Thursday, January 15, 2009

मुझको यारो माफ़ करना, मैं थोड़ा बिज़ी हूं।

कुछ दिनो से ब्लोग की दुनिया से रिश्ता लगभग टूटा सा रहा।कुछ चाही-अनचाही परिस्थितीयां मुझे अपने इस परिवार से दूर रखने मे सफ़ल हो गयी थी। आज ही मैने ब्लोग खोला तो मुझे विवेक सिंह का कमेण्ट्स पढने को मिला कि कहाम गायब हो गये हो।मैने तय कर लिया था कि आज ब्लोग पर वापस लौटना है और वापस लौट भी रहा हूं। चाहे मेरी गल्ती हो या ना हो मुझे अब ये कहने मैं कोई परहेज़ नही है कि मुझको यारो माफ़ करना, मैं थोड़ा बिज़ी हूं।आखिर ये मेरे परिवार का मामला है और यहां माफ़ी मांगने मे कोई प्रोब्लम नही है।

दरअसल मै रविवार को ही पोस्ट लिखने वाला था,पर किसी कारणवश लिख नही पाया। आशिष कुमार अंशू से बात हुई और मैने उन्हे यंहा आई ए एस अफ़सर से एक मीडिया कर्मी की मारपीट का मामला बताया। आशिष ने सहज भाव से मुझसे सारी बाते लिखने के लिये कहा। मै लिखना भी चाहता था मगर व्यस्तता के कारण लिख नही पाया।

आज यानी बुधवार की शाम फ़िर प्रेस क्लब मे सारे लोग मिले। कामरेड रूचिर गर्ग ने मुझसे केबल नेटवर्क संशोधन बिल के विरोध के लिये कहा और मैने तत्काल लोगो को बुलवा लिया। हालांकि लखनऊ से एक्स्प्रेस समूह के अम्बरीश जी ने मुझसे मंगलवार को ही इस बारे मे बात कर ली थी।खैर प्रेस क्लब मे तत्काल लोग आ गये। आज-तक़ से सुनील नामदेव और महेंद्र नामदेव ,पी टी आई से राजेंद्र मोहंती,यु एन आई से अशोक साहू, सहारा से रुचिर गर्ग, ई टी वी से शैलेश पाण्डे,अवधेश मलिक, साधना से संजय शेखर समेत प्रेस क्लब के वरिष्ठ साथी शंकर पाण्डे।कौशल तिवारी और सारे पत्रकार साथी आये ।एन डी टी वी के रितेश ने भोपाल प्रवास से ही अपनी सहमती दी और एक्स्प्रेस के जोसेफ़ जान ने भी। पी टी आई छोड चुके प्रकाश होता और देवेंद्र कर के अलावा दर्जनो साथियो ने एकजुटता का परिचय दिया और सम्वेत स्वर मे उस बिल का विरोध किया।

प्रेस क्लब ने गुरुवार को काली पट्टी लगाकर करने का फ़ैसला लेने के साथ महामहिम राज्यपाल से मिल कर उस बिल के खिलाफ़ ग्यापन सौंपने का निर्णय भी लिया।इस दौरान कही भी प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के बीच की खिंचतान कही भी नज़र नही आई। ये पत्रकारो की एकता के लिये बहुत ही अच्छी बात सामने आई।खैर बाद मे इस बिल को रोक दिया गया मगर इस बिल की सुगबुगाहट ने सारे पत्रकारो को एक कर दिया। और हां इसने मुझे ब्लोग की दुनिया मे जल्द वापस ला दिया।

11 comments:

Ashok Pandey said...

आप जैसे सक्रिय ब्‍लोगरों की अनुपस्थिति खलनेवाली ही होती है। ब्‍लॉग की दुनिया में जल्‍द वापसी करता देखकर अच्‍छा लगा।

ss said...

आपका इन्तेजार रहेगा| जल्दी लौटने का प्रयास करें|

Dr Parveen Chopra said...

ब्लोग जगत में लौट कर आने के लिये शुभकामनायें ---- लौहड़ी फैस्टीवल की बहुत बहुत मुबारकबाद।

राज भाटिय़ा said...

अनिल जी हमे पता नही केसी परिस्थितीयां थी, इस लिये मजाक भी नही करते, लेकिन आप के बिना एक कोना बहुत सूना सूना लग रहा था, अजी जल्दी से लोट आये
सभी मित्र जन इन्तजार मै है.
शुभकामनायें

Udan Tashtari said...

निश्चित ही कई बार व्यस्ततायें हमें अनचाहे ही ब्लॉग से दूर कर देती है. अच्छा लगा आपको वापस देख. शुभकामनाऐं.

Arvind Mishra said...

मुहिम की सफलता की बधाई !

Smart Indian said...

बधाई जी!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

anupasthiti khali, kam se kam saptah me ek baar to samay nikaal liya karen.

विवेक सिंह said...

चलिए माफ किया आप भी क्या याद करेंगे :)

Unknown said...

माफ़ किया जी… सर जी मुझे भी माफ़ करें… मैंने पोस्ट का टाइटल गलत पढ़ लिया… "मुझको यारों माफ़ करना, मैं थोड़ा नशे में हूँ…" पढ़ लिया… बाकी रही काली पट्टी वगैरह बाँधने की बात तो आप बेशक लगे रहिये… वो ज्यादा जरूरी है… :) :) हम तो आप की पोस्ट का इन्तजार करते रहे हैं, करते रहेंगे…

makrand said...

badahi saheb