Friday, January 16, 2009

सवा चार सौ करोड़ के घोटाले मे क्या ठेकेदारो को ब्लैक लिस्ट करना काफ़ी है?

छत्तीसगढ मे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनने वाली 1500 किलोमिटर सड़क घटिया है। ये राज्य मे अब तक़ बनी कुल 12065 किलोमीटर सड़क का 13% है। अब तक़ राज्य मे इन सड़को पर 3219 करोड़ रूपये खर्च हो चुके है।यानी लगभग सवा चार सौ करोड़ रुपये का खेल ठेकेदार और अफ़सर मिल कर खेल चुके हैं। और सरकार ने दर्ज़न भर ठेकेदारो को ब्लैक लिस्ट करने के अलावा लगभग तीन दर्ज़न अफ़सरो के खिलाफ़ कार्रवाई की घोषणा के अलावा कुछ नही कर पाई है। अब सवाल ये उठता है कि क्या सवा चार सौ करोड़ के घोटाले मे क्या ठेकेदारो को ब्लैक लिस्ट करना काफ़ी है?

छतीसगढ मे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना मे गड़बड़ पिछली भाजपा सरकार मे ही हुई है ऐसा नही है।गड़बड़ी का सिलसिला राज्य बनने के साथ अस्तित्व मे आई कांग्रेस सरकार के ज़माने से चल रहा है।राज्य निर्माण के बाद से सड़के बनना शुरू हुई और अब तक़ बनी कुल 12065 कि मी सड़को मे से 10500 कि मी सड़क अच्छी बनी है। शेष लगभग साढे पंद्रह सौ कि मी सड़के घटिया है।

हाल ही संपन्न हुए विधान सभा चुनाव मे कांग्रेस ने इसे मुद्दा भी बनाना चाहा।केंद्रीय मंत्री नारायण सामी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और इसके पीछे लग गये।जब सड़क निर्माण मे घोटाले का शोर कुछ ज्यादा ही तेज़ हुआ तो राज्य और केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों ने गुणवत्ता की जांच की और 1500 कि मी सड़को के घटिया होने की बात सामने आई है। राज्य सरकार भी इस माम्ले से पल्ला झाड़ने के चक्कर मे अफ़सरो के खिलाफ़ कार्रवाई की बात तो कर रही है मगर अब तक़ इस माम्ले मे किसी भी भ्रष्ट अफ़सर के खिलाफ़ न तो आर्थिक अपराध दर्ज़ हुआ है न किसी की गिरफ़्तारी हुई है।

अब सवाल ये उठता है कि क्या इतना बड़ा घोटाला बिना सरकार या राज्नैतिक सहमती के क्या संभव है?क्या 1500 से ज्यादा कि मी सड़क के घटिया होने की शिकायत पहले नही हुई?अगर पहले से इसकी शिकायत हो रही थी तो सरकार इस मामले मे खामोश क्यो रही?इतने लम्बे समय तक़ कोई जांच तक़ नही होना इस मामले मे सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े कर देता है।

इससे पहले भी इस नये राज्य मे सड़क बनाने के लिये ठेकेदारो के घटिया और नकली डामर इस्तेमाल करने का मामला सामने आया था। तब भी डामर घोटाले मे शामिल ठेकेदारो को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था। उसके बाद भी उन ठेकेदारो का काम चलता रहा नाम बदल-बदल कर्।सरकार उन ठेकेदारो से पेनाल्टि की रकम तक़ नही वसूल कर पाई।वो घोटाला अभी ठण्डा भी नही हुआ है और सरकार एक बार फ़िर ब्लैक लिस्ट का खेल खेलती नज़र आ रही है।

9 comments:

राज भाटिय़ा said...

अनिल जी हमारा देश दुनिया मै प्रकर्ति रुप से सब से अमीर है, ओर हम ने इसे दुनिया का सब से गरीब देश बना दिया, कारण ?? यहा जिस का बस चलता है, इस देश को चुना लगा रहा है, अब चाहे वो सरकारी नोकर हो, नेता हो या आम आदमी, ओर जो शरीफ़ है वो इतने कम है कि उन की आवाज दब सी गई है, अब इस घाटोले मे कोन किस को पकडे ?? सभी चोर, जिस दिन कोइ शरीफ़ इमानदार बकरा हाथ लग गया, सब कमीने मिल कर उस की ओर उस्के बच्चो कि बली चढा देगे, फ़िर सब मिल कर २६ जनवरी को आजादी दिवस मनाये गे, देश भगत .जिस देश मे इमानदारी मर जाये, वो देश ज्यादा दिन अपने पेरो पर नही खडा रह सकता.
धन्यवाद

Udan Tashtari said...

सब मिली भगत है-ब्लैक लिस्टिंग तो डांबर की तरह ही लीपा पोती है.

ताऊ रामपुरिया said...

ठेकेदारी बिना राजनैतिक सहमति के नही हो सकती और आप ये भी जानते होंगे कि इन कामो मे कितना प्रतिशत किस किस का होता है?

अब तो ये बाते सामान्य हो चली हैं. आपके भी कई मित्र ठेकेदार होंगे वो सारा गणित कमजोर सडक निर्माण का बता देंगे.

नही तो कभी हमारे पधारिये, हमारे कई दोस्त ये ही धधा करते हैं उन्से मिलवा देंगे.

रामराम.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

ghotalon ka desh hai nyara,
ham sab ka bharat pyara.

संगीता पुरी said...

ठेकेदारों से बडा दोष तो ठेका दिलानेवाले लोगों का होता है....उनकी सहमति के बिना कर हो सकता है ?

Abhishek Ojha said...

कुछ दिनों में ब्लैक से फिर व्हाइट भी हो जायेंगे. सरकार में बैठे लोगों का भी तो कुछ परसेंटेज होगा ही?

दीपक said...

ये ब्लैकलिस्टेस ठेकेदार फ़िर कुछ दिनो बाद अपने आचा-चाचा के नाम से ठेके लेते देखे जायेंगे इसकी मै गारंटी दे सकता हुँ ।

नीचे से लेकर टाप-टेबल तक सबको अपना-अपना हिस्सा मिल गया होगा !! मिल बाँट्कर खाओ यही तो लोकतंत्र है !!

डॉ महेश सिन्हा said...

Jab ham rajdhani ke beecho beech shandar lahariya aur ukhadti sadak dekh sakte hain to gaon ka to bhagwan hi malik hai. neta ya to in sadakon se nahi gujarte ya phir unki seet ke neche makhmal ke gadde rahte hain. jail road ka haal to dekh hi rahe hain, Gaurav path ka bhi haal koi accha nahi lagta.Hame to International competition me utarna chahiye ki koi hamari jaisi sadak to banakar dikhaya. Yehaan ki dekha dekhi to baahar ka thekedar bhi four lane banane mein dandi maar raha hai.Upar wali ki padti jarror hai, bhale hai der se.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

aur kyaa.......thodon men barsaat aayegi aur kala rang dhul kar vaapas safed ho jaayegaa naa....!!