tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post9124069244193366573..comments2023-10-30T16:58:10.967+05:30Comments on अमीर धरती गरीब लोग: वृध्दाश्रम बनते जा रहे हैं गाँवAnil Pusadkarhttp://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-64098288032612856402008-07-31T23:17:00.000+05:302008-07-31T23:17:00.000+05:30आक्रोशित जवान ( ?) को इस भूमिका में लिखते देखना स...आक्रोशित जवान ( ?) को इस भूमिका में लिखते देखना सुखद लगा पर अफसोस भी हुआ क्योंकि लेख का शीर्षक ही सारी बात कह देता है, आज के हालात पर।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-42211131515993459652008-07-18T23:58:00.000+05:302008-07-18T23:58:00.000+05:30thanks for appriciate blog. i read yours blog, the...<B>thanks for appriciate blog. i read yours blog, these r good. this is also very good. not even villeges small towns and kasbas r also going alone. they r going old. <BR/>its good thought... thanks</B>आमीनhttps://www.blogger.com/profile/16941934229646948818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-7975284069098897102008-07-18T18:34:00.000+05:302008-07-18T18:34:00.000+05:30जी हाँ आप किसी भी गाँव को उठा कर देखे अब वो उज्जवल...जी हाँ आप किसी भी गाँव को उठा कर देखे अब वो उज्जवल छवि वाले न गाँव है ,नो भोले भाले मासूम गाँव वाले ....बचपन में कभी नाना नानी के यहाँ जाते थे ,जमीन जायदाद के झगडे ओर गाँव की राजनीती से मन इतना खिन्न हुआ की मुझे याद नही पड़ता पिता ने पिछले २० सालो में कभी गाँव चलने की इच्छा जतायी होडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-62179010782549921172008-07-17T14:30:00.000+05:302008-07-17T14:30:00.000+05:30वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी कोई लौटा दे मुझ...वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी <BR/>कोई लौटा दे मुझे बचपन की रवानी....<BR/>आपके लिए इतना ही कह सकता हु। <BR/>इस बारे में आपसे एक सवाल है जिसका मैं जवाब भी चाहता हूं। एक समय ऐसा था जब आप गांव जाने के लिए दीपावली-दशहरे और गर्मियों की छुट्टियों का इंतजार करते थे, क्या गांव जाने वैसी ही बेसब्री आज होती है। क्या दिमाग में बगैर जोर डाले बता सकते हैं कि पिछली बार कब आपका गांव जाना हुआ था। सच है कि हम लोगों ने ही गांव से दूरियां बना ली है। आपको तो गांव जाने लंबा फासला तय करना पड़ता है, लेकिन मेरा गांव रायपुर से महज 50-60 किलोमीटर दूर है, लेकिन मुझे ठीक से याद नहीं कि कब वहां गया था। यह बात मुझे काफी खलती है। काफी दिनों से प्लानिंग कर रहा हूं कि रेगुलर गांव के टच में रहूंगा। अब आपके लिखने के बाद अपनी बेटी को भी गांव ले जाता रहूंगा।Samrendra Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02205863005513141637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-36976270957836024732008-07-16T20:33:00.000+05:302008-07-16T20:33:00.000+05:30मे अपने बच्चो को बताता था, की भारत के गाव मे भगवान...मे अपने बच्चो को बताता था, की भारत के गाव मे भगवान बसता हे, मेने कई बार बचपन मे अपनी छुट्टियां गाव मे बिताई हे,जेसा आप ने अपने लेख मे लिखा हे पहले सभी जगह ऎसा ही होता था,मां के गाव मे सभी मामा, ओर नाना,या फ़िर मोसी ओर नानी ही होती थी, ओर अपने गाव मे दादा, चाचा,ताऊ या फ़िर दादी, चाची ओर तायी, आप के लेख से पता चला की अब गाव पहले जेसे नही रहे, मे तो वो बाजरे, ओर मक्की की रोटिया भी नही भुला,<BR/>आप के बांल्ग पर पहली बार आया ओर मन्त्र मुगध हो गया, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-35919318354930625072008-07-16T09:05:00.000+05:302008-07-16T09:05:00.000+05:30सबो जगा यही हाल हे जी काला अपन पिरा कहय का शहार का...सबो जगा यही हाल हे जी काला अपन पिरा कहय का शहार का गाव आप बहूत कलम के धनी हो बहूत सुभ्-कामनाphotohttps://www.blogger.com/profile/16500177381748748500noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-43231044606552772872008-07-15T22:39:00.000+05:302008-07-15T22:39:00.000+05:30आपने तो बचपन की बहुत सी यादें ताजा कर दीं. वाकइ, अ...आपने तो बचपन की बहुत सी यादें ताजा कर दीं. वाकइ, अब गांवों की यही हालत है. शायद, मजबूरीवश.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-888249383229493424.post-38842952972190396592008-07-15T22:36:00.000+05:302008-07-15T22:36:00.000+05:30वास्तव में आप ने जो बदलाव गाँव में देखा है वैसा ही...वास्तव में आप ने जो बदलाव गाँव में देखा है वैसा ही कुछ हाल इधर राजस्थान के गाँवों का है। वास्तव में गाँव बरबाद हो रहे हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com