tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post8994607905757268742..comments2023-10-30T16:58:10.967+05:30Comments on अमीर धरती गरीब लोग: दही बड़ा तो खाकर देख, खीर ले खीर ले बहुत टेस्टी बनी है।Anil Pusadkarhttp://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-9683969739983217962008-12-18T19:50:00.000+05:302008-12-18T19:50:00.000+05:30विचित्र व्यवहार!!!समय के साथ हर परम्परा का रूप बिग...विचित्र व्यवहार!!!<BR/><BR/>समय के साथ हर परम्परा का रूप बिगड जाता है!!!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-81287967229625780012008-12-17T19:39:00.000+05:302008-12-17T19:39:00.000+05:30सही कहा दोस्त मै भुक्त भोगी हू अपने पिता की असमायि...सही कहा दोस्त मै भुक्त भोगी हू अपने पिता की असमायिक मृत्यू के वक्त भी लोग तेहरवी वाले दिन जिस तरह भाव व्यक्त कर रहे थे बडी मुश्किल से मै हाथ बाध कर विनम्रता की मूर्ती बना खडा रहा. वर्ना दिल सालो को पीटने का कर रहा था.Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-54610491012351302422008-12-17T18:38:00.000+05:302008-12-17T18:38:00.000+05:30भाई जी ये तो तेरहवीं की बात है लोग चौथा करके हलवाई...भाई जी ये तो तेरहवीं की बात है लोग चौथा करके हलवाई बिठा लेते हैं.......योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-1635813121398596382008-12-17T16:25:00.000+05:302008-12-17T16:25:00.000+05:30अब क्या कहें . हर परम्परा शुरू तो अच्छे उद्देश्य क...अब क्या कहें . हर परम्परा शुरू तो अच्छे उद्देश्य के लिए ही होती है . पर समय के साथ उसका रूप बिगड जाता है, उद्देश्य कहीं खो जाता है और लकीर पीटने वाले लकीर पीटते रहते हैं .विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-3463421605333588432008-12-17T15:39:00.000+05:302008-12-17T15:39:00.000+05:30शर्मनाक!!!शर्मनाक!!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-41749965902192544042008-12-17T15:11:00.000+05:302008-12-17T15:11:00.000+05:30aise logo se milkar koft ho aati hai. aapko to aap...aise logo se milkar koft ho aati hai. aapko to aapke mitr ne bacha liya kamse kam.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-33031630564855768202008-12-17T12:26:00.000+05:302008-12-17T12:26:00.000+05:30ओह ये तेरहवीं का भोजन था क्या?????Regardsओह ये तेरहवीं का भोजन था क्या?????<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-27317012258272916972008-12-17T10:44:00.000+05:302008-12-17T10:44:00.000+05:30अनिल जी,कथा सम्राट प्रेमचंद की कहानी कफन में बेटे ...अनिल जी,<BR/><BR/>कथा सम्राट प्रेमचंद की कहानी कफन में बेटे की जवान बीबी की मृत्यु बेला में बाप बेटे का उबला आलू खाते रहना तो गरीबी के कारण उनकी मजबूरी थी किन्तु आपने जिनका जिक्र किया है उनकी क्या मजबूरी है यह समझ के बाहर है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-10202970580284612082008-12-17T10:35:00.000+05:302008-12-17T10:35:00.000+05:30मर्म को छूने वाली बात,लोगों को समझना चाहिए.=======...मर्म को छूने वाली बात,<BR/>लोगों को समझना चाहिए.<BR/>=====================<BR/>डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-50755355262810797562008-12-17T02:52:00.000+05:302008-12-17T02:52:00.000+05:30yahi to rona hai.yahi to rona hai.सचिन मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07382964172201827333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-63670441494302564762008-12-17T02:30:00.000+05:302008-12-17T02:30:00.000+05:30कहीं ऎसे दुराग्रह मृतात्मा की ओर से ( आन बिहाफ़ आफ़ ...<I><BR/>कहीं ऎसे दुराग्रह मृतात्मा की ओर से ( आन बिहाफ़ आफ़ ) तो नहीं किये जाते ? अ गुड-बाय फ़ीस्ट !</I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-31672499485749346122008-12-17T01:24:00.000+05:302008-12-17T01:24:00.000+05:30यह सब मेरे साथ मेरे पिता जी की तेहरवी पर हुआ था, म...यह सब मेरे साथ मेरे पिता जी की तेहरवी पर हुआ था, मै तो भोज के खिलाफ़ था.... लेकिन जिस समाज मै हम रहते है, उस की बात भी कई बार अनमने मन से सुनानी पढाती है, करनी पढती है, लेकिन ऎसे लोगो को अलग लेजा कर डांट देना चाहिये, सब के सामने अपनी बेज्जती होती है, ओर बात भी ठीक है वोही बेटा जीते जी तो बाप का निरादर करता है, खाना समय पर नही देता, देता है तो ....... ओर मरने पर महा भोज...<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-59114330281910146562008-12-17T00:28:00.000+05:302008-12-17T00:28:00.000+05:30दही बड़े, खीर, जलेबी आदि शब्द पढ़ कर अपने आप यादों क...दही बड़े, खीर, जलेबी आदि शब्द पढ़ कर अपने आप यादों के साथ साथ मुँह में पानी आने लगा था, तेहरवीं का भोजन था पढ़ कर वह पानी भी सूख गया!Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-44375910647979805112008-12-16T23:10:00.000+05:302008-12-16T23:10:00.000+05:30तेरहवीं के भोज में ऐसा व्यवहार बिल्कुल गलत है।तेरहवीं के भोज में ऐसा व्यवहार बिल्कुल गलत है।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-84079919231567029002008-12-16T22:53:00.000+05:302008-12-16T22:53:00.000+05:30होता है जी अक्सर होता है....तारीफ भी की जाती है इस...होता है जी अक्सर होता है....तारीफ भी की जाती है इस तरह मानों कोई कम्पटीशन हो तेरही मनाने में - अरे उसके तेरही में तो पूरा गाँव उलट गया था औऱ एक से एक पकवान बनवाया था पट्ठा.....और इसके यहाँ.....अक्सर इस तरह की बेढंगी घटनाये हो जाती है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-42545561205741157012008-12-16T21:56:00.000+05:302008-12-16T21:56:00.000+05:30ये सवाल मैं एक बार नहीं बल्कि कई बार पूछ चुकी हूं....ये सवाल मैं एक बार नहीं बल्कि कई बार पूछ चुकी हूं....बाहर के साथ-साथ अपने घरवालों से भी..कि किसी की मौत पर इस भोज का क्या मतलब....लेकिन सब-समाज की यही रीत है- कहकर अपना पल्ला झाड़ लेतें हैं...<BR/>बहुत अफसोसजनक लगता है,ये सबमहुवाhttps://www.blogger.com/profile/12285702566991211317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-67164428128637048262008-12-16T21:51:00.000+05:302008-12-16T21:51:00.000+05:30इसे हमारे १६ संस्कारों में से एक कहा जाता है। संस्...इसे हमारे १६ संस्कारों में से एक कहा जाता है। संस्कार है तो ठीक, पर इसे शोक नहीं, जश्न की तरह मनाया जाता है - शायद यह जताने के लिए कि ..चलो बला टली...चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-90417718216670680272008-12-16T21:47:00.000+05:302008-12-16T21:47:00.000+05:30aisa hi hota hai sir.. shamshaan vairagy shamshan ...aisa hi hota hai sir.. shamshaan vairagy shamshan ke baad hi shaan se nikal leta hai..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-79832917009905751402008-12-16T21:38:00.000+05:302008-12-16T21:38:00.000+05:30विचित्र व्यवहार!!!!!विचित्र व्यवहार!!!!!Meenu Kharehttps://www.blogger.com/profile/12551759946025269086noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-41690799944272372232008-12-16T21:37:00.000+05:302008-12-16T21:37:00.000+05:30ठंड रख भाई ठंड रख. तेरहवीं का भोज जश्न ही तो है.ग़...ठंड रख भाई ठंड रख. तेरहवीं का भोज जश्न ही तो है.ग़लत बोल गये क्या हम? तो फिर क्षमा..P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-750558515315240422008-12-16T21:17:00.000+05:302008-12-16T21:17:00.000+05:30भाई अनिल जी ! अब क्या बताये ? तेरहवीं का भोजन आजकल...भाई अनिल जी ! अब क्या बताये ? तेरहवीं का भोजन आजकल शादी ब्याह के भोजन से भी जोरदार बनवाया जाता है ! क्यों ? बस वही ऊंची नाक ! आखिर जीना हो या मरना हो , समाज के संसकार तो वही हैं ! <BR/><BR/>राम राम !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-43776516883608084052008-12-16T21:10:00.000+05:302008-12-16T21:10:00.000+05:30क्या उस सज्जन(?) ने उस मृतात्मा को जीवित रहते समय ...क्या उस सज्जन(?) ने उस मृतात्मा को जीवित रहते समय इतने प्रेम से खिलाया था? उससे पूछना चाहिये था…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-4034727088865143072008-12-16T20:26:00.000+05:302008-12-16T20:26:00.000+05:30यही तो है भारतीय समाज की त्रासदी ...। जीते जी चाहे...यही तो है भारतीय समाज की त्रासदी ...। जीते जी चाहे दो वक्त की रोटी भी ठीक से नसीब ना हो । मरने के बाद पूरी पकवान की गारंटी....! ज़िंदा लोगों को नोंच नोंच कर खाने और मुर्दों का श्राद्ध मनाने की गिद्ध परंपरा है यहां ।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-61014534057376799412008-12-16T20:25:00.000+05:302008-12-16T20:25:00.000+05:30अनिल जी, किन किन को रोकेंगे, लेकिन हां दुख तो होता...अनिल जी, किन किन को रोकेंगे, लेकिन हां दुख तो होता ही है। मेरे को तो इन सब प्रथाओं में भी...।Nitish Rajhttps://www.blogger.com/profile/05813641673802167463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-59512725967917535962008-12-16T20:10:00.000+05:302008-12-16T20:10:00.000+05:30हमारी संवेदनायें।हमारी संवेदनायें।Anonymousnoreply@blogger.com