मुम्बई पर हुए आतँकी हमले के दौरान एक खबर ने ध्यान खिँचा ज़रुर मगर उसे सुर्खिया नही मिल पाई.वो खबर अँडर प्ले हो गई.दैनिक भास्कर ने शनिवार के अँक मे फ्रँट पेज पर छापा था उस खबर को.दैनिक भास्कर के मुताबिक सपा के राज्य सभा सदस्य अबू आज़मी के मैनेजर नज़म आतँकियोँ की गोली से घायल हो गये.होटल के कमरे मे फँसे सउदी दूतावास के एक अधिकारी को निकालने के लिये आज़मी अपने मैनेजर व समर्थको के साथ वहाँ पहुँचे थे.इसी दौरान आतँकियोँ की ओर से हुई फायरिँग मे नज़म ज़ख्मी हुए. आखिर साँसद अबू आज़मी कैसे और किस अधिकार से आराम से ताज गये और वँहा फँसे साउदी दूतावास के अफसर को बाहर निकाल लाये.
अब् सवाल ये उठता है कि अबू आज़मी किस हैसियत से साउदी अफसर को छुडाने ताज होटल पहुँचे थे?और अगर वे वहाँ पहुँचे भी तो उन्हे और उनके मैनेजर और समर्थकोँ को वहाँ कैसे जाने दिया गया?आखिर साउदी अफसर का अबू आज़मी से रिश्ता कया है?साउदी दूतावास के लोगो ने भारत सरकार को छोड अबू आज़मी से ताज मे फँसे अपने अफसर को छुडाने के लिये कयोँ सँपर्क किया?पल-पल की और जो नही देनी चाहिये वो खबर भी देने वाले मीडिया की नज़र से इतनी बडी खबर कैसे बच गई? क्या उन्हे ये पता नही चला या वे इस खबर को बताना नही चाहते?एन एस जी के अफसरो के मना करने के बाद भी अँदर आतँकी होने की खबर देते रहने वाले मीडिया की नज़र इस खबर पर कैसे नही पडी?क्या इस महत्वपूर्ण खबर का पोस्ट्मार्टम मीडिया के लिय ज़रुरी नही था?ऐसे बहुत से सवाल उठ रहे हैँ उस खबर के बाद जिस पर विचार करना ज़रुरी है.
आखिर ये मामला देश् मे हुए सबसे बडे आतँकी हमले से जुडा हुआ है.एक साँसद का वहाँ जाना और भी वो दूसरे देश के अफसर को बचाने के लिये.इससे तो साफ साबित होता है कि अबू आज़मी को आतँकियो का कोई खौफ नही है? या फिर उन्हे इस बात की गारँटी थी कि उन्हे कुछ नही होगा?अन्यथा कोई अपनी जान खतरे मे डाल कर दूसरे देश के आदमी को क्योँ छुडाने,बम और गोला-बारुद के धमाको के बीच जाता?आखिर कोई न कोई बात तो ज़रुर है,अगर दैनिक भास्कर मे छ्पी वो खबर सच्ची है तो.
30 comments:
अनिल सर
ऐसी कई बाते हैं जो इस देश में छिपाई जाती हैं। अगर खबर एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ हो तो उसे ये कहकर दबा दिया जाता है कि सांप्रदायिक सौहार्द्रता पर असर पड़ेगा और अगर वहीं कोई खबर संप्रदाय आम के खिलाफ हो तो उसे दिखाना अनिवार्य हो जाता है क्योंकि तब देश के प्रति फर्ज याद आ जाता है। मुंबई में आतंकवादी हमले पर उर्दू अखबारों के संपादकीय पढ़ लीजिए। उन्होंने इसे अलग ही रुख दे दिया है।
पूरे मीडिया जगत में फर्जीवाड़ा चल रहा है।
अनिल जी आप की खबर बहुत मायने रखती है
इन्ही चूको का खामियाजा तो हम भुगतते आए हैं पुदस्कर जी !
धर्म-निरपेक्षता का मुलम्मा केवल हिन्दुओं को बेवकूफ बनाने के लिये है, लेकिन जो खबर आपने दी है, वह बडी ही गंभीर है, आखिर आजमी कैसे वहां चले गये, और कैसे वापस आ गये, क्यों आतंकवादियों ने उनसे कुछ नहीं कहा, आजमी तथा सऊदी अरब सरकार दोनों की जांच होना चाहिये.
अनिल जी, कुछ भी हो लेकिन हर दहशतगर्द के सीने में एक नाजुक दिल भी धड़कता है, जो अपने भाई-बंद पर गोली नहीं चला सकता.
अबू साहब को इसी भाईचारे का पूरा ज्ञान था. वे गुनाहगारों के बीच से एक बेगुनाह को बचाने के लिए अपने भाइयों के पास गए थे. उनकी इस दरियादिली को अन्यथा न लिया जाय. यह साम्प्रदायिक सौहार्द के ताने-बाने के लिए खतरा है.
अनिल भाऊ एक अंतर्राष्ट्रीय खबर और भी है कि आतंकियों ने इटली और सऊदी अरब के पासपोर्ट देखकर उन लोगों को छोड़ दिया है… लिंक आपको शीघ्र ही देता हूं… एक और ब्रेकिंग न्यूज मेरी तरफ़ से लीजिये कि लोकसभा का चुनाव जीतने के लिये कांग्रेस अब पाकिस्तान पर हमला करने जा रही है…
अनिलजी , अब राम जाने क्या सही और क्या ग़लत...? वक्त बीतने पर ही ये कहानियां सामने आयेंगी !
रामराम !
अनिल जी ,
शायद स्टार न्यूज़ पर मैंने अबू आज़मी की ३० सैकेंड की बाइट देखी थी । पत्रकार महोदय सांसद महोदय से अंदर का हाल जानना चाह रहे थे ,तब उन्होंने बताया कि वे अपने एक घायल मित्र को देखने अंदर गये थे । मेरा भी माथा ठनका था कि आखिर ये महाशय इस गोली बारी में जान जोखिम में डालकर अंदर क्या करने गये थे । घायल आदमी को तो वैसे ही सेना बाहर लाती । मैंने तो उसी दिन इस पर पोस्ट लिखने का मन भी बनाया था लेकिन देश के हालात के मद्देनज़र इरादा मुल्तवी कर दिया । इतिहास के आइने में अबु आज़मी की देशभक्ति संदिग्ध रही है । कहीं घायल मित्र आतंकी ही तो नहीं ....?
चुप रहिये, कोई सुन लेगा तो संप्रदाय विशेष का वोट नहीं मिलेगा ! आप समझते नहीं हैं, एक भाई क्या दुसरे भाई पर गोली चला सकता है ?
यह खबर तो सनसनीखेज़ है। इसकी गहराई में जाना होगा......
गजब का हिम्मती है ये आजमी। आखिर इसकी जांच क्यों नहीं होती।
यह देश अपने द्रोहियों को पहचानता ही नहीं
***राजीव रंजन प्रसाद
Ankhe Khol dene vali khabar.
स्थिति साफ़ होनी चाहिए . दूध का दूध पानी का पानी होना चाहिए
इतनी गंभीर ख़बर को मीडिया द्वारा नजरअंदाज करना समझ से परे है |
वाजिब सवाल हैं।
Are bhai log samjho, India ke paas kya hai?
Hamal,
Padhe likhe Hamal,
LEKIN
PETROL,DIESEL,CRUDE OIL HAI KYA?
nahi hai.
AB yehi desh ki majburi hai. yeh petrol,diesel,crude oil inhi baap log deten hai.
International terrorism bhi UAE ki funding se hota hai.
Commandos ne to inko hi pahle goli mar dena tha order follow nahi karne par.
Jab yeh Commando raipur me aaten hai kisi VVIP ke sath toh IG,DIG,MP,MLA ko dhakka mar ke bhaga deten hai.
Lagta hai Delhi Durbar se farman aaya hoga.
Main aapko ek vakaya batata hun.
CIA ne Osama Bin Laden ka thikana GSM se afganistan me pata laga liya tha, par jab satelite ke telescope se dekha to unhe wahan par UAE ke prince ka personnel aeroplane dikha. US govt. ne hamale ke order nahi diye kyon ki UAE se karodon rupiye ki weapon ki deal chal rahi thi... courtsey Discovery channel.
is bewaqufi ki kimat unhe 9/11 ke roop me chukani padi.
kya karoge, this is KUTNITI not RAJNITI
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shame on media
and shame on m......
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आज आपने हिन्दी ब्लाग की ताकत का अहसास करा दिया। अब मीडिया कितना भी बिके ब्लागर डंके की चोट पर सारे राज खोल देगा। आप इस मुद्दे को शांत न होने दे बल्कि कडी के रुप मे चलाते रहे ताकि परेशान होकर सरकार को जवाब देना ही पडे।
anil ji
Just possible the person intended to help with extraordinary courage but it should have not been ignored as a dare devil act of an M.P.instead proper inquiry and analysis is essential.Nodoubt words are not deeds but if deeds convey something fare or foul it should be well smell and given the praise reward or punishment.May be it could be an eye opener to our society.
आश्चर्य है कि उन्हें और उनके मित्र(?) को न एन एस जी ने सैनिताईज़ किया और न ही आतंकियों ने जन्नत-रसीद किया - मामले की जांच तो होनी ही चाहिए!
... प्रसंशनीय लेख है, आपने सही मुद्दा उठाया है, पर किसे कानों पे जूँ रेंगने वाली नही है!
अबू किसको लाये वहां से निकालकर? क्या वह इन आतंकवादियों का सरगना तो नहीं था?
अबू खुलेआम आतंकवादियों की पैरवी करते रहे हैं और समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष का बेटा बाटला कांड का संधिग्ध आतंकवादी था.
अन्दर जाते समय अबू आजमी अपने साथ क्या क्या लेगये थे?
अनेकों प्रश्न है अनिल भाई
कही ना कही उनसे जवाबदेही लेनी होगी ....ये राष्ट की सुरक्षा से जुडा मामला है
भइया, ऐसी ही निडर लोगों की वजह से देश का ये हाल है.
behad chintajanak khabar hai[agar sach hai to]!
-Lekin jawab talab karega kaun???
वैसे ही इस हमले ने झकझोर कर रख दिया है... ख़ुद की विचार धरा कहाँ से कहाँ पहुच गई है... आपकी इस ख़बर ने और हिला दिया. लानत है !
सही कहा बिल्कुल मुक्ति चाहिये इस आतंकवाद से...
कही यही साला तो नही इन सब का सरगना, क्या इस के जबाई लगते थे यह अतांकवादी, जिन्होने इसे छोड दिया, हमारी सरकार इस्तीफ़ा इस्तीफ़ा तो चिला रही है, इस बारे क्यो चुप हे????
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