शिवराज पाटिल की नैतिकता कल जागी और उन्होने इस्तीफ़ा दे दिया या उनसे इस्तीफ़ा ले लिया गया। अब विलासराव का भी नंबर लगता दिख रहा है। हमारा सवाल ये है मैडम की क्या इस्तीफ़े इस बात की गारंटी दे सकते है की मुम्बई या देश मे कही और बम नही फ़ूटेंगे,कही गोलिया नही चलेगी,या निर्दोष लोगो की जान नही जायेगी?अगर इस्तीफ़े के मतलब ये नही है तो जनता को इतना मूर्ख मत समझिये वो सब समझती है कि शिवराज की नैतिकता खूनी खेल खतम होने के बाद क्यो जागी?अगर उनमे या उनकी पार्टी के नेताओ मे ज़रा भी नैतिकता होती तो इस्तीफ़ा हमला शुरू होते ही हो जाना चाहिये था।जनता को मूर्ख मत समझिये,उसे अकल आ चुकी है,इसिलिये दशको तक इस देश पर एक छ्त्र राज करने के बाद आप लोगो को सत्ता मे बने रहने के लिये समर्थन की भीख मांगनी पड़ती है। अब हमे कठपुतलियों के इस्तिफ़े नही,आतंकवाद से मुक्ति की गारंटी चाहिये?
जनता अब समझदार हो चुकी है उसे अगले चुनाव को ध्यान मे रख कर उठाये कदम समझ मे आ रहे है।शिवराज की नैतिकता क्या कुम्भकरण है जो इतने साल बाद जाग रही है?क्या इससे पहले क्या नैतिकता को जगाने लायक हादसे,या हमले नही हुए है इस देश मे?और फ़िर नैतिकता की बात करने का तो अधिकार इस देश के सभी नेताओ ने उस दिन खो दिया था जब लोकतंत्र के पवित्र मंदिर मे खून की होलि खेली गईं, नोटो की गड्डिया दिखाई गई। ढग से सज़ा भी तो नही दे पाये आप लोग और बात कर रहे हो नैतिकता की।
नैतिकता-फ़ैतिकता कुछ नही है जैसे रावण ने सारे योद्धाओ के मारे जाने के बाद कुम्भकरण को उठाया था ठीक वैसे ही शिवराज की नैतिकता को जगाया गया है और युद्ध यानी चुनाव के लिये बकरा बना दिया गया है।क्या जनता इतना नही जानती कि उनके इस्तीफ़े का कोई मतलब नही है?उनका होना या नही होना एक बराबर है?उनकी हैसियत एक कठ्पुतली से ज्यादा नही है?सिर्फ़ उनकी क्यों सारे मंत्रियो की हालत उन्ही के जैसी है?और फ़िर इस बात की क्या गारंटी है की उस अण्णा यानि शिवराज से ये अन्ना यानी चिदंबरम बेहतर साबित होंगे?उनका हिसाब-किताब और बही-खाता जनता के पास पहले से है।शिवराज के पास बढ्ते आतंकवाद का ग्राफ़ था तो चिदंबरम के पास महंगाई का ज़बर्दस्त रिकार्ड है।शिवराज के कार्यकाल मे भी लोग मरे है और चिदंबरम के भी,अब ये अलग बात है कि कोई आतंकवादियो की गोलियो का शिकार हुआ तो कोई महंगाई और शेयर बाज़ार का।दोनो ने कंट्रोल की बात करते-करते सिटुयेशन कंत्रोल के बाहर कर दी।
खैर जनता को इस बात से फ़र्क नही पड्ता की अण्णा रहे या अन्ना।उसे तो बस इस बात की गारंटी होना की वो बिना डर घर के बाहर निकल सके और बिना घायल हुए घर वापस लौट सके।उसकी खबर उसके घर वालो को चैनल वाले ये पूछते हुए ना दे कि कैसा लग रहा है आपको?कया फ़र्क़ पडा है मण्त्री बद्ले जाने से?उसे अपने आप को सुरक्षित होने का आप एह्सास करा दीजिये फ़िर चाहे जिसे मंत्री बनाये कोई फ़र्क़ नही पडने वाला।
अच्छा हां एक बात और क्या पूरे देश के नेताओं मे एकमात्र शिवराज ही है जिनकी नैतिकता भले देर से जागी हो लेकिन जागी तो सही।क्या दागी और बागी नेताओ की नैतिकता कभी जागेगी?क्या विवादो मे घिरे नेताओ की नतिकता जागेगी?और भी बहुत से असफ़ल मंत्री और मुख्यमंत्री है क्या उनकी नैतिकता को भी जगाया जायेगा?क्या मुम्बई के हमलो के लिये सिफ़ शिवराज दोषी है?क्या उनकी सरकार के मुखिया की नैतिकता कभी जागेगी?क्या नैतिकता के नाते सरकार इस हमले की जिम्मेदारी खूद लेकर इस्तीफ़ा देगी?क्या जनता का खो चुका विश्वास जीतने के लिये जनमत हासिल करेगी?
नही दरअसल किसी की कोई इच्छा नही है कि उनका राज-पाट चला जाये।उनमे कोई नैतिकता-फ़ैतिकता नही होती।उन्हे फ़र्क़ नही पड़ता जनता जी रही है या मर रही है?उन्हे इस बात की भी चिंता नही है लोग महंगाई से त्रस्त है,और आत्महत्या कर रहे है? क्यों नही जागी शरद पवार की नैतिकता जब उन्ही के प्रदेश के किसान कर्ज़ मे डूब कर मर रहे है?नही जागी वो तो समझ मे आता है लेकिन मैड्म भी तो नही जगा पा रही है उनकी नैतिकता को?आखिर वो शरद पवार है,उनका पावर जानती है मैडम?एक बार उनकी नैतिकता जागी थी तो अभी तक़ कुर्सी पर बैठ नही पाई है,फ़िर जाग गई तो राज-पाट छिन जायेगा।वो शरद पवार है शिवराज नामकी बकरी नही जिसे नैतिकता के नाम पर नाक बचाने के बदले कटवा दिया जायेगा? नैतिकता की बाते छोडो मैडम जनता को तो बस चैन से जीने की गारंटी दो।इस्तीफ़ा नही चाहिये। आप लोगो की तरह ठाट-बाट भी नही चाहियें। नैतिकता भी नही चाहिये।बस चैन से जीने और ज़िंदा रह्ने की गारटी चाहिये।वैसे मैड्म एक बात और बताऊं सैकडो लोगो की जान की कीमत एक कठ्पुतली का इस्तीफ़ा नही चुका सकता।किमत तो चुकानी होगी सरकार को।
21 comments:
भाऊ यह "नैतिक" नहीं राजनैतिक इस्तीफ़ा था, वैसे आपने सदी का सबसे बड़ा जोक सुना या नहीं? मोईली साहब फ़रमा गये कि "कांग्रेस में नैतिकता बची हुई है…"
sahi hai humko aatank se chutkara chahiye,ek sarthak lekh raha.
हमे कठपुतलियों के इस्तीफ़े नही,आतंकवाद से मुक्ति की गारंटी चाहिये?
" "बिल्कुल सच कहा, हर भारतीय की यही मांग हैं, एक इस्तीफा देगा कोई दुसरा भाई बंधू आ जाएगा.."
काहे की नैतिकता, हमारा समाज ही दोहरे चरित्र का है, फिर यह तो उसकी गंदगी की पैदावार हैं.
कांग्रेस ने एक ही तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है। शिवराज के बहाने चिदम्बरम को भी हटा दिया। जनता आतंकवाद की तरह ही महंगाई से भी बुरी तरह त्रस्त है। और उसके लिये पत्यक्ष रूप से चिदम्बरम जिम्मेदार हैं।
मुम्बैइ का युद्ध कांग्रेस के नीतियों का परिणाम है। पूरी सरकार की जिम्मेदारी है, न केवल शिवराज पाटिल का।
बिल्कुल सही कह रहे है अनिल जी !! हमारे सांसद महोदय से एक शब्द नही फ़ुट रहे है ना जाने कहा दुबके पडे है !!
जिंदा है तो जिंदा नजर आइये यु पी ए हटाइये देश बचाइये !!
सही कहा आपने .....वही अहम् है
इस्तीफा यह स्वीकारोक्ति ही तो है की साढ़े चार सालों तक एक निकम्मे को हमने गृह मंत्री रखा. अब देश बरबाद करके इतीफा दे ही देने से क्या होगा?
हमे कठपुतलियों के इस्तीफ़े नही,आतंकवाद से मुक्ति की गारंटी चाहिये?
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गूलर के फूल मांग रहे हैं आप शायद।
सही कह रहे हैं आप। नेताओं के इस्तीफे जनता को बरगलाने की चाल है, इसका आतंकवाद के खात्मे की इच्छा शक्ति या संकल्प से कोई लेना देना नहीं है। इस्तीफों पर कौनसे देश की जनता को आतंकवाद खत्म करने के स्टाम्प लिखने है। चुनाव हैं इसलिए ये दिखावा किया जा रहा है... धिक्कार है इन नेताओं पर।
इसे कहते हैं बिना गोली खाए राजनीतिक मौत..
ये सब धोका है. अगली चुनाव के लिए किया जा रहा छलावा. जनता समझती है और अब जागृत हो चली है.इन सबको हिसाब देना होगा.
बिल्कुल सही कह रहे हैं ..धिक्कार है इन नेताओं पर....
यह हमे मुर्ख समझते है, अगर जनता मे थोडी भी अकल हो तो इन्हे आधी वोट भी मत दे, फ़िर यह अपना इस्तीफ़ा अपने पीछे.....
आप ने बहुत सही कहा
धन्यवाद
Agar Congress me NAITIKATA rahti to, wah usi din jis din Amar Singh ne Delhi Terrorist encounter to FARZI sabit sare aam kaha aur mare gaye Terrorist ke ghar me milane UP gaye they usi waqt AmarSingh ki party ko do laat mar kar MID TERM election declare kar deti.
Aaj TV me samachar suna hai ki PAKISTAN INDIA KO saat dino me most wanted terrorist ko hame hand over kare, very strict demand kiya hai.
Aakhir Indira Gandhi ke style me aa hee gayi govt. aur INDIA- PAKISTAN war sunishcit sa ho gaya hai.
Kyon ki yehi ek dawai bachi hai jis se Gaddi bachi rahe angle election me. Rahi baat mahangai, financial condition ko suffer karne ki to.. mahangai abhi bhee uchttam star par hai aur financial crises world wide worst hai.
GADDI NAHI CHHODENGE YEHI NAITIKATA HAI.
WOH JANTE HAI KI...deshwasi toh election ke tamashe ke joker hai muft ki 180ml DARU pee kar iska lutfa udhaten hai.
PAKAD PAKAD KE LAAT MARO IN SARE POLITICIANS AND CORRUPT OFFICERS KO, FIR DEKHO YEH LATKHOR APNI JAAN BACHANE KYA KARTEN HAI.
nice article.
लेकिन मुझे तो नहीं लगता कि वर्तमान दौर में ऐसी गारन्टी देने वाला एक भी व्यक्ति मौजूद है इस देश में।
good article
नेता और नेतिकता का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं होता नेता का सम्बन्ध है निकम्मे पन से...एक आध नेता कोई अपवाद हो तो बात अलग है वरना सभी एक जैसे हैं...एक जाता है और दूसरा वैसा ही आ जाता है...नाम ही बदलता है बस...नाग नाथ के जाने सांप नाथ के आने में कोई अन्तर नहीं है...
नीरज
आपकी बात सही है मगर इस्तीफा भी अपने आप में कम नहीं है क्योंकि कुछ और नेता (अछूतानंद) तो इस्तीफा देना तो दूर शहीदों को गरिया भी रहे हैं पूरी अकड़ के साथ. कोई दूसरे अगली फ़िल्म के प्लाट पर वी आई पी टूर करा रहे हैं अपने स्टार पुत्र और एक स्टार निर्देशक को.
good
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