छत्तीसगढ़ दक्षिण कोसल क्षेत्र को कहा जाता है। इसमें शिवनाथ नदी के उत्तर में रतनपुर के कल्चुरियों के अधीन 18 गढ़ थे और दक्षिण में 18। इस प्रकार कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ यहां थे जो इस इलाके के नामकरण का आधार बने। राज्य की खुबसूरती में पहाड़, जंगल, नदियां और झरने चार चांद लगाते हैं। भारत का नियाग्रा यानि सबसे चौड़ा जलप्रपात, चित्रकोट बस्तर की शान है। छत्तीसगढ़ का पुरातात्विक और सांस्कृतिक इतिहास काफी समृद्ध है। छत्तीसगढ़ का दक्षिण बस्तर और उड़ीसा का कोरापुट मिलकर दण्डकारण्य के नाम से विख्यात् था। बस्तर क्षेत्र के लिए चक्रकोट नाम के प्रयोग के उदाहरण भी मिले हैं। शिवनाथ इंद्रावती महानदी, मांड, रिहंद, ईब, शबरी,हसदो, खारून, पैरी, सोंढूर आदि नदियों ने इस इलाके को बेहद खुबसूरत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ये नदियां पेयजल की तो आपूर्ति करती ही है सिंचाई में भी इनका भरपूर योगदान है।
छत्तीसगढ़ में प्रागैतिहासिक युग में भी आदिमानवों के निवास के प्रमाण मिलते हैं। मानव सभ्यता के उदयकाल का भी छत्तीसगढ़ साक्षी रहा है। इसके प्रमाण रायगढ़ जिले के सिंघनपुर, बसनाझर, कबरा पहाड़, ओगना पहाड़, बोतलदा और राजनांदगांव जि़ले के चितवाडोंगरी में मिले हैं। आदिमानवों के बनाए पत्थरों के अलग अगल उपकरण महानदी मांड कन्हार, मनियादी और केलो नदी के किनारे के हिस्से में मिलते हैं। सिंघनपुर और कबरा पहाड़ के शैलचित्र प्रागैतिहासिक काल के मिले शैलचित्रों में अपनी अलग शैली और विविधता के कारण खासे चर्चित हैं। प्रागैतिहासिक काल के शव स्तंभों के बहुत से अवशेष रायपुर और दुर्ग जि़ले में मिले हैं।
पुरातात्विक महत्व के अलावा यहां की सांस्कृतिक विशेषता भी अपना अलग महत्व रखती है। इसे आदिवासियों का प्रदेश भी कहा जा सकता है। यहां रहने वाली गोंड, कंवर, कमार, बैगा, हल्बा, कोरबा, पंडो, बिहोर और बिंझवार आदि जनजातियां प्रमुख है। आदिवासी जनजातियां विवाह और पारंपरिक उत्सवों में नृत्य और संगीत की अद्भूत छटा बिखेरती है। अनेक रूपों और रंगों में थिरकते आदिवासी प्रकृति के साथ प्राकृतिक रूप से अठखेलयां करते हैं जीवन यात्रा पूरी करते हैं।
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है। हरे भरे खेतों से सजी छत्तीसगढ़ की धरती में अद्भूत मादकता और माधुर्य है। धान के खेत दूर तक नज़र डालो तो ऐसा लगता है कि धरती ने धानी चुनरिया ओढ़ ली है। लोककलाओं में भी छत्तीसगढ़ काफी समृद्ध है1 यहां के ददरिया, पंडवानी, करमा और सुआ आदि नृत्य और गीतों का सम्मोहन जगजाहिर है। खासकर पंडवानी की मशहूर कलाकार तीजन बाई को पद्मश्री से नवाजा जाना इस बात का सबूत है। तीजन बाई ने सारी दुनिया में पंडवानी के जरिए छत्तीसगढ़ की लोककला का लोहा मनवाया।
यहां बारनवापारा अचानकमार, उदन्ति, कांगेर जैसे अभ्यारण्य और राष्टीय उद्यान हैं तो चित्रकोट तीरथगढ़, मलाजकुण्डम जैसे खुबसूरत झरने भी। राजिम अलहाद रामगढ़ ताला, पाली, डिपाडीह, शिवरीनारायण, चंपारण्य, बारसुर, बस्तर, डोंगरगढ़, रतनपुर, दंतेवाड़ा, जैसे धार्मिक महत्व के स्थान हैं। यहां जैन धर्म के स्मारक मलहार, सिरपुर, महेशपुर, नगपुरा और आरंग में है, तो मुस्लिम समाज के लिए लुतराशरीफ खासा महत्व रखता है। कबीरपंथियों के लिए महत्वपूर्ण स्थान दामाखेड़ा भी यहीं है। सतनामी समाज के तीर्थस्थल गिरौधपुरी और भण्डारपुरी भी यहां है। रामवनपथगमन का मार्ग भी छत्तीसगढ़ को चीरता हुआ निकलता है। माता कौशल्या का मायका है छत्तीसगढ़। यहां हर बालक को भांचा कहकर राम का स्मरण किया जाता है। धार्मिक सद्भाव की परंपरा इस क्षेत्र की सबसे बड़ी खासियत है। पुरातात्विक और सांस्कृतिक धरोहरों से अटा पड़ा है छत्तीसगढ़।
आधे से ज्यादा हिस्सा जंगलों से आच्छादित है छत्तीसगढ़ का। साल और सागौन के जंगल यहां की प्रमुख वन संपदा है।च्यवनप्राश बनाने के लिए देश मे सबसे ज्यादा आंवला छत्तीसगढ़ ही देता है। चॉकलेट को पिघलने से बचाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल के लिए साल बीज भी छत्तीसगढ़ ही देता है। बांस, महुआ, चिरौंजी, काजू, इमली, तेंदूपत्ता, बिड़ीपत्ता, क्या नहीं देते छत्तीसगढ़ के जंगल। यहां बस्तर के जंगलों में विलुप्त हो रही पहाड़ी मैना भी मिल जाएगी तो शेर, भालू, हिरण के अलावा वनभैंसे, गौर यहां के जंगलों में प्रमुखता से पाए जाते हैं। हाथी, तो इतने हैं कि वे अब आतंक का पर्याय बनते जा रहे हैं। मगरमच्छों की पूरी बस्ति रहती है कोटमीसोनार नामके गांव में। यहां के बच्चे तालाब से निकलकर घूमते मगरमच्छों की पूंछ को रस्सी से बांधकर खेलते हैं। इसे मगरमच्छ पार्क भी बनाया जा रहा है। और भी बहुत कुछ है छत्तीसगढ़ में। खनिजों के मामले में तो ये देश में अपना विशिष्ट स्थान हासिल कर लेगा। इसीलिए मैंने अपने ब्लॉग का नाम रखा है अमीर धरती गरीब लोग। धन संपदा से गरीब ज़रूर हैं यहां के लोग लेकिन संस्कृति पुरातत्व, संस्कार और सद्भाव के मामले में बहुत अमीर है यहां के लोग।
17 comments:
अनिल जी आज तो आपने घर बैठे ही जन्नत की सैर करवा दी !
कितना कुछ है आपके प्रदेश में ! एक बार दामाखेडा जाने का
शौभाग्य जरुर मिला था ! आपकी पोस्ट पढ़ कर लग रहा है की
फ़िर से छतीसगढ़ आना ही पडेगा ! आपने बहुत सुंदर विवरण दिया है !
पर एक जिज्ञासा है की अगर कोई वहाँ घूमने का प्रोग्राम बनाता है
तो इन सब जगहों के लिए कोई पर्यटन निगम आदि की क्या
व्यवस्था है ? बहुत धन्यवाद !
बहुत ही उम्दा आलेख. छत्तीसगढ़ के विषय में जानकारी से भरपूर..मेरे बचपन का एक अंश भिलाई में गुजरा है और खूब सैर की है रायपुर, दुर्ग से बस्तर तक. बड़ी सारी यादें जुड़ी है इस प्रदेश के साथ.
आज आपने दिल खुश कर दिया छ्त्तीसगढ को नमन करती डां वर्मा की कविता याद दिला दी !!
अरपा पैरी के धार
महानदी हे अपार
ईंद्रावती हर पखारै तोर पईंया
जय हो जय हो छ्त्तीसगढ मइंया ॥
धन संपदा से गरीब ज़रूर हैं यहां के लोग लेकिन संस्कृति पुरातत्व, संस्कार और सद्भाव के मामले में बहुत अमीर है यहां के लोग.......मन ललच गया छत्तीसगढ़ घूमने के लिए.......... छत्तीसगढत्र के बारे में जानकारी देने के लिए धन्यवाद ।
जय हो !
बहुत सजीव चित्रण किया बडे भाई आपने, आभार ।
अनिल जी आप ने तो अपने लेखो मे जिस प्रकार छत्तीसगढ़ के बारे मे लिखा हे ओर चित्र दिये हे उस से तो यह प्रदेश स्विट्र्जर लेंड से भी सुन्दर लगता हे वेसे स्विट्र्जर लेंड भी इतना सुन्दर नही बस हमारे फ़िल्म वालो ने इसे बना दिया हे उस से सुन्दर तो हमारा बबेरिया ही हे, जब कभी भी मोका मिला भारत के अलग अलग प्रदेशो मे जरुर घुमे गे.
धन्यवाद
bahut badiya, jankari ke liye aabhar.
Nice one.
ek baat aur hai, india ka sabse Ameer aadmi bhi yehi ka tha. None other than HARSHAD MEHTA. He had a tea stall and a rental libraby near Railway station location at Raipur.
यह फोटो किस जंगल की है अम्बरीश
छत्तीसगढ़ दर्शन अच्छा लगा !
"its so amezing, after reading this artical it seems like a heaven so wonderful descritpion with eyecatching natural pics of waterfall. thanks for sharing with us"
Regards
आपने पहले ही अपने ब्लॉग का नाम अमीर धरती लिखा है.....आज ये भी बता दियां क्यों ?
आपके लेख ने तो छतीस गढ़ की यात्रा करवा दी ...अच्छी जानकारी दी है आपने
काफी अच्छा लगा ये भ्रमण। अब तो लगता है कि ये एक बार तो ये जलप्रपात तो देखना होगा ही। बेडाघाट जबलपुर वाला मैंने देखा है।
sundar likha hai, chhatiishgarh dekhne ki ichcha jagrat ho gayi
बढ़िया लिखा है. दुख इस बात का है कि जो बातें साल भर लिखी जा सकती थीं उन्हे एक ही बार में निपटा दिया. बहुत ही ग़लत बात है.
jab pahlee bar raipur aaya tha teen sal pahle sab se pahle aap se dosti chahi thi .aaj tak nahi mili.kaise prapt honge aap bata
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