छत्तीसगढ पुलिस और सरकार अब धीरे-धीरे 17 निर्दोष आदिवासियों की मौत के मामले मे उलझती जा रही है।8 जनवरी को बस्तर की पुलिस ने सिंगारम गांव के पास 17 लोगो को एक कथित मुठभेड़ मे नक्सली कह कर मार गिराया था। उस मुठभेड़ के बाद से ही उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने लग गये थे।पुलिस ने तब पूरी दमदारी से मरने वालो को नक्सली साबित करने की कोशिश की थी मगर उनके पास से ज़ब्त किये गये घटिया हथियार और लाशो की बरामदगी के तरीके ने पूरे मामले को संदेह के दायरे मे ला दिया।
इस मामले के सामने आते ही कांग्रेस ने इसे फ़र्ज़ी मुठभेड़ करार दे दिया था।पुलिस और सरकार ने बचाव की भरपुर कोशिश की मगर बात बिगड़ती देख मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने खुद इसकी दण्डाधिकारीय जांच की घोषणा कर दी।इसके बाद हालांकि कांग्रेस के बाकी नेता खामोश हो गये मगर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी इस मुद्दे के राजनैतिक महत्व को समझ कर इस मामले को लेकर सरकार पर हमला करते रहे।
केंद्रीय मंत्री और छत्तिसगढ के प्रभारी नारायण सामी के रायपुर प्रवास पर अजीतजोगी ने इसे फ़िर उछाला और नारायण सामी ने भी इसके राजनैतिक महत्व को समझा। नारायण सामी के नेतृत्त्व मे कांग्रेस के प्रतिनिधि मण्डल ने राज्यपाल महामहिम ई एस एल नर्सिम्हन से मुलाकात की और इस मामले की सी बी आई से जांच कराने की मांग कर डाली।राज्यपाल ने भी मामले की गंभीरता को समझा और मुख्यमंत्री को राजभवन तलब किया।
अब इस मामले मे सरकार पर जांच का फ़ंदा और कसता नज़र आ रहा है। आखिर ये 17 निर्दोष आदिवासियो की मौत का मामला है? पुलिस और सरकार फ़िलहाल बैक्फ़ुट पर नज़र आ रही है।जांच का निष्कर्श चाहे जो निकले लेकिन इस मामले ने एक बार फ़िर पुलिस महकमे को संदेह के दायरे मे ला खड़ा कर दिया है।बस्तर मे पुलिसिया कार्रवाई पर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं लेकिन 17 लोगो के मारे जाने के इस कथित मुठभेड़ को अब नरसंहार का नाम दिया जा रहा है।जांच पता नही कब पूरी होगी? राजनैतिक रस्साकशी कब खतम होगी?कब उन निर्दोष लोगो के परिवार वालो को न्याय मिलेगा?
14 comments:
कया यह सच्ची मुठभेड़ थी, या फ़िर फ़र्ज़ी मुठभेड़ , या फ़िर से वोट वेंक का खेल भगवान जाने,लेकिन अब किसी पर विश्वास नही रहा, कोन क्या कर दे...
धन्यवाद
बस एक आस लगा कर बैठ सकते हैं कि जल्दी न्याय मिले.
जाँच में मिले गड्ढों की मरम्मत होगी।
anil bhaayi.........gareb vyakti to khair gareeb hai hee...ameer vyakti bhi dil se usase bhi jyadaa gareeb hai....jis din apnaa chotapan use nazar aayegaa....duniya se gair-barabari ko mitaane kaa vah khud prayaas karegaa....ye din kayaamat tak bhi aayegaa nahin...so mujhe nahin pataa...!!
।पुलिस ने तब पूरी दमदारी से मरने वालो को नक्सली साबित करने की कोशिश की थी मगर उनके पास से ज़ब्त किये गये घटिया हथियार और लाशो की बरामदगी के तरीके ने पूरे मामले को संदेह के दायरे मे ला दिया।
" देश के रखवाले ही ऐसी हरकत करेंगे तो न्याय की उम्मीद आखिर किससे की जायेगी....ऐसा लगता है आम इंसान की जान की कोई कीमत ही नही रह गयी...."
Regards
chhattisgarh naxal prabhawit rajya hai isme har din kuch na kuch hota rahata hai aise me is muthbhedh ki janch jaruri hai ki ye asli hai ya nakli , muthbhedh ko lekar rajniti bhi aaranbh ho gayi hai jo uchit nahi hai. janch ke bad vaise bhi mamle ki sacchai to samne aa hi jayegi . chote se rajy chhattisgarh me sekdo ki sankhya me aadivashi mare gaye hai unki tulna me naxaliyo ke marne ki sankhya behad kum hai. aise mamlo ki nischit hi janch ki jani chahiye aur succhai sabke samne aani hi chahiye.
यह तो लगता है हमारी साश्वत समस्या है.
रामराम.
shaayad desh is sab ke liye hi aajad hua tha.
यही दशा कमोबेश सभी बीमारू प्रान्तों की है। यहां खून (जान) सस्ती है!
ऐसा ही तो होता है जी
हरबार हमेशा इधर-उधर
...नक्सली समस्या के समाधान के लिये गंभीर चिंतन व योजना की आवश्यकता है, इसे राजनैतिक लाभ के लिये गर्मागर्म करना उचित नही है, प्रत्येक रचनात्मक व समाधानकारक कार्य मे घटनाएँ व दुर्घटनाएँ आम बात हैं, वर्तमान मे जरुरत समस्या के समाधान हेतु कदम उठाने की है।
अब क्या करें, कुछ हमारे हाथ थोड़े ही है...
---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
jab Inhe koi Mujrim nahi milta to apna nam our Inam Ke liye Nirdosh ko bhi Mar dete Hai Magar Kya Unke Gharwale ko kitni Dukh Takliph hoti Hai Pata Hai.
anil ji,
bilkul sahi likha apne.
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