नक्सलियों के काम करने के तरीके से मै इत्तेफ़ाक़ नही रखता मगर जो काम उन्होने कर दिखाया है उसकी तो तारीफ़ करना ही पड़ेगा।आज जब सरकार खुद शराब बेचकर सरकारी खज़ाना भरने मे लगी हो तब नशाबंदी जैसी बात सोचना भी असंभव लगता है,मगर इस असंभव को संभव कर दिखाया है राजनांदगांव ज़िले मे नक्सलियों ने।उन्होने मोहला क्षेत्र मे नशाबंदी लागू करने मे सफ़लता हासिल कर ली है ,जो शराब बेचकर, लोगो के घर उजाड़ कर, करोड़ो-अरबो कमाने वाली सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है।
सच मे जो काम सरकार नही कर सकी,वो नक्सलियों ने कर दिखाया हैक़ ।इसका पता भी नही चलता और अगर पता चले भी तो भी गले तक़ सरकारी विज्ञापनो से भरे अख़बारो मे इस खबर को जगह मिलना मुश्किल ही है।इतवार को हम दोस्तो का कहीं न कहीं घुमने जाने का प्रोग्राम तय था।इसी बीच पिछले इतवार के स्थगित ज़िला स्तरीय पत्र कार सम्मेलन का कार्यक्रम भी मस्तुरी के पास तय हो गया।मुझे वहां जाना ज़रूरी था,सो मैने वहां जाने की बात बता दी और दोस्तो को भी घुमने जाने के लिये मना लिया।
पत्रकार सम्मेलन से लौट कर आने के बाद आज बातों-बातों मे राजनांदगांव ज़िले के मानपुर-मोहला इलाके मे शराबबंदी का ज़िक्र सामने आया।दोस्तो ने बताया कि वे घुमते-घुमते महाराष्ट्र की सीमा तक़ निकल गये।रास्ते मे रास्ता पूछने के लिये उन्होने सायकिल सवारो को रोका।उन्होने बताया उन ग्रामीणो से बात-बात मे उस ईलाके का हाल पूछा और थकान मिटाने के लिये दो पैग मा रने की बात भी कही।
इस पर उन ग्रामीणो की प्रतिक्रिया बेहद चौंकाने वाली थी।उन्होने साफ़-साफ़ कहा कि अगर दारू पिये तो दादा लोग(नक्सली) उन लोगों को बहुत मारेंगे।तो क्या दादा लोगो के डर से लोग दारू नही पीते है?इस सवाल के जवाब मे उन्होने कहा कि खुद पीकर देख लो पता चल जायेगा।बाद मे उनसे कुरेद-कुरेद कर पूछने पर पता चला कि उस पूरे इलाके मे नक्सलियो द्वारा घोषित शराबबंदी या नशाबंदी लागू है।
नक्सली क्या करते हैं?सही करते हैं?या गलत करते हैं?इन सब सवालो के जवाब अलग-अलग हो सकते हैं मगर नशाबंदी के मामले सब के जवाब एक ही होगा।इस मामले मे नक्सलियो को गलत कहने की हिम्मत तो शायद सरकार मे भी नही होगी क्योंकी वो भी खुद इतना ही कह पाती है कि शराब सामाजिक बुराई है,इसे जड़ से खतम करना है।मगर जो खुद शराब बेचने का धंधा करे वो शराब क्या बंद करायेगा।सच मे जो काम सरकार नही कर सकी वो नक्सलियो ने कर दिखाया है।इस मामले मे तो नक्सलियो को सलाम करना ही होगा,वो भी लाल सलाम्।
18 comments:
एक तो सकारात्मक कार्य हुआ।
कभी हरयाणा की महिलाओं ने हर ठेके पर स्यापा व पिटाई अभियान चलाकर पूर्ण शराबबन्दी करवा दी थी। पर सरकार की ज़ात कमीनी होती है। सब किए पर पानी फेर दिया.
बहुत ही सुंदर खबर, अब दुशमन ने अगर अच्छा काम किया तो तारीफ़ भी करनी चाहिये.
धन्यवाद
नक्सली ही नहीं सभी अतिवादी संगठन यदि इस तरह के बहुमत जनता की पसंद के काम न करें तो शायद जल्द ही समाप्त हो जाएँ। सरकार तो नशाबंदी क्या करेगी? उस का संचालन तो शायद इसी से होने वाले टैक्सों की आमदनी से जुड़ा हुआ है।
नक्सल्वादियों के बारे में सिर्फ़ यही नहीं और भी बहुत सी सकारात्मक बातें हैं। इसे प्रकाश में लाने के लिये बधाई।
"shrab band krane ke mamle mey naksaliyon ka ye kadam sach me srahniy hai....smaaj se ek buraai to km hogi.."
Regards
मैं पूर्ण शराबबन्दी की समर्थक हूं, शराब की वजह से महिलाओं को बुरा वक्त देखना पड़ता है लेकिन ये काम सरकार और समाज का है आतंकवादियों का नहीं। आतंकी संगठन कुछ ऐसे ही काम करके जनता का समर्थन पाना चाहते है। कुछ इसी तरह के काम पाकिस्तान में तालिबान करते हैं तो क्या आप उनकी भी तारीफ करेंगे?
मनीषा
कुछ तो बुराई मे भी अच्छाई वाली बात हो गई ये तो.
रामराम.
शायद इसी तरह की वजहों के कारण ये तेजी से अपना आधार बढा सके हैं।
मैं इस नक्सली पाखण्ड से इम्प्रेस नहीं हो पाया। किसी को मार मार कर शराब छुड़वाना भी कोई तरीका/उपलब्धि है? :(
यह तो अलग सी जानकारी है..नक्सलियों के बारे में एक positive बात सुनी
dhnywad.
एक बार फ़िर सिद्ध हुआ कि भारत के आम लोग किसी समझाइश या कानून से नहीं मानते, जब कोई "पिछवाड़ा" गरम करता है या करने की ताकत रखता है, उसकी बात मानते हैं…
सौ बुराईयां पर ये अच्छाई कहीं नहीं टिकती हैं। शराब बंद कराया है अच्छी बात है पर क्या पीना बंद हुआ है । अगर ऐसा भी करें तो और भी अच्छा होगा।
गाँव का स्टॉक जंगल तो नहीं जा रहा :) पता करने वाली बात है :)
सरकारों ने अपने फ़ायदे के लिए नक्सलवादियों को खलनायक के तौर पर प्र्स्तुत किया है । वास्तव में गौर से देखें तो एक आम भारतीय डंडे की भाषा ही समझता है । इस देश में कानून की सख्ती के लिए नक्सली तरीका एकदम ठीक है । उन्होंने शोषित वर्ग के लिए जो सकारात्मक काम किये हैं उन्हें भी समझना चाहिए ।
तालिबान ने भी ऐसे ही समाज की बहुत सी बुराइयाँ (?)दूर की थीं शायद। कभी पंजाब में भी अतिवादियों ने शादियों में खर्चा कम करवाया था। रात की नाच गाने वाली बारातें बन्द करवाईं थीं। आपात काल में दफ्तरों में बिना रिश्वत के फटाफट काम हो जाता था। सारे में शान्ति थी। बस आज्ञा मानते जाइए,जीवन कैसे जीना है कोई हमें उंगली पकड़कर बताता,चलाता जाएगा, जीवन सरल हो जाएगा। तब मस्तिष्क नामक वस्तु की भी आवश्यकता नहीं रहेगी।
ना भाई,हम बुरे और बुराई में लिप्त परन्तु स्वतन्त्र ही भले हैं। अपनी गलतियाँ स्वयं करेंगे व उनका फल भोगेगें हम।
मृत्यु कितनी भली है,सारे कष्टों से मुक्ति दिला देती है! बन्धन कितना भला है काम करने व सोचने से मुक्ति दिला देता है!सो हर बुराई में कोई अच्छाई व हर अच्छाई में कोई बुराई मिलेगी ही। एक अच्छाई के लिए बुराई का गुण तो नहीं गाएँगे ना !
घुघूती बासूती
हर अच्छे काम के लिए सलामी देना प्रशंसनीय कार्य है।
लेकिन पंजाब/ काश्मीर के अतिवादी भी तो ऐसा कुछ करते रहे हैं ना?
-शराबबंदी/ बिना दहेज के विवाह/ पाँच व्यक्तियों की बारात/ सिर ढक कर चलना/ बुरके का उपयोग/ रात में वैवाहिक कार्यक्रम न होना आदि आदि
मेरे लेख से असहमती जताते हए बहुत से लोगो ने कहा कि नक्सलवाद बुराई है और नशाबंदी के लिए भी उनकी बुराईयो के चलते,तारीफ़ नही की जानी चाहिए।यंहा मै साफ़ कर दूं कि उनके खिलाफ़ मैने अपने ब्लोग पर हमेशा लिखा है और शायद लगातार लिख रहा हूं।इस लेख की भी शुरूआती पंक्तिया है कि नकसलियो के काम करने के तरीके से मै इतेफ़ाक़ नही रखता।शराबबदी के मामले मे मैने उनकी तारीफ़ इसलिए कि जिस इलाके के लोग अपनी रोज़ की कमाई शराब मे उड़ा रहे थे,वहां के लोग और उन्का परिवार शराब पर होने वाले खर्च और कर्ज़ से बच जाएगा।पूरे गांव के गांव शराब की चपेट मे है।ऐसे मे मुझे उन्का ये काम,जो आजतक़ कोई नही कर पाया,अच्छा लगा।सो मैने उनकी तारीफ़ की लेकिन कही भी नही कहा कि नक्सली अच्छे है या वे जो कर रहे है जायज हैं।नक्सलियो के पक्ष मे तो लिखने वाले सैकड़ो नही बल्कि हज़ारो-लाखो होंगे मगर उनके खिलाफ़ लिखने वाले बहुत कम है और मै गर्व से कह सकता हूं कि उनमे से एक मै भी हूं।आप लोगो की असहमति पर मुझे कोई ऐतराज़ नही है,बस मैने भी उससे असहमत होकर अपना पक्ष रखा है।
किसी भी संगठन के कुछ लक्ष्य तो अच्छे होते ही हैं .... पर उन्हे प्राप्त करने का रास्ता भी अच्छे ढंग का होना चाहिए ... रास्ता बुरा हो तो लाख अच्छाइयों के बावजूद उन्हें शाबाशी नहीं दी जा सकती है।
Post a Comment