tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post8520942022807192444..comments2023-10-30T16:58:10.967+05:30Comments on अमीर धरती गरीब लोग: मीडिया की लक्ष्मण रेखा ?Anil Pusadkarhttp://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-77934493148122811482009-08-29T16:21:29.457+05:302009-08-29T16:21:29.457+05:30Ye lachhman rekha kheechee janee chahiye.
( Treasu...Ye lachhman rekha kheechee janee chahiye.<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">( Treasurer-S. </a><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">T. )</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-78913918074598745632009-08-28T23:51:22.707+05:302009-08-28T23:51:22.707+05:30वाकई आपने जो कहा एकदम सही है....विचारणीय प्रश्न है...वाकई आपने जो कहा एकदम सही है....विचारणीय प्रश्न हैं ये सबअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-11571049729184146052009-08-28T08:21:40.514+05:302009-08-28T08:21:40.514+05:30Mr. Satyendra has a point ! In America of 60s , th...Mr. Satyendra has a point ! In America of 60s , there was a case where a channel head got someone killed just to create a sensational murder story for the benefit of TRP of his crime show !मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-22747257707861132342009-08-28T01:19:46.383+05:302009-08-28T01:19:46.383+05:30Kya aisee news chalane ke pahle Press Club se anum...Kya aisee news chalane ke pahle Press Club se anumatee lee gayi thee? Kitna paisa khakar yeh news chalaie hai bataya kya?<br />Socha hoga Sarkari insaan hai apni Ijjat ke dar se Chup rahega. Kaise chup rahega jab channel me news chala hee diya. Ab toh woh vyakti "OFFENCIVE" hoga hee. Jab "DAANV" ulta pad gaya toh Press Club aa rahen hai.<br />Yeh karya savpratham "VYAKTIGAT AAZADEE" ko "bhang" karne kee kartoot hai, vyooh rach kar hee yeh karya kiya gaya hai, Sec 120B lagega hee.NIRBHAYhttps://www.blogger.com/profile/04973566991769248560noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-29704305998470598482009-08-28T01:10:56.481+05:302009-08-28T01:10:56.481+05:30भारत मै शायद यह सब चल सकता है,लेकिन असल मै किसी की...भारत मै शायद यह सब चल सकता है,लेकिन असल मै किसी की तलासी लेना भी मान हानि के केस मै आती है ब्लू फ़िल्म तो बहुत बडी बात है, हमारे यह आज के मिडियाका चरित्र है ही कहा, ओर देश को गर्त मै डाले का काम नेताओ से ज्यादा इन लोगो ने किया है. लोगो को आत्महत्या करने के लिये यही मजबुर करते है.....<br />अगर मेरे हाथ मै हो तो इन्हे हिटलर की जेल मे लेजा कर जिन्दा जला दुं. सालो अब बनाओ फ़िल्म लाईफ़, जब इन की मां बहिन की ब्लू फ़िल्म बने तो दिखाओ...<br />इन सब का एक ही इलाज है फ़ांसी.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-75619762402078241022009-08-27T23:50:15.889+05:302009-08-27T23:50:15.889+05:30विचारणीय बिन्दु !
जय हिन्द !विचारणीय बिन्दु !<br />जय हिन्द !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-46050992535900980102009-08-27T22:41:37.558+05:302009-08-27T22:41:37.558+05:30सही लिखा है आपने...सीमा तय होनी चाहिये यदि दूसरे स...सही लिखा है आपने...सीमा तय होनी चाहिये यदि दूसरे से फ़ैसला करना नहीं सुहाता हो तोKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-27613170901286799962009-08-27T21:52:09.502+05:302009-08-27T21:52:09.502+05:30अगर यह एक स्पीच होती तो सबसे पहले ताली बजाने वाला ...अगर यह एक स्पीच होती तो सबसे पहले ताली बजाने वाला मैं होता। <br />यहाँ प्रेस क्लब यह कर सकता है कि अपने साथियों को वैध कानूनी सहायता दिलाए। लेकिन यदि तथ्यों के आधार पर मुकदमा बनता है तो प्रेसक्लब क्या कर सकता है? वह अपराधियों की क्या सहायता कर सकता है?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-48923247601282437712009-08-27T20:51:46.724+05:302009-08-27T20:51:46.724+05:30अगर आप किसी का सम्मान नहीं कर सकते तो अपमान करने क...अगर आप किसी का सम्मान नहीं कर सकते तो अपमान करने का अधिकार भी नहीं मिलता . यह प्रेस क्लब का निर्णय मील का पत्थर साबित होगा . इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी ले जाना चाहिए . एक तो आम इन्सान वैसे ही सुरक्षित नहीं है ऊपर से मीडिया भी एक नए भय के रूप में उभरेगा तो न जाने क्या होगा ? समय आ गया है राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया को अपनी लख्मण रेखा खीचने का .डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-67503678664950991712009-08-27T20:35:46.728+05:302009-08-27T20:35:46.728+05:30पत्रकार को पारिभाषित करें तो कई तरह के लोग पाए जाए...पत्रकार को पारिभाषित करें तो कई तरह के लोग पाए जाएंगे इसमें कोई छुब्ध होने की बात नहीं है।<br />१- वे लोग जो गलती से पत्रकारिता में आते हैं और उनके दिमाग में ऐसा कीड़ा घुस जाता है कि वे इसे छोड़ भी नहीं पाते, रहना भी नहीं चाहते। फ्रस्टेट होकर अपने और दूसरों को गरियाते रहते हैं।<br />२- कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें कहीं नौकरी नहीं मिलती तो रोजी-रोटी के लिए इस फील्ड में आ जाते हैं, कलम घिसते जिंदगी काट देते हैं या दलाली का मौका मिला तो अमीर भी बन जाते हैं।<br />३- कुछ लोग ऐसे होते हैं जो छिनैती, डकैती जैसे सम्मानित पेशों से पत्रकारिता का रुख करते हैं और जब थानाध्यक्ष उन्हें गाली देने की बजाय चाय पिला देता है तो खुश हो जाते हैं।<br />४- पत्रकारिता में संघर्ष करने वालों की सबसे बड़ी संख्या है, जो बेचारे हैं। ५०० रुपये महीने पर पत्रकारिता करते हैं, छोटी मोटी दलाली न करें तो खुद तो मरेंगे ही, परिवार अगर उन पर आश्रित है तो वो भी मरेगा।<br />५- कुछ लोग ऐसे हैं जो पत्रकारिता में लोगों से संबंध बनाने आते हैं। उनका धंधा कुछ और होता है जिसमें वे संबंधों का लाभ उठाना चाहते हैं।<br />ऐसी तमाम श्रेणी है लेकिन ४- नंबर में जो लोग आते हैं उनकी स्थिति सबसे खतरनाक होती है। मजबूरी में की गई दलाली भी स्तरीय नहीं होती और वे बेचारे मारे जाते हैं।Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.com