खराब हो चुकी है कि जाने ऐसे कितने तालिबानी फ़रमान निकलने वाले हैं ..अब समय आ गया है कि कम से कम एक बात तो जरूर ही इन्हें पूरी तरह से कुचल दिया जाए

Unknown said...

भाऊ साहेब आपने एक बार फ़िर से वामपंथ विचारपोषित हत्यारों की गैंग को बेनकाब किया है…

अगली बार अरुंधती जब रायपुर आयेंगी तब किस परिधान में होती हैं यह देखना दिलचस्प होगा, और वही अरुंधती दिल्ली के 5 सितारा होटल में प्रेस कान्फ़्रेंस आयोजित करते समय कौन से कपड़े पहनती हैं यह भी देखना होगा…

रही बात पिंक चड्डी की वह तो सिर्फ़ हिन्दूवादी संगठनों के लिये रिज़र्व है मैं पहले ही कह चुका हूं… पिंक चड्डी न तो नक्सलियों को भेजी जायेगी, न जेहादियों को… यही है मीडिया में छिपे बैठे गद्दारों की असलियत…

कडुवासच said...

... विचारधारा तो कतई नहीं है !

vijai Rajbali Mathur said...

Ji han aaj yah koi vaicharik aur varg sangharsh nahin hai .Galat kadamon ka mukabla tabhi kar sakengey jab sachchai samjhen aur janta ko samjhayen varna jaisa chal raha hai chalta rahega.Ninda hi paryapt nahin hai.

amar jeet said...

अनिल जी इन तथाकथित मानवधिकार संघठनो पर लगाम लगनी चाहिए मानवधिकार की आड़ लेकर ये लोग नक्सलवादियो के होसले ही बड़ा रहे है अभी हाल ही में समाज सेवी लबादा ओड़े स्वामी अग्निवेश ने खुलकर नक्सलवादियो की वकालत की इन पर तो भारतीय जन सुरक्झा अधिनियम लगाकर कारवाही होनी चाहिए !

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

इन तालिबानी प्रवृत्तियों का नाम कुछ भी हो ...हरकतें एकदम वही पेटेंटेड रहती हैं...

Girish Kumar Billore said...

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

vijai Rajbali Mathur said...

आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
हम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.

Yashwant R. B. Mathur said...

आप को सपरिवार दिवाली की शुभ कामनाएं.

Unknown said...

दीपावली के इस शुभ बेला में माता महालक्ष्मी आप पर कृपा करें और आपके सुख-समृद्धि-धन-धान्य-मान-सम्मान में वृद्धि प्रदान करें!

amar jeet said...

बदलते परिवेश मैं,
निरंतर ख़त्म होते नैतिक मूल्यों के बीच,
कोई तो है जो हमें जीवित रखे है,
जूझने के लिए है,
उसी प्रकाश पुंज की जीवन ज्योति,
हमारे ह्रदय मे सदैव दैदीप्यमान होती रहे,
यही शुभकामनाये!!
दीप उत्सव की बधाई...................

​अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhan said...

मान्यवर
नमस्कार
बहुत अच्छा काम कर रहे हैं आप .
मेरे बधाई स्वीकारें

साभार
अवनीश सिंह चौहान
पूर्वाभास http://poorvabhas.blogspot.com/

Asha Joglekar said...

Bade dino bad aaj aaee aapke blog par. Ye log tatha kathit buddhijeevi politics of convenience karate hain. Jahan inko khatra ho usase bach kar hee nikalte hain.