28 अप्रेल को मेरे परम प्रिय जूनियर लेकिन ब्लोग की दुनिया मे सीनियर सँजीत त्रिपाठी ने मेरा ब्लोग बनाया और मैने पहली पोस्ट डाली थी.वो अप्रेल माह की पहली और आखिरी पोस्ट थी.उस समय से शुरु हुआ सिलसिला आज भी जारी है.मेरे करीबी दोस्तो को भी ये मेर मौसमी शौक ही लगा लेकिन इसी बहाने मैने ये साबित करने मे सफलता हासिल कर ली कि मै भगोडा नही हूँ. इस दौरान सैकडो सीनियरो ने कमेण्ट्स कर हौसला बढाया. आप लोगो का जो प्यार मिला वो एक नये परिवार के सदस्य होने का एहसास कराता है.सच पता ही नही चला कैसे 8 महीने बीत गये और देखते ही देखते दस हज़ार पाठक हो गये,शुक्रिया ब्लोग परिवार मे इस आत्मीय स्वागत का.
अप्रेल मे पहली पोस्ट लिखने के बाद कुल 6 कमेण्ट्स आये थे.बडा अच्चा लगा मगर मै अप्रेल मे दूसरी पोस्ट नही लिख पाया.मई मे भी महज खानापूर्ती ही होती रही.मात्र 5 पोस्ट लिख पाया मै.कमेण्ट्स अब बढने लगे थे.जून मे 10 और जुलाई मे 19 पोस्ट इस दुनिया से धीरे-धीरे प्यार होने की चुगली करने लगा.अगस्त से तो मैने पूरी सक्रियता से इस दुनिया मे अप्नी मौज़ूदगी दर्ज़ करानी शुरु की जो सितँबर और अक्तूबर मे जारी रही.नवँबर और दिसँबर मे रफ्तार ज़रुर सुस्त हुई मगर उसका कारण ऊब या खीज़ नही थी.चुनाव के अलावा कुछ परेशानियो ने रफ्तार धीमी ज़रुर की मगर ये इस दुनिया से नाते तोडने जैसी धारणा बनाने के लिये काफी नही थी.
बहुत प्यार मिला आप लोगो का.मुझे तकनीकी ग्यान तो बहुत नही है मगर सँजीत त्रिपाठी और सँजीव तिवारी ने बहुत मदद की.जय़प्रकाश मानस ने भी जो ब्अन पडा वो किया.अब् तो 16 फालोअर भी बन गये है.मुझे बनना नही आता वर्ना मै भी बहुत से लोगो को फालो करना चाहता हूँ.लगातार आगे बढने का हौसला मिला आदरणीय ग्यान जी से,शिव भैया,अनूप जी,समीर लाल जी,स्मार्ट इण्डियन,सबके चहेते ताऊ रामपूरिया,सुरेश चिपलूण्कर,अरविँद मिश्र,राज भाटिया,महेँद्रे मिश्र,राजीव रँजन,डा अनुराग,नीतिश राज,शहरोज़,ज़ाकिर अली रज़नीश,सरीथा जी,सीमा जी,घूघूती बासूती,लवली कुमारी,मकरँद,विवेक सिँह्,अजीत वड्नेरकर और न जाने कितने नाम है जो मेरे दिल मे बसने लगे है.हो सकता है बहुत् से लोगो के नाम मै लिख नही पा रहा हूँ जिनमे से अधिकाँश मेरे फालोअर है.ये कहने की बात नही है वो लोग सच मे मेरे दिल मे हैँ.
इस दौरान बहुत से लोगो से बात करने का मुलाकात करने का मौका भी लगा.अजीत वड्नेरकर,ताऊ जी.मकरँद,अरविँद मिश्र,गिरीश बिल्लोरे,समीर जी,राजीव रँजन शिव भैया,अनूप जी,मेरे सँपादक रहे अँबरीश जी और भी बहुत से लोगो से बात हुई सच मे बहुत अच्छा लगा और विश्वास है ये प्यार आगे भी मिलता रहेगा.एक बार फिर उन सभी चाहने वालो से क्षमा सहित ज़िनका ज़िक्र करना मै भूल गया हूँगा.
23 comments:
पुसदकर भाई ! मैं भी आपसे एक आत्मिक जुडाव महसूस करता हूँ -लीजिये आपका आजीवन फालोवर बन गया !
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं... पाठको की संख्या यूं ही बढती रहे।
badhayi sir ji..
jald hi 1,00,000 bhi paar kar jaayen.. :)
abhi abhi check kiya to paaya ki ham to aapke shuruvati followers me se ek hain.. :D
आप और भी ज्यादा और बेहतर लिखे इसी आशा और अभिलाषा के साथ ......
अर्श
हम भी हूं जी आपका पाठक, भले ही रोज हाजिरी नहीं ना लगाता होऊं टिप्पणियों के जरिये।
यह बात किसी को ना बताइये,समीरलालजी उड़नतश्तरीजी के नाम से भी मैं ही कमेंट करता हूं।
१०००० मे एक ० बहुत जल्दी लगे आपकी लेखनी निरंतेर चलती रहे
आप को बहुत बधाई, ओर हो जाये एक जोर दार पार्टी :)आप का बांलग युही फ़लता फ़ुलता रहे, ओर आप भी अच्छी अच्छी ओर सच्ची सच्ची पोस्ट देते रहे.
धन्यवाद
दस हजार पाठक...बाप रे ! मगर क्यों न हो,आप लिखते भी तो हो इतना कमाल,...
ढ़ेरों शुभकामनायें.ईश्वर करें आपकी लेखनी यूं ही कमाल करती रहे सदैव-सदैव
दस हज़ारी होने की बहुत बहुत बधाई हो जी .
जीवन चलने का नाम। आप ऐसे ही चलते रहें, पीछे पीछे कारवां तो बनना ही है।
bahut bahut badhai.
Pasudkar ji
Imaandari se kahoon to har baar to nahi lekin aksar aapki post ka tilte ya content padh kar aapke blog par visit karta rahta hoon.
haan comment nahi kar pata ...ye meri ek samasya hai jiska hal nikalne ka prayas jaari hai :D
baharhaal aapko bahut bahut badhai 10000 ka aankda paar karne ke liye aur bahut saari shubhkamnayen ki aapke blog ki khyati aur pathak sankhya aise hi badhti rahe
kirtish
आपके ये पोस्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं... पाठको की संख्या और आपकी लेखिनी का ये कारवां हमेशा यूँ ही बढ़ता रहे।
Regards
जमे रहिये सर....आप जो महसूस करते है कम से कम उसे वैसा ही लिखते है .....एक पारदर्शी व्यक्तित्व है आपका ....
बहुत बहुत बधाई जी ..आप यूँ ही लिखते रहे
भाई अनिल जी, अच्छा लिखोगे तो लोग पढेंगे ही। बधाई। साहित्यसाधना करते रहें, लोगों को जोडते रहे, यही शुभकामनाएं..
अनिल जी एक बिन्दी जल्दी लगे यानि एक लाख पर जल्दी ही पहुंचे यही शुभकामनएं हैं ! बहुत खुशी हो रही है आपकी उपलब्धि पर !
रामराम !
आप के लेख मेरी स्वचेतना को विकसित करने में काफी सहायक होते हैं |
आपने अपनी टिप्पणियों से मेरा मार्गदर्शन भी कई बार किया है |
इस सफलता के लिए इस अनुज की ओर से बधाइयाँ स्वीकार करें |
Badhayi ho Sir...
बधाई। आगे और तमाम उपलब्धियां आपका इंतजार कर रहीं हैं। हम आपके ब्लाग के नियमित ,देर-सबेर ही सही, पाठक हैं। आपका आक्रोश बनावती नहीं दिखता। अच्छा लगता है आपका लिखा पढ़ना। संजीत को भी मुबारकबाद कि उनके द्बारा शुरू करवाया आपका ब्लाग इत्ते बार ठुका (हिट हुये)।
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं...
आपके पड़ोसी शहर से।
लो जी अपन सबसे आखिर में पहुंच रहे हैं।
बैक बेंचर रहे हैं शुरु से ही ;)
दर-असल अनिल भैया, जो आपकी लेखनी को जानते-चाहते हैं वो कभी नहीं चाहते कि आप न लिखे, वो यही चाहते हैं कि आप लिखते रहें। आपको ब्लॉगजगत पर लाने का उद्देश्य सिर्फ़ यही था कि आपका लिखा पढ़ने को मिलता रहे।
आप लिखते रहें, दस हजार से एक लाख पाठक मिलें और भी ज्यादा मिलें।
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