क्या इस देश में समाचारो के नाम पर ऐश्वर्या का मां बनना,सैफ़ करीना का प्यार, ही बाकी रह गये हैं?
क्या इस देश में समाचारो के नाम पर ऐश्वर्या का मां बनना,सैफ़ करीना का प्यार,सलमान खान की शादी,सचिन का महाशतक,शाहरुख की रावण,रणजीत का राकस्टार,कोटला कि पिच,राहुल की ताज़पोशी,सामना का संपादकीय,और गुज़रात के दंगे ही बाकी रह गये हैं?
4 comments:
.... और यदि कुछ समय बच गया तो बिग बास के घर में बिग डाग अग्निवेश.....
यह वरिष्टों को ही शोभता है कि छुटभइयों को समझाएं कि -'भइये अक़्ल से कुछ तो काम लो... या ये बस लालाओं की ही तूती बजाने के लिए रख छोड़ी है'
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सही लिखा है अनिल जी,
कुछ इसी तरह का सवाल सबके मन में उठता है, अंग्रेजी मीडिया तो कुछ हद तक विचारित्प्रेरक मुद्दों को उठाता है अब भी... पर अपना हिन्दी मीडिया एक सर्कस जैसा हो गया है।
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यही सब देख कर लगता है कि पहले के दूरदर्शन समाचार ही अच्छे थे । पर हमारी हालत तो सांप मेंढक और लठ्ठे की कहानी के मेंढक जैसी हो गई है ।
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