Thursday, October 22, 2009

सार्वजनिक नलों पर लड़ते-झगड़ते लोग भी ऐसी नंगई नही करते

एक माईक्रो पोस्ट।माईक्रो पोस्ट इसलिये कि इस मामले मे जितना भी लिख लो बेशर्मो को कोई फ़र्क़ नही पडने वाला।कल से सोच रहा हूं कि इस पर लिखूं या नही।लिखने की इच्छा तो नही हुई मगर दिल नही माना।अगर बेशर्मी का विरोध भी नही किया जायेगा तो शायद उनका हौसला और बढेगा यही सोच के थोडा अपनी भी जुबां को गंदा कर रहा हूं।कल से सामाचार जगत की सुर्खियां बने रहे कमाल खान्।कोई देशभक्ति या महान समाजसेवा या इंसानीयत की मिसाल बनने लायक काम नही किया था उन्होने।उन्हे शायद कल से पहले सारे देश मे इतना नही जाना-पहचाना जाता होगा जितना हमारे भाईयों ने उन्हे पब्लिसीटी दे दी।और कमाल तो देखिये कमाल का गंदी-गंदी गालियां और दो कौडी के सस्ते सडियल गुस्से का इज़हार भर बस किया।जंहा किया,वंहा जो जाते थे उन्हे तो पता चला मगर बहुत से लोग जो उधर झांकते तक़ नही थे उन्हे हमारे खबरी भाईयों ने बता दिया।जितना ज़बर्दस्त कमाल खान ने किया उससे से ज्यादा खबरी भाईयों ने भी किया।एक नही सभी चैनलों की टाप न्यूज़ मे शामिल था कमाल खान कमाल।ऐसा लग रहा था खबरी भाई जो हर खबर को अपने अपने एंगल से देखते है,इस मामले मे बिलकुल एकमत थे।सभी लगे थे उसकी गंदगी के बहाने कार्यक्रम का ढके छुपे विज्ञापन करने में।ऐसा लग रहा था कि इतने विशाल उपमहाद्विप मे सब कुछ ठीक चल रहा हो और कमाल खान की बदसलुकी और बदतमीजी ऐतिहासिक घटना बन गई हो।जिस भाषा का इस्तेमाल हुआ उसे तो सार्वजनिक नलो पर पानी के लिये मारामारी करते लोग भी टक्कर नही दे सकते।और भद्दे इशारे उसमे तो कमाल खान ने नंगई के शायद रिकार्ड ही तोड़ डाले।और उसे दिन भर ऐसे कार्यक्रमो से दूर रहने वालों को समाचारों मे दिखा-दिखा कर खबरी भाईयों ने भी सबसे अलग,सबसे अच्छा होने के नये रिकार्ड बना लिये होंगे।पता नही क्या कल इस देश मे कुछ और नही हुआ क्या?क्या कंही बेरोज़गारी से त्रस्त युवाओं की फ़ौज़ नही नज़र आई?क्या महंगाई से परेशान लोगो पर भरी जवानी मे छाया बुढापा नज़र नही आया?कचरे के ढेर मे गुम हो रहा बचपन नज़र नही आया?कंही किसी नक्सली वारदात मे शहीद हुये लोगों के परिजनो के आंसूओं की बाढ नज़र नही आई?कंही बेईमानी की नींव पर बन रही बिजलीघर की धसक चुकी चिमनी के मलबे मे दबे सैकडो लोगों के मांस के लोथड़ो को अलग-अलग करने की नौकशाही की मज़बूरी नज़र नही आई?क्या पसीना बहा कर मुश्किल से पेट भरने वाले मज़दूरो के हाथों मे आक्रोश के पत्थर नज़र नही आये?क्या-क्या नही हुआ मगर मेरे खबरी भाईयों को शायद कमाल खान के कमाल के सामने सब फ़ीका लगा होगा।अब इसमे उनका भी क्या दोष,जैसा मालिक नचाये।भला मदारी का बंदर अपने मन से कभी कमाल दिखा सकता है?लगता है ज्यादा लम्बा हो रहा है।अंत मे एक ही बात कहना चाहूंगा कि ऐसी नंगई ही देखना होगा तो किसी सार्वजनिक नलों पर लड़ते-झगड़ते लोगों को ही देख लेंगे,काहे करोड़े रूपये खर्च कर दिखाये जा रहे कार्यक्रमों को देखें?वैसे उन बंदरो मे मै भी शामिल हूं लेकिन फ़िलहाल मदारी से छूटकर भागा हुआ हर डाल पर उछल कूद कर रहा हूं।आज़ादी का ज़रूरत से ज्यादा मज़ा ले रहा हूं और हर आते-जाते पर खो-खो,खी-खी कर रहा हूं।पता नही कब तक़,फ़िर किसी दिन मदारी के हाथ लग जाऊंगा तो वैसा ही नाचूंगा जैसा वो नचायेगा।वैसे आज़ाद होकर बंदर कर भी कर सकता है?सिवाय खो-खो,खी-खी के,क्यों गलत तो नही कह रहा हूं?शायद ये पोस्ट माईक्रो नही रही होगी?

34 comments:

Unknown said...

आज के जमाने में बेशर्मों को ही तो जगह मिलती है मीडिया में क्योंकि लोगों को भी गंदगी देखने सुनने की लत सी लग गई है।

P.N. Subramanian said...

चलिए हम तो बच गए. टीवी देखा ही नहीं. अब मीडिया वालों को तो हम रोक नहीं सकते.

संगीता पुरी said...

अब इसमे उनका भी क्या दोष,जैसा मालिक नचाये।भला मदारी का बंदर अपने मन से कभी कमाल दिखा सकता है?
सब बातें आपको मालूम ही है , फिर भी लिखते हैं !!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

एक आहssssssssssssssssssssssss
sssssssssssssssss इसके अतिरिक्त कुछ नही,

दिनेशराय द्विवेदी said...

नंगई का ऐसा प्रचार। हम बच गए। कल टीवी पर रेल दुर्घटना के समाचार के अलावा केवल बालिका वधू देखा था।

Shastri JC Philip said...

हम सब को समाज में ऐसा माहौल पैदा करना होगा कि नंगा हीरो बनने के बदले एकदम नंगा ही नजर आये.

सस्नेह -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

Aaadarniya Anil bhaiya..... saadar namaskar........

aapne bilkul sahi likha hai..... ki ab jaisa maalik nachaye........ par yeh kamaal khan....ko itna tool dene ki media ko kya zaroorat thi? jo gaaliyan kamaal khaan de raha tha kya wo sabhya samaaj mein dikhane layak tha..... shayad nahi..... par kya karen...... PVT. TV Industry par to koi censor hai hi nahi.....

aur aisa hi kuch mere saath blog pe bhi ho raha hai..... kuch log anonymous tippani mein mujhe bhi kamaal khan type gaali likh rahe they..... majbooran mujhe moderation lagana pada.... aur email mein bhi ulti-seedhi id bana kar gaaliyan de rahe they.....
main itna pareshan hoon..... ki kuch bhi creative nahin kar pa raha hoon.....

ab kya karoon samajh mein hi nahin aata.... majbooran moderation lagana pada..... aisa hi kuch moderation..... in reality shows pe bhi lagna chahiye..... sirf beep se kaam nahi chalega.....

Shri.Awadhiya ji...... ne ekdum sahi kaha hai.....आज के जमाने में बेशर्मों को ही तो जगह मिलती है मीडिया में क्योंकि लोगों को भी गंदगी देखने सुनने की लत सी लग गई है।....

Alpana Verma said...

अच्छा है यह चेनल[colours] और यह कार्यक्रम [big boss]यहाँ प्रसारित नहीं होता..
लेकिन 'आज तक'[जो यहाँ आता है] पर कई बार इस की झलकियाँ यह कहते हुए shaam tak दिखाई थीं की आज के एपिसोड में देखें..इस से यह तो तय है की कल यही सब से प्रमुख खबर लगी मीडिया वालों को ..जो बहुत ही अफ़सोसजनक बात है.

kulwant happy said...

बख्तियार ने कौन सा कम गंदा डाला। वो तो गंदी गालियों के साथ इशारों से भी काम ले रहा था।

Mishra Pankaj said...

अनिल जी पहली बात तो आपने एकदम सही लिखा है की बेशर्मो को कितना भी लिखो कोई फर्क नहीं पङता , और हां  कमाल खान के लिए खबरी चैनल के साथ साथ हमारे साबुन निर्माता रिन और ढेर सारे प्रायोजक भी थे  , अगर ये दोस्त कम दुश्मन लोग अपना ये पैसा कमाल खान के प्रायोजक बन्ने के बजाय इन पीडितो के लिए लगाया होता तो  कितना अच्छा होता , अरे इन बेशर्म खबरी वालो की तो ........................चलिए मै अपनी जबान गंदी नहीं करुगा ...

इनको ये नहीं पता कि यहाँ कितने लोग टी वी मलेरिया और डेंगू से जान गवा रहे है और ये महानायक के छिक की खबर को हौवा बना रहे है .......
हम सभी को इनकी निंदा पुरजोर करनी चाहिए और भगवान् से इनके लिए भी बददुआ मागणी चाहिए ............
आपका ये लेख पढ़कर जूनून आ गया इसीलिए इतना लिख दिया गर कुछ गलत लगे तो पुरी कमेन्ट को डिलीट कर दीजियेगा ...
सादर ,
पंकज

संजय बेंगाणी said...

मात्र सुना भर था कि कमाल को निकाल दिया गया. बाकी पता नहीं. परदे के देशभक्त है जी, परदे में ही रहे तो अच्छा है :)

Creative Manch said...

लोगों को गंदगी देखने सुनने की लत लग गई है ।
अफ़सोसजनक बात

Unknown said...

हम भी बच गये, द्विवेदी जी की तरह सिर्फ़ रेल दुर्घटना ही देखे,,, बाकी कुछ देखने का समय नहीं मिला…। आपने बता दिया ये अच्छा किया… वैसे अब ये कोई नई बात नहीं रही कि मीडिया (इलेक्ट्रानिक) में छिछोरों, अधकचरों और बिकाऊ लोगों की भरमार हो गई है… :)

Batangad said...

ये निहायत नंगे हैं और नंगई को सामाजिक मान्यता दिलाने का अभियान सा दिखता है

राज भाटिय़ा said...

भाई हम तो देखते ही नही टी वी, ओर हमारे यहां ऎसे भारतीय टी वी तो आते है, लेकिन वहां बकवास के सिवा कुछ नही आता, ओर फ़िल्मे भी उसे भी गंदी, इस लिये हम इस सारे कीचड से दुर ही भले.
धन्यवाद आप ने बताया,

premlatapandey said...

सूत्रधार महनायक हैं!पर...
नायक ऐसे हैं!

डॉ महेश सिन्हा said...

शायद यह पहला टीवी शो है जिसने शुरुआत से ही अपनी बुनियाद भौंडेपन पर रखी है . आश्चर्य इस बात पर हुआ कि किसी भी प्रतियोगी के चेहरे में कोई लज्जा नहीं दिख रही थी . क्या यही है बालीवुड की भाषा . दुःख इस बात का कि श्री बच्चन इसके सूत्रधार हैं

शेफाली पाण्डे said...

हम तो इन कार्यक्रमों को देखने
की अपेक्षा टॉम एंड जेरी देखना पसंद करते हैं ...iseelie bach jate hain

Udan Tashtari said...

कल देखा टीवी पर....कितना गिर जाते हैं ये...अफसोसजनक.

Arvind Mishra said...

पंकज से सहमत!

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

इन बिग बॉस के खिलाडी [बीप ] समझते क्या है [बीप ] टाइम खोटी कर रहे है [बीप ] बीप ] अमिताभ बच्चन को तो १२५ करोड़ मिल गए उनकी बला से [बीईईप ] वैसे अभी तो पिक्चर बाकी है अभी तो कान बीप इप सुनते है अभी तो शर्लिन के जलबे बाकी है [बीप ]

विवेक रस्तोगी said...

अच्छा है व्यस्तता के चलते हम टीवी नहीं देख पाते नहीं तो और दिमाग खराब होता।

दीपक 'मशाल' said...

Bahut ashi baat ki aapne bhai ji lekin kahte hain na ki khag jane khag hi ki bhasha...
ye bhi vinay se nahin manne wale.

'Bhay binu hoye na preet'

मुनीश ( munish ) said...

Let us say "NO" to idiot-box or let us choose sensible channels only.

परमजीत सिहँ बाली said...

हमे तो इस तरह की नौटंकी वैसे ही पसंद नही आती सो देखते ही नही। वैसे आप की पोस्ट पढ़ कर लगता है की मीडिया का बस यही काम रह गया है कि इन नंगेडीओ का प्रचार करना।

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

भैया जी ये तो इन चोचले दिखने वालों का पिकनिक स्पॉट है और हम माध्यम वर्गीय जो इस तरह के चोचले करना चाहते हैं (ऎसी हसरत है जिनकी) वे ही इस नंगई में ......... होकर नाच रहे हैं.
ये देश है वीर जवानों का.....

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

मजबूरन ही सही हमने तो TV देखना ही छोड़ दिया... यहाँ अपने देश की गंदे टीवी चॅनल आसानी से उपलब्ध नहीं है | इश्वर से मानता हूँ की उपलब्ध हो भी नहीं .... "नंगई ही देखना होगा तो किसी सार्वजनिक नलों पर लड़ते-झगड़ते लोगों को ही देख लेंगे,काहे करोड़े रूपये खर्च कर दिखाये जा रहे कार्यक्रमों को देखें?"

क्या करें अपनी जनता भी तो वैसी ही हो रही है .. नंगाई ही देख रही है ...

छोटा पोस्ट था ... पर है असरकारक |

Sudhir (सुधीर) said...

आदरणीय अनिल जी,

वैसे तो सभी ज्ञानीजन कह ही चुके हैं किन्तु पत्रकारिता में बढती व्यवसायिकता और गिरते स्तर पर हमारा भी क्षोभ और आपत्ति का भी संज्ञान लिया जाए

सादर

Khushdeep Sehgal said...

अनिल भाई,
पहले तो देरी से हाजिरी लगाने के लिेए माफी चाहता हूं...ये प्रोग्राम जब शुरू हुआ ही था तो मैंने लिखा था कि ये अमिताभ बच्चन साहब को क्या हो गया है...जो कमाल खान जैसों के साथ खड़े नज़र आने लगे हैं...और वही हुआ जिसका मुझे डर था...काजल की कोठरी में रहने से कुछ तो मुंह पर कालिख लगेगी ही न...

जय हिंद...

अजित गुप्ता का कोना said...

भोगवादी सोच में केवल मनोरंजन ही प्रधान होता है। इसलिए खबरिये चेनल कहाँ चटपटा हैं, वहीं भगे चले आते हैं। हमारी युवा पीढी ऐसे ही लोगों को देखने के लिए भीड का हिस्‍सा बनती है और अपने कमरों में फोटों टांगती है। इन सभी का असली चेहरा क्‍या है, यह दिखायी दे रहा है।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

"आइये जानें क्यों यूरोपीय व कुछ एशियाई देश शून्य (ज़ीरो) को 'ओ' (O) बोलतें हैं?

Aaadarniya Anil ji..... yeh nayi post likhi hai..... dekhiyega plz...

योगेन्द्र मौदगिल said...

नंगों से भगवान बचाये......... पर कैसे...? सुना है वो भी नंगों से डरता है....!!!!

Abhishek Ojha said...

नंगई ही बिकती है जी. बेरोजगारी, महंगाई और गुम होते बचपन को कौन खरीदेगा !

शरद कोकास said...

कल से पूरे ब्लॉगजगत मे हल्ला मचा हुआ है कि अनिल भाई बहुत गुस्से मे है ।
पाबला जी की डेज़ी पर एक लेख देखें "पास पड़ोस " मे ।