tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post9069600531333326996..comments2023-10-30T16:58:10.967+05:30Comments on अमीर धरती गरीब लोग: ज़िंदगी के लिये मौत की छलांग!Anil Pusadkarhttp://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-12755372150402499322010-07-10T19:10:58.461+05:302010-07-10T19:10:58.461+05:30यह विडम्बना ही है कि ऐसे काम करके लोगों को पेट पाल...यह विडम्बना ही है कि ऐसे काम करके लोगों को पेट पालने पड़ रहे हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-69387617829371469502010-06-01T00:26:48.378+05:302010-06-01T00:26:48.378+05:30भिलाई मे अस्सी और नब्बे के दशक मे यह मौत की छलांग ...भिलाई मे अस्सी और नब्बे के दशक मे यह मौत की छलांग नामक खेल हुआ करता था | मै उन दिनो रोज़ इसे देखने जाया करता था और एक दिन मैने उस जांबाज़ से बात भी की थी ॥मैं सोचता था कि अब यह खेल बन्द हो गया होगा लेकिन आज पता चला कि ऐसे आज़ाद अभी ज़िन्दा है | ऐसे लोगों को जो रोटी के लिये खतरों से खेलते है ज़रूर रेखान्कित किया जाना चाहिये । मुझे बहुत खुशी हुई अनिल यह देखकर । आप इसके लिये साधुवाद के पात्र है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-30501770159059431772010-05-31T21:20:46.914+05:302010-05-31T21:20:46.914+05:30वत्स
सफ़ल ब्लागर है।
आशीर्वाद
आचार्य जीवत्स<br />सफ़ल ब्लागर है।<br />आशीर्वाद<br />आचार्य जीआचार्य उदयhttps://www.blogger.com/profile/05680266436473549689noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-19107825507758422082010-05-31T18:28:09.097+05:302010-05-31T18:28:09.097+05:30दुख तो इस बात का है कि इंसान की जिंदगी की कीमत लगा...दुख तो इस बात का है कि इंसान की जिंदगी की कीमत लगाने वाला कोई और नहीं दूसरा इंसान ही है।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-40836942576202358602010-05-31T12:19:11.096+05:302010-05-31T12:19:11.096+05:30गरीब की जिन्दगी सच में बड़ी सस्ती है , इससे दूर कह...गरीब की जिन्दगी सच में बड़ी सस्ती है , इससे दूर कहाँ मौत की बस्ती है !! <br />निर्धन के जान की कहीं न कोई कीमत है , और जिन्दगी यहाँ हरदम मौत को टक्कर देती है !!<br />आपने बहुत ही मार्मिक दृश्य प्रस्तुत किया है, धन्यवाद और अशेष सुभकामनाएँ........GOURAV SHARMA "BHARTIYA"https://www.blogger.com/profile/12782786168056039949noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-33308002902515978482010-05-31T09:18:08.410+05:302010-05-31T09:18:08.410+05:30दीपक मशाल की बात से सहमत...
मंगल सिंह आज़ाद जैसा ...दीपक मशाल की बात से सहमत...<br /><br />मंगल सिंह आज़ाद जैसा कोई स्टंटमैन हॉलीवुड मे ये कारनामा कर रहा होता तो लाखों में खेल रहा होता...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-11773230681760227682010-05-30T23:57:46.502+05:302010-05-30T23:57:46.502+05:30उम्र भर तरसा था दाने-दाने को वो.. अब मज़ार पर उसकी...उम्र भर तरसा था दाने-दाने को वो.. अब मज़ार पर उसकी पैसे चढाते हैं लोग.. जाने कब लोग जिन्दगी की कीमत समझ पायेंगे.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-56443874597466941452010-05-30T23:45:06.622+05:302010-05-30T23:45:06.622+05:30सच कहा आपने आज इस महंगाई के दौर में यदि कुछ सस्ती ...सच कहा आपने आज इस महंगाई के दौर में यदि कुछ सस्ती है तो वह इंसान की जान ही है जिसकी कोई कीमत नहीं |डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-73568817871701172502010-05-30T20:29:12.676+05:302010-05-30T20:29:12.676+05:30दो वक्त की रोटी इन्सान से जो न करवा ले..क्या क्या ...दो वक्त की रोटी इन्सान से जो न करवा ले..क्या क्या करने को मजबूर है इन्सान!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-80194786142522840912010-05-30T18:44:24.080+05:302010-05-30T18:44:24.080+05:30अब कोई और चारा भी कहां रहा होगा इसके पास सिवा ज़िन...अब कोई और चारा भी कहां रहा होगा इसके पास सिवा ज़िन्दगी को यूं रोज़ दो सौ रूपये में ख़र्च कर देने के सिवा.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-29195912058784553122010-05-30T17:33:21.766+05:302010-05-30T17:33:21.766+05:30Paapi Pet ka sawal hai..Paapi Pet ka sawal hai..shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-80337526216773731072010-05-30T16:50:00.306+05:302010-05-30T16:50:00.306+05:30पेट क्या कुछ नही करवाता, इस लेख को पढ कर बहुत कुछ ...पेट क्या कुछ नही करवाता, इस लेख को पढ कर बहुत कुछ सोचने पर मजबुर होना पडता हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-63212168549774105862010-05-30T13:43:46.745+05:302010-05-30T13:43:46.745+05:30यह कूद इस व्यक्ति की मजबूरी रही , हर बार जान हथेली...यह कूद इस व्यक्ति की मजबूरी रही , हर बार जान हथेली पर रखना आसान नहीं होता ..कुशल खिलाड़ी भी मात खा जाते हैं.<br />आज कल इसी तरह की एक कूद 'बंजी जंप '..पैसे दे कर बकायदा मेडिकल टेस्ट करवा कर सिर्फ रोमांच के लिए की जाती है!<br />वर्ना Giant व्हील में सब से ऊपर जब उसे कुछ पल के लिए रोक लिया जाता है तब सारे भगवान याद आ जाते हैं..और दिल डूबने लगता है...<br />**मजबूरी में ऐसे खेल दिखने वालों के भी दिल जिगर होते हैं लेकिन मजबूरी उन्हें फोलाद बना देती है.वर्ना विकल्प रहे तो कौन रोज़ रोज़ मारना चाहेगा?<br />**बेशक इंसान की ज़िंदगी आज बहुत सस्ती है.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-63328538336880767192010-05-30T13:40:42.932+05:302010-05-30T13:40:42.932+05:30"इस दौर मे जब हर चीज़ रोज़ और महंगी होती जा रही..."इस दौर मे जब हर चीज़ रोज़ और महंगी होती जा रही है,लगता है कि इंसान की ज़िंदगी सस्ती हो रही है।"<br /><br />सही कहा आपने...Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-44351430434886259512010-05-30T13:05:03.730+05:302010-05-30T13:05:03.730+05:30... ये सब बाजीगर हैं!!!... ये सब बाजीगर हैं!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-5025166171159020722010-05-30T12:57:18.033+05:302010-05-30T12:57:18.033+05:30हैरतंगेज -जिजीविषा को सलाम और आपका आभार !हैरतंगेज -जिजीविषा को सलाम और आपका आभार !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-12256909030626137472010-05-30T12:49:23.253+05:302010-05-30T12:49:23.253+05:30desh ke karndhar doob kyon nahi marte in stithiyon...desh ke karndhar doob kyon nahi marte in stithiyon par....योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-51399016189731765602010-05-30T12:35:08.224+05:302010-05-30T12:35:08.224+05:30सबसे बड़ा मुद्दा मंहगाई है, जिसके लिये सरकार जिम्मे...सबसे बड़ा मुद्दा मंहगाई है, जिसके लिये सरकार जिम्मेदार है, आदमी करे भी तो करे क्या...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-80849075002558639002010-05-30T12:18:38.982+05:302010-05-30T12:18:38.982+05:30एक जमाने में लोगों के लिये मीनाबाजार में "मौत...एक जमाने में लोगों के लिये मीनाबाजार में "मौत की छलाँग" बहुत बड़ा आकर्षण हुआ करता था। अब जमाना बदल गया और वह आकर्षण समाप्त हो गया। मुझे तो यही सुनकर आश्चर्य हो रहा है कि आज भी मौत कि छलाँग लगाने वाला है। प्रति छलाँग की कीमत दो सौ रुपये से भी कम होना तो शोषण है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-58268736367120714932010-05-30T12:15:01.833+05:302010-05-30T12:15:01.833+05:30जो चीज बहुतायत में पायी जाती है वह सस्ती होती है.
...जो चीज बहुतायत में पायी जाती है वह सस्ती होती है.<br />वैश्वीकरण की देनडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-23670128067939881812010-05-30T11:52:03.698+05:302010-05-30T11:52:03.698+05:30सच कहा आपने आज इस महंगाई के दौर में यदि कुछ सस्ती ...सच कहा आपने आज इस महंगाई के दौर में यदि कुछ सस्ती है तो वह इंसान की जान ही है जिसकी कोई कीमत नहीं |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-68073798576138599542010-05-30T11:52:03.699+05:302010-05-30T11:52:03.699+05:30देश में इतनी अधिक आबादी , गरीबी , महंगाई और बेरोज़ग...देश में इतनी अधिक आबादी , गरीबी , महंगाई और बेरोज़गारी है कि कोई भी कुछ भी करने को तैयार हो जाता है ।<br />बेशक मंगल सिंह को इसमें माहरत हासिल है , लेकिन ज़रा सी चूक मौत तो बन ही सकती है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-26004524780251719452010-05-30T11:45:35.343+05:302010-05-30T11:45:35.343+05:30ज़िंदगी को दांव पर लगाने की क्या मज़बूरी होगी ये त...ज़िंदगी को दांव पर लगाने की क्या मज़बूरी होगी ये तो सवाल सामने है ही एक और सवाल सामने है क्या सच मे इंसान की ज़िंदगी इतनी सस्ती है?मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-90813583933613894582010-05-30T11:36:11.146+05:302010-05-30T11:36:11.146+05:30मंगल सिंह आज़ाद का ये अपनी ज़िंदगी को जीने का जरि...मंगल सिंह आज़ाद का ये अपनी ज़िंदगी को जीने का जरिया है....सच ही कहा आज ज़िंदगी बहुत सस्ती हो गयी है.....यहाँ तो मौत के कुएं में छलांग इस लिए लगायी जा रही है जिससे जी सकें....पर जो लोग आत्महत्या कर लेते हैं ज़िंदगी से परेशान हो कर...<br /><br />आपके इस लेख से याद आया कि १९६४ में मेरठ में एक मेले में देखा था ये करिश्मा ..आज तक रोंगटे खड़े हो जाते हैं सोच कर ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com