tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post4207237162494991177..comments2023-10-30T16:58:10.967+05:30Comments on अमीर धरती गरीब लोग: शरद कोकास का भेजा हुआ संदेश सोचने पर मज़बूर करता है!Anil Pusadkarhttp://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-26902014146373880102010-04-26T07:50:13.484+05:302010-04-26T07:50:13.484+05:30देर से पढ़ पाया इस पोस्ट को
एक बिंदास स्वीकारोक्...देर से पढ़ पाया इस पोस्ट को <br /><br />एक बिंदास स्वीकारोक्ति की बधाई आपको<br /><br />हम सभी दोषी हैं मानता हूँ<br />लेकिन कुछ मानवीय प्रवृत्तियों की भेंट चढ़ गई है प्रकृति की अनुपम देनें<br />जिस दिन वह ज़वाब देगी इस अत्याचार का<br />हम सब भोगेंगेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-3781488269797780102010-04-23T19:40:53.159+05:302010-04-23T19:40:53.159+05:30इस समस्या को हम लोग महत्व न देकर भयंकर भूल कर रहे ...इस समस्या को हम लोग महत्व न देकर भयंकर भूल कर रहे हैं ! सामयिक चिंतन के लिए शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-87113900742898576822010-04-23T16:53:57.309+05:302010-04-23T16:53:57.309+05:30बहुत उम्दा चिन्तन दिवस विशेष पर-पोस्ट पसंद आई.बहुत उम्दा चिन्तन दिवस विशेष पर-पोस्ट पसंद आई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-20894460660727795862010-04-23T10:35:34.679+05:302010-04-23T10:35:34.679+05:30Lalit modi ke saath....paryavaran mantri ki bhi In...Lalit modi ke saath....paryavaran mantri ki bhi Income tax jaanch karayee jaye..ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-14194739596473308842010-04-23T08:50:55.583+05:302010-04-23T08:50:55.583+05:30केवल एक दिन मना लेने से हम किसी भी समस्या का हल न...केवल एक दिन मना लेने से हम किसी भी समस्या का हल नहीं कर सकते। हमने धरती को माँ मानना बन्द किया और उसको भोगना प्रारम्भ कर दिया। तब ऐसा होना ही था।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-20894634296382834502010-04-23T00:07:37.276+05:302010-04-23T00:07:37.276+05:30यदि हम यही याद रख लें कि हम ले क्या रहे हैं और दे ...यदि हम यही याद रख लें कि हम ले क्या रहे हैं और दे क्या रहे हैं तो इस समस्या का हल निकल आएगा.<br /><b>जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड</b>राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-91029039331589713382010-04-22T23:08:06.950+05:302010-04-22T23:08:06.950+05:30हम सुनना नहीं चाहते
इसलिए सुन नहीं पाते
हमें सुनाई...हम सुनना नहीं चाहते<br />इसलिए सुन नहीं पाते<br />हमें सुनाई देती हैं आहटें<br />नोटों की, होती है महसूस<br />गर्मी नोटों की, पेड़ की छाया<br />से हमें कोई सरोकार नहीं<br />पृथ्वी की चीख से आज<br />किसी को भी चढ़ता बुखार नहीं।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-23787843227295681272010-04-22T21:18:18.614+05:302010-04-22T21:18:18.614+05:30bilkul sach kaha bhaia.. behtar hai hum is disha m...bilkul sach kaha bhaia.. behtar hai hum is disha me kuchh karen.. kam se kam khud jaagruk hon aur 4 aur logon ko karen.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-52024175784294875512010-04-22T18:59:45.897+05:302010-04-22T18:59:45.897+05:30अनिल भाई माँ की चीखें हर पल सुनाई देती हैं। हम हैं...अनिल भाई माँ की चीखें हर पल सुनाई देती हैं। हम हैं कि सुनते ही नहीं हैं। ट्यूबवेल में हर साल पानी नीचे उतर जाता है। कुएँ सूख गए हैं। पेड़ खड़ा खड़ा अचानक सूख जाता है। हमने अपने कान बहरे कर लिए हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-54477493188223822542010-04-22T18:02:38.171+05:302010-04-22T18:02:38.171+05:30बहुत सही पंक्तियाँ लिखी हैं शरद जी ने ।
आपकी...बहुत सही पंक्तियाँ लिखी हैं शरद जी ने ।<br />आपकी चिंता सबके लिए चिंता का विषय है।<br />यदि अभी नहीं संभाला तो ऊपर वाला ही मालिक है।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-19530366948645720502010-04-22T16:43:34.423+05:302010-04-22T16:43:34.423+05:30शरद कोकास बहुत संजीदा और संवदनशील ब्लॉगर हैं। मैं ...शरद कोकास बहुत संजीदा और संवदनशील ब्लॉगर हैं। मैं अपने को बहुधा उनके पाले में खड़ा पाता हूं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-12606428325173951962010-04-22T15:59:43.651+05:302010-04-22T15:59:43.651+05:30अनिल ,आज पृथ्वी दिवस प्रस्तुत आपका यह चिंतन इसलिये...अनिल ,आज पृथ्वी दिवस प्रस्तुत आपका यह चिंतन इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि इसमें एक सही चिंता शामिल है । हम मनुष्यों को बहुत सारी बेकार की बातों पर चिंता करने की आदत होती जा रही है और इन व्यर्थ की चिंताओं और बह्सों के चलते हम् अपने सामाजिक सरोकार भी भूलते जा रहे हैं ।<br />मुझे ज़्यादा कुछ नहीं कहना है इसलिये कि आप जैसे साथियों की तरह मैं भी कर्म में विश्वास रखता हूँ । इन गर्मियों में मैने संकल्प लिया है कि अपने आसपास के किसी भी पौधे को ,पशु को और पक्षियों को पानी की कमी की वज़ह से मरने नहीं दूंगा मै रोज सुबह शाम बाल्टी लेकर निकलता हूँ और पूरी स्ट्रीट के पौधों को पानी देता हूँ ।सड़क चलते नलों की टोटियाँ बन्द करता हूँ ।आनेवाले संकट पर लोगों से बात करता हूँ । आज से कुछ साल पहले किसी ने नहीं सोचा था पानी की इतनी कमी हो जायेगी । लोग अब भी पानी की बर्बादी के प्रति सचेत नहीं है । सत्ता भी अब सारी ज़िम्मेदारी लोगों पर डालकर ही प्रसन्न है । इसी तरह एक दिन शुद्ध हवा की भी किल्लत होने वाली है । <br />इस कविता का इतने महत्वपूर्ण रूप से उल्लेख करने के लिये मै आभारी हूँ। हममें से कुछ लोग भी यदि पृथ्वी की इस वेदना को समझ सकें तो हम अपने मातृ ऋण से थोड़ा बहुत मुक्त हो सकते हैं । पृथ्वी की सेवा करना सचमुच अपने दूध का कर्ज़ उतारने से भी ज़्यादा बड़ा काम है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-34933303144190895592010-04-22T13:53:18.778+05:302010-04-22T13:53:18.778+05:30अब चीखती नहीं, काँप जाती है धरती ।अब चीखती नहीं, काँप जाती है धरती ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-14968530932359633762010-04-22T13:37:32.993+05:302010-04-22T13:37:32.993+05:30नालायक ओलाद से मां ओर क्या उम्मीद कर सकती है, हम न...नालायक ओलाद से मां ओर क्या उम्मीद कर सकती है, हम ने जंगल ही नही, इस की नदियो को, खेती लायक भुमि को ओरिस के सोंदर्य को बर्वाद कर के रख दिया, अब इस का फ़ल भी हमीं को भुगतना हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-56952051722555255102010-04-22T13:18:59.570+05:302010-04-22T13:18:59.570+05:30पृथ्वी गर्म हो रही है,तापमान बढ रहा है,जलवायु मे प...पृथ्वी गर्म हो रही है,तापमान बढ रहा है,जलवायु मे परिवर्तन हो रहा है,ध्रुव पिघल रहे है।होंगे हम तो नही उबल रहे हैं ना,हम तो नही डूब रहे हैं ना।अभी बहुत टाइम है।साले पश्चिम वाले डराते है, बकवास करके।<br /><br />अत्यंत विचारणीय और शाश्वत प्रश्न खडा है सामने.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-17076765014402367022010-04-22T13:16:49.948+05:302010-04-22T13:16:49.948+05:30जागरूक करने वाली अच्छी पोस्ट....सच है की पृथ्वी क...जागरूक करने वाली अच्छी पोस्ट....सच है की पृथ्वी का रूदन हम नहीं सुन पाते...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-29944740220762346742010-04-22T13:04:59.056+05:302010-04-22T13:04:59.056+05:30सामयिक चिंतन! खारून नदी के इस हाल को देख दुःख हो र...सामयिक चिंतन! खारून नदी के इस हाल को देख दुःख हो रहा है.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-24812897197682676712010-04-22T12:54:26.390+05:302010-04-22T12:54:26.390+05:30सोचने पर मजबूर करने वाला सन्देश है यह...क्या इस तर...सोचने पर मजबूर करने वाला सन्देश है यह...क्या इस तरह हमने सोचा है कभी..?..सब कुछ रस्मअदायगी हो गयी है...जरूरत है गंभीरता से हर एक को अपने हिस्से का छोटा सा हरियाली का एक टुकड़ा बनाने या उसे बरकरार रखने का प्रण लेना.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-59682122423215160422010-04-22T11:23:59.219+05:302010-04-22T11:23:59.219+05:30काश....काश....भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-48246665429927308102010-04-22T11:10:45.202+05:302010-04-22T11:10:45.202+05:30"स्त्री सहती है जितनी प्रसव-पीड़ा/
उतनी सहती ह..."स्त्री सहती है जितनी प्रसव-पीड़ा/<br />उतनी सहती है पृथ्वी भी/<br />बस पृथ्वी की चीख हमे सुनाई नही देती।"<br />सुने तो तब जब सुनना चाहे!इस और कोई ध्यान ही नहीं देता!बहुत अच्छी और विचारणीय पोस्ट के लिए धन्यवाद है जी!<br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.com