tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post4902621140433996672..comments2023-10-30T16:58:10.967+05:30Comments on अमीर धरती गरीब लोग: प्रभाष परंपरा की रचनात्मक पहल शुरू!Anil Pusadkarhttp://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-46109536202989358382010-07-23T19:29:45.333+05:302010-07-23T19:29:45.333+05:30बहुत जायज कथ्य है.
रामराम.बहुत जायज कथ्य है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-80179406691010100342010-07-23T17:52:12.413+05:302010-07-23T17:52:12.413+05:30बहुत बढिया पोस्ट....बहुत बढिया पोस्ट....The Straight pathhttps://www.blogger.com/profile/06718150451299029345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-66932856963752178932010-07-23T12:23:20.754+05:302010-07-23T12:23:20.754+05:30प्रभाष परम्परा न्यास पर अम्बरीश जी के द्वारा उठाये...प्रभाष परम्परा न्यास पर अम्बरीश जी के द्वारा उठाये गये सवाल क्या गलत है । मै तो इस पचड़े में पड़ना नहीं चाहता था लेकिन जब इस मसले में सोनभद्र को घसीट दिया गया तो बोलना लाजिमी हो जाता है। प्रभाष जोशी जी आज हमारे बीच नहीं <br />है । लेकिन पत्र <br />पत्रिकाओं को पढ़ने का शौक इतनी तो समझ पैदा कर ही चुका है कि देश के नामी गिरामी पत्रकारों लेखकों में किसकी क्या साख है । हमारे पास लगभग 25 वर्ष पुराना साप्ताहिक हिन्दुस्तान का वह अंक सुरक्षित है जिसमें इंडियन एक्सप्रेस समूह और कांग्रेस सरकार पर विस्तृत समीक्षा रिपोर्ट छपी थी। जनसत्ता उसी समूह का अखबार है जिसमें मालिक ने झुकना नहीं सीखा प्रभाष जोशी उसी परम्परा के वाहक थे। <br />प्रभाष जी को पढ़ने समझने के बाद मशहूर शायर वामिक जौनपुरी का एक शेर ‘‘आखों के सामने तैरता है कि <br />आहन नहीं की चाहिए जब मोड़ दिजीए, <br />शीशा हूं मुड़ तो सकता नहीं तोड़ दिजीए’’ <br />और अब जब प्रभाष जी नही रहे तो यू.पी. में अम्बरीश उस परम्परा का निर्वाह बखूबी कर रहे है । संजय तिवारी जी ने किस लिए ऐसा लिखा वह तो वहीं जाने लेकिन यह सच है कि सोनभद्र में पिछले दो वर्षो से जितनी तेजीं से यहां दलितो आदिवासियों परजुल्म बढ़े यहां एक दो अखबारों को छोड़कर किसी ने भी कलम नहीं चलायी । या पत्रकारों ने खबर भेजी तो आजसत्ता का चारण बन चुके तमाम अखबार के मालिकों ने लिखना नहीं समझा। इस स्थिति में जनसत्ता मजबूती के साथ डटा रहा । मुझे नहीं पता कि रामबहादुर राय का कौन इतना बड़ा हितैषी है जो संजय तिवारी के जरीए सोनभद्र के पत्रकारों को सर्टिफिकेट बांट रहा है। यहां स्वयं गलत पत्रकारों का मजबूती से विरोध करने वाली टीम है । जे0 पी0 का विज्ञापन जनादेश ,पोर्टल पर चल रहा है तो उससे जनसत्ता को कत्तई कष्ट नहीं हो सकता शायद विचार व्यक्त करने वालो को यह नहीं पता कि जनसत्ता विज्ञापन के लिए हाथ नहीं फैलाता यह परम्परा भी शायद जोशी जी की ही थी ।लिफाफा देखकर मजमून भापने वालों की गणित फेल हो गयी अम्बरीश का नैनीताल मे महल बताने वालों को उनकी एक-एक ईट का हिसाब मिल जायेगा । महज कुछ ईटो से बने कमरों का घर तो हो सकते है महल नहीं, और शायद आज ऐसा कोई नहीं जो ईट गारे की कल्पना न करता हो । राजसत्ता का विरोध आज भी जिस मजबूती से जनसत्ता में अम्बरीश कर रहे है वह कमतर नहीं ।विचार भेजनेंवालों को जनादेश को बीच में नहीं लाना चाहिए <br /><br /><br />विजय विनीत <br />सोनभद्र यु . पी <br />९४१५६७७५१३ ,९५९८३२१०४१lal salamhttps://www.blogger.com/profile/08683617218755388118noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-48000974820272481862010-07-23T12:19:11.997+05:302010-07-23T12:19:11.997+05:30lal salam said...
एक कहावत हमारे गावों में लोग कह...lal salam said... <br />एक कहावत हमारे गावों में लोग कहते हैं की अगर मा का दूध पिया है तो सामने आ ,किसी को बिल में और ऐसी बिल में घुस कर गरियाने से क्या फायदा जहाँ से गाली देने वाला दिखाई ही न दे ,हम बात कर रहें हैं उस शख्स की जो आलोक तोमर को छदम नाम से अनाप शनाप बक रहा है ,मनो चिकित्सको का कहना है की जो आदमी शारीरिक रूप से(नपुंशक ) कमजोर होता है वह सार्वजानिक रूप से अपने उन अंगों का प्रदर्शन करता हैं जो गोपनीय होने चाहिए ,आलोक जी को गाली देने वाला शख्श भी कही उसी मनो विकार से ग्रसित तो नहीं ,आखिर उसे कैसे पता तोमर जी नपुंसक हैं ,राम बहादुर राय अम्बरीश और तोमर के मध्य वैचारिक मतभेद हो सकते है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की हम विरोध में मर्यादा भूल जाएँ ,प्रभाष जी के नाम पर तो कम से कमइस तरह की भाषा ठीक नहीं ,यह नहीं भुलाना चाहिए की जो ऊपर मुहं उठाकर थूकेगा वह उसी के मुहं पर गिरेगा , आलोक अम्बरीश आखिर सच बोल के कौन सा अपराध कर दिए ,लेकिन शायद जनसत्ता के लोगों का सच बोलना ही अपराध होता है तभी तो रामनाथ गोयनका से लेकर आज तक उस समूह के लोग सबकी आखों की किरकिरी बने हुए हैं , एक बात भाई यशवंत जी से कहना चाहुगा की जो भी कमेन्ट छापें उसमे कमेन्ट भजने वाले का सही पता तो कर लिया करें<br />,भड़ास बहुत लोग देखते हैं <br /><br /><br /><br />विजय विनीत <br />सोनभद्र यु पी <br />९४१५६७७५१३ ,९५९८३२१०४१lal salamhttps://www.blogger.com/profile/08683617218755388118noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-70738452013636855282010-07-23T10:33:39.551+05:302010-07-23T10:33:39.551+05:30सवाल जायज है ।आभार!सवाल जायज है ।आभार!arvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-88445527473071073722010-07-23T08:08:12.317+05:302010-07-23T08:08:12.317+05:30बहुत आभार!बहुत आभार!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-60444503295815755102010-07-23T07:17:38.123+05:302010-07-23T07:17:38.123+05:30भाई साहब बहुत बढिया पोस्ट है!भाई साहब बहुत बढिया पोस्ट है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-65078482247202054722010-07-23T00:06:34.237+05:302010-07-23T00:06:34.237+05:30अम्बरीश जी के तीक्ष्ण तेवर को आपने यहाँ पढ़वाकर आँ...अम्बरीश जी के तीक्ष्ण तेवर को आपने यहाँ पढ़वाकर आँखें खोल दीं.आभार आपका!! इस पोस्ट ने मुझे आपके और निकट ला दिया.पिछले दिनों हमने हमज़बान पर प्रभाष जी का संवाद लाया था.شہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-90261865267348665562010-07-22T23:42:58.110+05:302010-07-22T23:42:58.110+05:30सवाल तो जायज है ।सवाल तो जायज है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.com