एक नाबालिग लड़की की हत्या को देश के स्वयंभू ठेकेदार न्यूज चैनल देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री साबित करने पर तुले हुए है। ऐसा लगता है देश में आरूषि हत्याकांड के अलावा सब कुछ ठीक चल रहा है। बस्तर में नक्सली एक व्यापारी को चार दिन तक बंधक बनाकर रखने के बाद मार डालते है, मगर ये नेशनल न्यूज नहीं होती। कारण बस्तर के बीहड़ में ना कथित नेशनल न्यूज चैनल जाने की हिम्मत रखते है, न उनकी ओबी वैन वहां पहूँच सकती है और न ही बस्तर समेत छत्तीसगढ़ उनके टीआरपी वैल्यू पर खरा उतरता है। ऐसे में कथित नेशनल न्यूज चैनल पर सड़ी-गली खबरें देखकर कोफ्त तो होती ही है और खुद के पत्रकार होने पर भी शर्म आने लगती है।
आज टीवी पर कोई भी न्यूज चैनल ऑन करो तो एक नाबालिग बच्ची की हत्या को नमक मिर्च लगाकर परोसते चैनलों पर तरस आ जाता है। अपराध का महिमा मंडन कहीं देखना हो तो हमारे लोकतंत्र के कथित ठेकेदार सजग प्रहरी न्यूज चैनलों को देख लीजिए। अपराध के पीछे छिपे कारणों को ढूंढ निकालने की बजाए ये लोग उस अपराध को देश की अब तक की सबसे बड़ी मिस्ट्री साबित करने में जी जान से जुटे हुए है। उनका बस चले तो वे इसमें भी खेलों की तरह रिकार्ड बनाने और तोड़ने का सिलसिला शुरू कर दें। वे अपराधियों को राष्ट्रीय चैम्पियन की उपाधि भी दे सकते हैं।जब नेशनल न्यूज चैनल स्वतंत्रता संग्राम के गवाह येरवदा जेल को टाडा के आरोपी संजय दत्त से जोड़कर दिखाते है तो ये आजादी के लिए बापू की तपस्या का अपमान नहीं है तो और क्या है! इनका बस चले तो ये लोग येरवदा जेल की पहचान स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के लिये नहीं संजय दत्त के लिये बना दें।
ऐसा लगता है कि दिल्ली और उसके आसपास, जहां कथित नेशनल न्यूज चैनलों की ओबी वैन और रिर्पोटर बहूत आसानी से पहूँच सकते है उन्हीं जगह पर होने वाली घटनाऐं नेशनल न्यूज होती है। सुदूर नेफा में चल रहें अलगाववादी आंदोलन, उड़ीसा में गरीबी ओर भूखमरी का तांडव, उत्तर प्रदेश में अपराध की सत्ता, महाराष्ट्र में क्षेत्रीयवाद का नंगा नाच, विदर्भ में किसानों की आत्महत्या और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की समानान्तर सत्ता ये सब नेशनल न्यूज के कथित निर्माताओं, ठेकेदारों को नजर शायद ही आयें और ऐसा लगता है कि नजर आते भी हो तो भी उसे जस का तस दिखाने का दम उनमें है ही नहीं। इससे ज्यादा महत्वपूर्ण तो उन्हें सैफ और करीना कपूर का प्यार लगता है। इससे ज्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि अपने आप को स्वयं सर्वश्रेष्ठ घोषित कर चुका न्यूज चैनल सैफ और करीना के प्यार के इजहार पर राखी सांवत से प्रतिक्रिया लेता है। राखी सावंत सैफ की रिश्तेदार है या करीना की ये उस न्यूज चैनल का मूर्धन्य पत्रकार शायद ही बता सकता है।
ऐसी महान और खोजी पत्रकारिता आजादी के बाद से दिखीं नहीं थी। इलेक्ट्रानिक मीडिया के आने के बाद ही ऐसी प्रयोगवादी महान पत्रकारिता से देश का भला हो रहा है। सुबह उठते ही लोगों का भविष्यफल बताते न्यूज चैनलों को देखकर ऐसा लगता है कि मिट्ठू लेकर पत्रकार सड़क पर बैठ गया हो। अफसोस की बात है कि मै भी उसी जमात से हॅू। और इसलिये ज्यादा शर्म आती है। एक आरूषि की हत्या पर लगातार शोर मचा रहें कथित नेशनल न्यूज चैनलों का इस बात का तो शायद गुमान भी नहीं होगा कि वे बाप-बेटी के रिश्ते को कितना कमजोर कर रहें है। उन्हें तो पता ही नहीं होगा कि वे इस रिश्ते की पवित्रता पर अविश्वास की कालिख पोते जा रहें है।
खैर ये उनका अपना नजरिया हो सकता है लेकिन मेरा सवाल यह है कि क्या नक्सलियों द्वारा 20 व्यापारियों का अपहरण नेशनल न्यूज नहीं है! क्या बस्तर में हाईटेंशन लाईन गिरने से 5800 गांवों में हुआ ब्लैक आउट नेशनल न्यूज नहीं है! क्या आये दिन होने वाले लैण्डमाइन ब्लास्ट में पुलिस के जवानों की शहादत नेशनल न्यूज नहीं है! क्या आज भी नमक के बदले चिरौंजी खरीदने का व्यापार नेशनल न्यूज नहीं है! क्या बुखार से तपते आदिवासियों को चीटिंयों से भरे बोरे में बंदकर किया जाने वाला इलाज नेशनल न्यूज नहीं है! क्या हीरों की खदानों वाले प्रदेश छत्तीसगढ़ से मजदूरों का काम के लिये पलायन नेशनल न्यूज नहीं है! और भी ढेरो सवाल है मगर कथित नेशनल न्यूज चैनलों को क्रिकेट, अपराध, सेक्स औ सैफ -करीना फुरसत मिले तब तो वे देश में होने वाले लोकल समचारों की खबर ले पायेंगे।
6 comments:
बिलकुल सही नब्ज पकड़ी है आपने। सटीक और सामयिक लेखन के लिए साधुवाद।
बहुत सटीक प्रहार किया है आपने । अपने स्वयं के पेशे और दायित्व के उपर कलम उठाते हुए आपने निष्पक्ष राय प्रस्तुत की है ।
आभार
छत्तीसगढ का ब्लाग एग्रीगेटर
bahoot jordar
पुसदकर जी धन्यवाद, आपने जिन दुखती रगो पर हाथ रखा है उनसे शायद ही इन टी आर पी के भूखो को सरोकार हो। नेशनल चैनल का चाल चरित्र अब यही रह गया है। आपके साथ बहुतो को अफ़सोस है।
दूसरी बात आपके ब्लाग के वर्ड व्हेरीफ़िकेसन को लेकर जिससे कामेंट करने वालो को परेशानी होती है इसे हटाएं तो अच्छा रहेगा।
शेष फ़िर कभी...
उमेश सोनी
www.cgno.net
पुरी तरह सहमत हुँ!!!
सब टी आर पी का खेल है ॥
धन्यवाद पुसदकर जी ,अब आपके ब्लाग मे विचरण करने वाले आसानी से टिप्पणी भेज सकेगें।
www.cgno.net
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