Wednesday, December 10, 2008

ये तो पब्लिक है सब जानती है

छत्‍तीसगढ़ को भले ही पिछड़ा राज्‍य माना जाता हो, लेकिन मताधिकार के मामले में वो काफी आगे है। इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया कि छत्‍तीसगढ़ की जनता शख्सियत, कद-काठी, रंग-रूप देखकर नहीं काम देखकर प्रतिनिधि चुनती है। बड़े-बड़े दिग्‍गज नेताओं को धूल चटा दी इस बार छत्‍तीसगढ़ की जनता ने।

विधानसभा अध्‍यक्ष प्रेम प्रकाश पाण्‍डेय, नेता प्रतिपक्ष महेन्‍द्र कर्मा, उपनेता भूपेश बघेल, कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष धनेन्‍द्र साहू, कार्यकारी अध्‍यक्ष सत्‍यनारायण शर्मा, ताकतवर मंत्री अजय चंद्राकर, गणेश राम भगत और मेघाराम साहू सारे अपना चुनाव हार गए। जनता ने किसी एक पार्टी के नेता को नहीं बल्कि सभी पार्टियों के साथ बराबर सलूक किया है। पिछली विधानसभा में एनसीपी के इकलौते विधायक और प्रदेश अध्‍यक्ष नोबेल वर्मा को भी इस बार जनता ने विधानसभा नहीं भेजा।

कांग्रेस के कार्यकारी अध्‍यक्ष सत्‍यनारायण शर्मा तो एक निपट देहाती किसान सरपंच से चुनाव हार गए। सत्‍यनारायण शर्मा 5 बार लगातार चुनाव जीतते आए हैं और कांग्रेस सरकार में ताकतवर मंत्री रहे हैं। उनका नंद कुमार साहू जैसे साधारण कार्यकर्ता से चुनाव हारना लोकतंत्र के लिए एक बहुत अच्‍छा संकेत है। महंगे होते चुनाव में एक साधारण आदमी का चुनाव जीतना शुभ संकेत ही है। इसी तरह आदिवासी नेता और सलवा जुडूम आंदोलन के स्‍वयंभू कर्ताधर्ता महेन्‍द्र कर्मा का एक नए चेहरे से पिट जाना भी इस बात को प्रमाणित करता है कि जनता अब पेपर टाइगरों पर भरोसा नहीं करती। उसे अख़बारों और विधानसभा में गरजने वाले नहीं विधानसभा क्षेत्र में काम करने वाले नेता चाहिए।

विधानसभा को पूरे 5 साल तक बेहद प्रभावशाली ढंग से चलाने वाले अध्‍यक्ष प्रेम प्रकाश पाण्‍डेय का चुनाव हार जाना भी जनता की जागरूकता का सबूत ही माना जाएगा। हालाकि प्रेम प्रकाश पाण्‍डेय ने भिलाईवासियों की दशकों पुरानी पानी की समस्‍या का निराकरण किया था लेकिन लगता है विधानसभा को दिया गया समय क्षेत्र को दिए जाने वाले समय से ज्‍यादा रहा और जनता ने इसका हिसाब चुनाव में पूरा कर दिया।

मंत्रियों में तेज़तर्रार युवा नेता अजय चंद्राकर भी एकदम नए चेहरे से बुरी तरह मात खा गए। अजय चंद्राकर ने अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव जीतने के लिए कोई भी हथकंडा अपनाने से परहेज नहीं किया था। इस चुनाव में धन की तो जैसे बाढ़ आ गई थी। बाहुबल का भी जमकर प्रदर्शन हुआ, लेकिन सीधे-सादे किसान लेखराम साहू ने उन्‍हें हराकर नया इतिहास लिख दिया। गणेशराम भगत और मेघाराम साहू को भी जनता ने नकार दिया।

विधानसभा में बेहद सक्रिय रहने वाले और कांग्रेस के कार्यकाल में मंत्री रहे तेज़तर्रार विधायक मोहम्‍मद अकबर भी एक नए चेहरे से बड़ी मुश्किल से चुनाव जीत पाए। अकबर को चुनाव मैनेजमेंट के लिए पूरा प्रदेश में माना जाता है। इसके अलावा 100 किलोमीटर दूर अपनी विधानसभा क्षेत्र की जनता के लिए उसने राजधानी में आवास और भोजन की पूरे 5 साल व्‍यवस्‍था कर रखी थी। उनके सारे काम करने के लिए बकायदा स्‍टॉफ भी नियु‍क्‍त कर रखा था। इसके बावजूद उनका चुनाव में संघर्ष करना कहीं न कहीं उनका मतदाताओं से सीधा संपर्क कम होने की चुगली करता है।

छत्‍तीसगढ़ की जनता ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वालों पर भी विश्‍वास नहीं जताया। जिन्‍होंने पार्टी छोड़ी उन्‍हें जनता ने भी छोड़ दिया। छोटी-सी विधानसभा में एक भी निर्दलीय को जनता ने चुनकर नहीं भेजा। निर्दलीयों को चुनना शायद जनता जानती है कि सत्‍ता के समीकरणों को बिगाड़ना है। बसपा के भी 90 प्रत्‍याशियों में से मात्र 2 पर जनता ने विश्‍वास जताया, जो अपने क्षेत्र में वाकई जनता जर्नादन की सेवा करते आ रहे थे। छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे ने साफ कर दिया कि पब्लिक सब जानती है। वोटों के हथियार को भी इस्‍तेमाल करने में भी जनता ने कोई कसर नहीं छोड़ी। शहरी क्षेत्र में 70-75 प्रतिशत मतदान हुआ तो कुरूद जैसे ग्रामीण इलाके में 87 प्रतिशत मतदाताओं ने बाहर आकर ताकतवर मंत्री को बाहर का रास्‍ता दिखा दिया। नक्‍सल क्षेत्रों में भी तमाम धमकी-चमकी के बावजूद 60 प्रतिशत मतदान हुआ। हालाकि एकमात्र बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में ही कम यानि 40 प्रतिशत मतदान हुआ।

17 comments:

विष्णु बैरागी said...

ऐसे आलेखों से 'लोकतन्‍त्र' की कहत्‍ता और अवाश्‍यकता तो प्रतिपादित होती ही है, लोगों का आत्‍म-विश्‍वास भी बढता है । उन्‍हें अपने किए पर सन्‍तोष और गर्व की अनुभूति कराएंगे ऐसे आलेख ।

Smart Indian said...

भारत में प्रजातंत्र की गहरी जड़ों की झलकियाँ देखकर अच्छा लगा. धन्यवाद!

Anonymous said...

अच्‍छी जानकारी दी। वैसे सलवा जुडूम के मुद्दे का चुनाव पर असर भी क्‍या रहा बताते तो अच्‍छा रहता क्‍योंकि इस प्रयोग के बारे में काफी उत्‍सुकता है।

Gyan Dutt Pandey said...

अच्छा विश्लेषण है जी। जनता हर बार कुछ अनापेक्षित करती है।

P.N. Subramanian said...

हमें तो अत्यधिक खुशी हुई की पिछड़ा पिछड़ा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ की जनता जागरूक हो चली है. खाली पीली 'बने बने' से काम नहीं चलेगा. अच्छा विश्लेशण किया है आपने. आभार.

Anonymous said...

ये तो होना ही था।

ताऊ रामपुरिया said...

आपने बिल्कुल सटीक विशलेषण किया है ! और मतदान का प्रतिशत बढना बहुत शुभ है ! और मुझे ऐसा लगता है कि ये सबसे ज्यादा मतदान प्रतिशत होगा शायद अभी के चुनावित ५ राज्यों मे ?

राम राम !

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

कौन कहता है कि हमारे वोटर अशिक्षित या अर्धशिक्षित हैं और अपना दायित्व नहीं समझ सकते। इन चुनावॊं में एक बार फिर साबित कर दिया कि हमारा गणतंत्र परिपक्व है।

Anonymous said...

मतदाता महान है!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बिल्कुल सटीक विश्लेषण.

समीर यादव said...

लोकतंत्र के पहरुओं की परिपक्वता इस चुनाव में बढ़ी है... यह आने वाले समय में याद किया जाएगा. बढ़िया विश्लेषण....

सचिन मिश्रा said...

Bahut badiya likha hai.

राज भाटिय़ा said...

काश इन्हे देख कर सारा देश भी जाग जाये...
बहुत ही अच्छी खबर है.
धन्यवाद

Dileepraaj Nagpal said...

अच्‍छी जानकारी दी। thanks

NIRBHAY said...

democracy ek FESTIVAL ban kar rah gaya hai. Public is FESTIVAL me sirf CHEPTI janti hai. Sab jhuth kori baqwas hai, ELECTION ke sat aath mahine pahle CHANVAL ka khel chala, Abhi yeh sat aath mahina aur chalega, LOKSABHA election tak, fir dekho kiska BAAP Rs. 3/- and Rs 1/- kilo CHANVAL baat sakta hai. Is saal AATH AANA fasal hue hai RICE ki.
DEMOCRACY ek majak ban kar rah gayi hai, BUDHIJIVI channel ke aankde dekh kar isko sarah rahe hai.
FARJEE VOTING, NOTE, CHEPTI, BHITARGHAT, APNE HEE PARTY KE CANDIDATE KEE KABRA KHODNA, yeh A/C room me baithe logon ko dikhega nahi.MLA election me log 10-14 crore kharcha kar rahen hai aur isko aap DEMOCRACY KAHTEN HAI.
SHAME and shame only.

महेन्द्र मिश्र said...

पब्लिक ये सब जानती है
पर जानकर भी इन्हे
सिर पर बैठाती है .
इनके अन्दर क्या है
इनके बाहर क्या है
पब्लिक ये सब जानती है
फ़िर भी हरबार
इनसे धोका खाती है .

उम्दा
... धन्यवाद.

Unknown said...

satya pareshan ho sakta hai par parajit nahi jo bhi hua unka luck tha lekin unhe karm karte rahna chahiye parinam jarur unke pakch me hoga