Saturday, December 27, 2008
14 जिँदा बम मिलना क्या खतरे का सँकेत नही है?
एक माईक्रो पोस्ट.राजधानी रायपुर से महज 18 कि मी दूर् स्थित मँदिर हसौद गाँव के एक बडे कारखाने मे लौह अयस्क की रैक मे छिपा कर रखे गये, सेना द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले राकेट लाँचर के 12 जिँदा गोले मज़दूरो को नज़र आये.इस बात की खबर मिलते ही राजधानी मे हडकम्प मच गया.बाद मे 2 और गोले थोडा आगे माँढर रेल लाइन के किनारे लावारिस पडे मिले. लोहा कारखाने मे उडीसा की लोहा खदानो से मँगाये गये अअयस्क मे गोले किसने छिपा कर रखे?सेना के उपयोग मे आने वाले गोले बाहर कैसे आये? उसे रायपुर क्यो भेजा गया? यहाँ भेजने का क्या उद्देश्य था? ये विवेचना का विषय हो सकता है. मगर मेरा सवाल ये है कि क्या 14 जिँदा बम मिलना खतरे का सँकेत नही है?
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25 comments:
खतरे का संकेत तो है ही, यह लापरवाही का नतीजा है या फिर कोई षड़यंत्र ये पता लगाना है।
बिल्कुल है. हमें तो लगता है कि नक्सलियों के लिए कहीं से लादा गया होगा. क्योंकि वही उनका प्रयोग कर सकते हैं.
निसंदेह विवेचना का विषय है .....
भारत मै कुछ भी मिलना खतरे का संकेत नही, जब यहां संसद पर हमला करने वाला ऎश से रहता हो, एक टटु देश हमे आंखे दिखाता हो तो भी कोई खतरा नही, क्योकि हम अपनी सरकार निक्क्मो के हाथो सोंप चुके है.
धन्यवाद
क्या ये भी हिंदू आतंकवादी के ही थे :)
हमारी सरकार यानि भैंस और जनता यानि ताऊ ! अब ताऊ भैंस के आगे कितनी ही बीन बजाये ! भैन्स तो अपने हिसाब से ही गोबर करके दुध देती है ना ! :)
अब तो लगता है कि छत्तीसगढ़ भी सुरक्षित नही रहा।
क्या अनिल जी, यह खबर भी कोई खबर है? देखिये किसी चैनल पर आया? नहीं ना..
अगर यह किसी महानगर में फट जाता फिर यह खबर बनती.. फिर हमारे देश की एकता जागती.. इन छोटी सी बातों से कुछ भी नहीं होता है..
हर ओर खतरे हैं जी।
आपने जानकारी दी, तो पता चला की देश में क्या-क्या हो रहा है....
वाकई बहोत ही गंभीर विषय है...
लेटेस्ट क्या है !
चूंकि ये फटे नहीं इसलिये कुछ नहीं होगा, इससे पता चलता है कि सरकारी अधिकारी कितने भ्रष्ट हैं.
दस हजारा होने के लिये बधाई.
गंभीर विषय है...
भाई जी बम-बम बोलिए. मजाक नहीं कर रिया. बिना बम सब बेदम.
पैसे के लिए सेना के सामान की चोरी सामान्य बात हो गयी है भाईजी ! कुछ घटनाएँ बाहर आ जाती हैं...
नए वर्ष की शुभकामनायें स्वीकार करें !
जिस देश में कल्याणकारी राज्य से आशय सरकार बनानॆं और बचाए रखनें के खेल तक सीमित रह गया हो वहाँ ऎसे हजारों बम मिले तो भी कान पर जूँ नहीं रेंगनें वाली,शर्त यह है कि वह फटे नहीं।
First of all Wish u Very Happy New Year...
Gambhir bisay hai....
Regards
"नव वर्ष २००९ - आप के परिवार मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
regards
नव वर्ष के आगमन पर मेरी ओर से शुभकामनाएं स्वीकार कर अनुग्रहीत करें
अनिल जी नव वर्ष की पूर्व संध्या पर आप डरा रहे हैं :-)वैसे लगभग आधा २००८ इसी तरह डरते डरते बिता,अब इस वर्ष २००९ में सिर्फ़ खुशिया ही खुशिया होंगी ,आशा तो आज कर ही सकते हैं ,ईश्वर से भी यही प्रार्थना हैं की अब कोई बम विस्फोट न हो,आपको नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाये .
खतरा? ये तो आम बात है !
khatre ka sanket hi nahi hai bhayankar bhi hai par aisi laparwahiyan kab tak?
कहाँ गायब हो जी ?
वाह जनाब आप भी ब्लोग पर. कल हि मैंने द्दिल्ली स्केन में आपके ब्लोग के सन्दर्भ में पढा. कैसे है आप. बहुत दिनों के बाद interract हों रहा हु.
Dinesh Akula/
gambhir vishya hai.sarkaar kyu nahi chetti ....
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