tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post4983636009975958714..comments2023-10-30T16:58:10.967+05:30Comments on अमीर धरती गरीब लोग: नौकरी छोड़ने की शर्त पर हुई पुलिस वालों की रिहाई?क्या ये शर्त मानवाधिकार का हनन नही है?Anil Pusadkarhttp://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-89755826271349540232011-02-21T23:19:26.020+05:302011-02-21T23:19:26.020+05:30.....हमें तो इन मानवाधिकार वालों पर शुरू से ही शक ........हमें तो इन मानवाधिकार वालों पर शुरू से ही शक रहा है ...अश्रद्धा भी रही है इनके सिद्धांत पार्शियल हैं ....और सिद्धांत खोखले .....कई नकाबों से ढके हुए. इनकी ज़रूरत ही क्या है .....? <br /> ...............सफ़ेद हाथी कहीं केबस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-29168622816216065242011-02-13T17:27:35.448+05:302011-02-13T17:27:35.448+05:30sahi kaha sirsahi kaha sirtijram sahuhttps://www.blogger.com/profile/00861402906669961440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-32991292171566520862011-02-13T17:26:52.476+05:302011-02-13T17:26:52.476+05:30shai kaha sirshai kaha sirtijram sahuhttps://www.blogger.com/profile/00861402906669961440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-81838916950169050242011-02-13T02:25:35.842+05:302011-02-13T02:25:35.842+05:30हत्यारों के दलों को मानवाधिकार से क्या?
साथ ही प्...हत्यारों के दलों को मानवाधिकार से क्या? <br />साथ ही प्रश्न यह भी उठता है कि आज़ादी के 6 दशक बाद जब जनता की चुनी सरकारें अगर अपने पुलिसकर्मियों को भी सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती तो आम जनता की रक्षा क्या खाक करेंगी? किस लिये है सरकार/प्रशासन/मंत्रियों, और आइएऐस/पीसीऐस का इतना बडा तामझाम?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-27567894976541569042011-02-13T01:22:13.106+05:302011-02-13T01:22:13.106+05:30कुछ समय पहले इस व्यक्ति के बयानो पर प्रश्न चिन्ह उ...कुछ समय पहले इस व्यक्ति के बयानो पर प्रश्न चिन्ह उठे थे ।डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-28542123758896207292011-02-13T01:20:48.511+05:302011-02-13T01:20:48.511+05:30आज इस देश की कानून व्यवस्था और सुरक्षा पर एक बड़ा ...आज इस देश की कानून व्यवस्था और सुरक्षा पर एक बड़ा ज्वलंत प्रश्न चिन्ह है यह घटना। एक प्रजातांत्रिक देश की सरकार अक्षम है । एक अनाम सा व्यक्ति जो खुले आम घूम रहा है , उसके देशद्रोहियों से संपर्क हैं वह एक सौदा करवाता है 5 जानो का ।पता नहीं सौदा कितने में हुआ लेकिन जो कश्मीर में हुआ वही व्यवस्था छत्तीसगढ़ में भी कायम हो रही है लगता है ।डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-22065955141818654412011-02-12T20:52:05.445+05:302011-02-12T20:52:05.445+05:30पुलिस में भरती हुए थे तो यह तो मालूम ही था कि एक द...पुलिस में भरती हुए थे तो यह तो मालूम ही था कि एक दिन किसी न किसी मोर्चे पर नक्सलियों से भिडना है और उस मोर्चे पर जान भी जा सकती है। वैसे मरना तो सबको एक दिन है लेकिन वरदी वालों को ही यह सम्मान मयस्सर होता है कि उनके मरने के बाद उनकी लाश पर देश की शान तिरंगा लिपटाया जाता है। फिर इस तरह नक्सलियो के सामने घुटने टेककर बचकर निकल आने का कारण समझ नहीं आता। अरे उनका ख्याल क्या किसी को नहीं आता जो नक्सल मोर्चों पर गए और वापस आया उनका निर्जीव शरीर। <br />छत्तीसगढ ही नहीं देश के कई अलग अलग प्रांतों के रहने वाले जवानों ने छत्तीसगढ में नक्सलवाद का खात्मा करने के लिए यहां कदम रखा लेकिन उनके घरों में ताबूत में बंद कर उनके शरीर को भेजना पडा। <br />सीआरपीएफ के, पुलिस के, आईटीबीपी के जवान खत्म हुए, वे तो चले गए उनके परिवार के मानवाधिकार का क्या हुआ। <br />ये तो बचकर आ गए, आगे कुछ भी कर लेंगे, जिंदा तो हैं।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-9866966859423108012011-02-12T19:57:48.952+05:302011-02-12T19:57:48.952+05:30jaan bachi, lakho paye. phir bhi majaburi hai.jaan bachi, lakho paye. phir bhi majaburi hai.G.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-27792493412749566862011-02-12T16:57:05.237+05:302011-02-12T16:57:05.237+05:30जान बख्श दी, यही क्या कम है। मानवों को उनका अधिकार...जान बख्श दी, यही क्या कम है। मानवों को उनका अधिकार दे दिया। संवेदनशीलता तो इसे ही कहेंगे न।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-32825382920475231502011-02-12T13:17:25.189+05:302011-02-12T13:17:25.189+05:30Dear Anil Bhai,
Your pen still have the fire. Yo...Dear Anil Bhai, <br /><br />Your pen still have the fire. You must write in a more popular media. So that your thoughts can reach to most of the society. <br /><br />Regards.<br /><br />vijay JadwaniVijay Jadwaninoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-89309942542463014752011-02-12T12:16:23.487+05:302011-02-12T12:16:23.487+05:30कानून का राज दिखाई देता है यहां किसी भी स्तर पर? क...कानून का राज दिखाई देता है यहां किसी भी स्तर पर? कहीं पुलिस-अफसर-नेता-उद्योगपतियों का तो कहीं नक्सलियों का...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com