आंख बंद कर भरोसा करना बहुत महंगा पड़ता है खासकर अनजान आदमियों पर भरोसा करना। भिलाई की एक ममता की मारी मां सब कुछ भूलकर 2 ऐसे साधुओं पर भरोसा कर बैठी जो उसी की इज्जत लूट बैठे। दोनों ने युवती की बच्ची की विकलांगता दूर कर देने का दावा किया था।
भिलाई के बजरंगनगर के एक युवती कल रात दो साधुओं की हवस का शिकार हो गई। साधू लाल योगी और हीरा योगी फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में है। दोनों साधू कल उसके मोहल्ले में घूम रहे थे। पीड़ित महिला की बच्ची विकलांग है और इस बात का पता चलते ही दोनों ने उसका ईलाज कर उसे पूरी तरह ठीक कर देने का दावा किया। ममता ने जोर मारा और ममता के जोर के सामने शायद उसकी सोचने-समझने की ताकत खत्म हो गई। अपनी बच्ची के ठीक हो जाने की कल्पना मात्र से वो सब कुछ भूलकर उन दोनों साधुओं को अपने घर पर ठहराने के लिए तैयार हो गई।
रात होते ही दोनों साधू शैतान में बदल गए और उन्होंने ईलाज के बहाने महिला की इज्जत उसकी बच्ची के सामने लूट ली। महिला अचानक साधुओं को शैतान में बदलते देख हैरान रह गई। लेकिन जैसे ही उसे अपनी इज्जत खतरे में नज़र आई, उसने चीखना-चिल्लाना शुरू किया और उसके शोर से अड़ोसी-पड़ोसी जागकर जब तक उसके घर में घुसकर उसे बचा पाते तब तक शायद देर हो चुकी थी। उसकी इज्जत लुट चुकी थी। अड़ोसी-पड़ोसियों को देखते ही सब समझ में आ गया और उन्होंने गुस्से में साधुओं को जमकर कूटा। सुबह होते ही दोनों साधुओं को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
साधुओं का जो होना है वो तो होगा लेकिन एक महिला का साधुओं पर आंख बंद करके भरोसा करना उसके जिन्दगी की सबसे बड़ी भूल साबित हुआ है। अब सवाल ये उठता है कि क्या उस महिला की अपनी बच्ची को ठीक कराने की ललक गलत थी या आज भी हमारा साधू-संतों पर आंख बंद कर भरोसा करना गलत है। आज भी मंदिरों और मज़ारों में मन्नत मांगते लोगों को बाबा और बैगाओं के चक्कर लगाते देखा जा सकता है। गली-मोहल्ले में उगते बाबाओं को देखकर लगता है कि उन्हें समाज की आस्था के अंधे होने का पता चल चुका है।
14 comments:
bahut hi galat ghatna hai...
साधु वे थे ही नहीं। वैसे भी विकलांगता की चिकित्सा केवल चिकित्सक ही कर सकते हैं। यह अशिक्षा और जनता की विवशता है जो उसे इन लम्पट अपराधियों का शिकार बनाती है।
अन्धविश्वास की परिणिति है तब भी लोग इन चक्करों मे फसे हुए है
बहुत शर्मनाक है ये घटना. अंधविश्वास का परिणाम कैसे कहें? तथाकथित साधुओं के चक्कर में देश में न जाने क्या-क्या हो रहा है.
काश कि कोई उपाय मिले और ऐसे साधुओं की दूकानें बंद हों. शायद शिक्षा और समझदारी ही एक उपाय है.
'मां' ने कोई गलती नहीं की । उस मनस्थिति वाली, निरक्षर और अन्धविश्वासों से घिरी कोई भी मां ऐसा कर ले - यह सहज, स्वाभाविक है । लेकिन अभी उसका लुटना बाकी है । हमारी 'व्यवस्था' दोनों लुटेरों को सजा दिलवाने में असफल ही होगी । उनका दण्डित न होना, अधिक पीडादायक होगा ।
Desh me ese kameene sadhuo ki kami nahi hai or log bhi andhavishwas me padakar sab kuch gava dete hai .
सही में आज अंधविश्वासों को दूर करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए !
रामराम !
राजिम कुंभ मे ऐसे ही पाखण्ड का नंगा नाच चला है और अनपढ की तो छोडीये बडे बडे नेता अफ़सर पत्रकार इनके आगे डंडाशरण हो गये थे और ये गंजेडी नशे मे धुत्त पडे थे जिससे राजिम के छोकरे मारपीट कर के गांजा वसुल लेते थे और बेलाही घाट मे छुपकर पिया करते थे !! हमारे गांव के एक आदमी ने भी ये भगवा कपडा पहनकर इन नेताओ और अफ़सरो से अपने चरण पुजाये है और मुफ़्त उपलब्ध गांजे का आनंद लिया है !!
ऐसे मे छ्त्तीसगढ मे ऐसा ना हो तो और क्या हो ?
चलिये इस ममता की मारी मां के साथ तो बुरा ही हुया, लेकिन यह सब अंधविश्वासों ही तो है, मन्नत मागंना, साधू सन्तो को भगवान से ऊपर समझना, अरे भगवान ने क्या इन लोगो को ठेका दॆ रखा है??अनिल जी मेने पढे लिखे लोगो को इन के चरण धोते देखा है,
अरे अपने कर्म करो,यही असली पुजा है,वेसे जब तक देश मै मुर्ख रहेगे इन बाबा लोगो का धन्धा फ़ेल नही हो सकता, ओर कई तो इन से बच्चे का आशीर्वाद भी ले कर आते है......
जिसे काम ना मिलता हो वह बाबा बन जाये, बस फ़िर देखे लोग तन मन ओर धन की कमी नही रहने देते.
धन्यवाद
शर्मनाक है यह कृत्य।
विष्णु जी की बात से सहमत हूँ. कहावत है कि डूबते को तिनके का सहारा. एक गरीब दुखियारी माँ तो किसी को भी अपना भगवान् माँ सकती है. वैसे भी ठगी विश्व का प्राचीनतम व्यवसाय है. सौ बात की एक बात यह कि इस तरह के गुंडों के साथ-साथ अंधविश्वास से भी जनता की रक्षा हो - इसके लिए जितनी ज़रूरत शिक्षा की है उतनी ही चिकित्सा एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं की भी है जिससे समाज का एक बहुत बड़ा तबका आज भी वंचित है.
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हर लाल धागा कलावा नहीं होता और हर भगवा वेश के अन्दर साधु नहीं होता, यह बलात्कारी थे जिन्होंने न केवल एक ममता को धोखा दिया बल्कि धर्म पर भी कुठाराघात किया, इन्हें सिर्फ फांसी होना चाहिये.
अंधविश्वास .अंधविश्वास ......अशिक्षा ओर अशिक्षा ....बस यही जड़ है
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