परेशान हो गया हूं मै अलग-अलग ब्रांड की चडडी पहनते-पहनते।हर ब्रांड की चडडी पहनी,उसकी तारीफ़ करने वालो पर विश्वास किया मगर फ़ायदा कुछ नही हुआ आज-तक़।अच्छा हुआ जो मै बनियान पहनता ही नही।वरना उसके लिये भी दिमाग मे उल्टे-सीधे खयाल आते।वैसे कई बार ऐसा लगता है कि बनियान नही पहन कर मैने अपना बड़ा नुकसान किया है।मज़ाक नही कर रहा हूं और ना ही अप्रेल फ़ूल बना रहा हूं।
धर्मेन्द्र के बेटे सनी देओल को जानते है न आप्।अब वो भला झूट थोड़े ही बोलेगा।उसकी फ़िल्म चलनी बंद हुई तो उसने आज-कल ढाबा खोल लिया है और उसकी बनियान,मां कसम ऐसा लगता है दो फ़ाईट मार कर उतार कर खूद पहन लूं।लेकिन वो थोड़ा तगड़ा है,इस्लिये मन मसोस कर रह जाता हूं।क्या बनियान है जब भी पहनता है कुछ न कुछ फ़ायदा ही होता है।कभी राजा बन जाता है,कभी पाकेटमार का पर्स गिर कर उसके हाथ मे टपक जाता है,और अब तो उसकी लाटरी भी खुलने लगी है।इतना लकी तो वो उन फ़िल्मो मे भी नही रहा जिसमे उसने वो वाली बनियान नही पहनी,और जिसमे बनियान दिखाई उस फ़िल्म की निकल पड़ी थी। अकेला धर्मेंन्द्र का लड़का ही नही वो उस टकले राकेश का लड्का भी गज़ब की बनियान पहनता है।
बनियान मै पहनता नही इसलिये ज्यादा नही अखर रहा है मगर चड्डी के मामले मे तो अपने से बदनसीब शायद ही कोई और होगा।स्वीमिंग पूल मे कूदने से लेकर छत पर छत्री लगा कर तक़ बैठा,मगर अफ़सोस आज-तक़ न कभी किसी लड्की ने मुस्कुरा कर देखा और नही कोई लड्की लड़ने के लिये आई।छ्त पर बैठने के चक्कर मे अड़ोस-पड़ोस के लोग ज़रूर घूर-घूर कर देखने लगे है और अब लगता है कि उन्ही लोगो से मारपीट की नौबत आयेगी। अब बताईये विज्ञापन वाली चडडी पहनने के बाद भी कोई लड्की मुस्कुराये नही तो क्या फ़ाय्दा। ऐसे मे मै परेशान नही हूं तो क्या करूं।साले लोग टी वी पे दिखाते है वो च्ड्डी मत पहनो वो स्वीमिंग पूल मे उतर जायेगी ये पहनो इसे देख के लड्की सीधे आकर लिपट जायेगी।कितना झूठ बोलते है,हमारे जैसे सीधे-सादे लोगो को कन्फ़्यूज़ कर देते है कि ये चड्डी पहनूं या वो।साले चैन से चड्डी-बनियान भी नही पहनने देते।
22 comments:
हा हा हा हा.. बहुत खूब.. वैसे looflirpa कंपनी भी अब चड्डी बनियान के व्यवसाय में उतरने वाली है.. बहुत अच्छा लिखा आपने..
हा हा हा हा ......बहुत खूब ...एकदम मजेदार
इसी बात पर अन्तर्राष्ट्रीय मूर्ख दिवस
की बधाई स्वीकार करें।
भाई बहुत खूब...हंसते हंसते हाल बुरा हो गया....आजकल लोग एक दूसरे की चड्डी बनियान फाड़ने में लगे हैं...आप की कम से कम बची तो हुई है...
नीरज
बहुत खूब....प्रशंसा के जितने भी शब्द हों इस व्यंग्य के लिए स्वीकार करें :)
एक अप्रैल की शुभकामनाओं के साथ
भाई अनिल जी मुर्ख से मुर्ख दिवस की बधाई मुर्ख को.:)
वैसे looflirpa कम्पनी के शेयर फ़टाफ़ट खरीद लिजिये. सुना है भाव बडी तेजी से बढने वाले है.:)
रामराम.
आज पहली अप्रेल है। चड्डी के मुतालिक पुछना ही है तो मुत्तलिक से पूछ लो:)
हाहाहा!
देसी बनिये! लंगोट पहनिये! बजरंगबली ब्राण्ड!
इन विज्ञापनों पर भरोसा करना छोडि़ए और खुद अपनी डिजाइन कर के सिलवा लीजिए। शायद बात बन जाए।
अजी हमारी मानो तो ससुरी चड्ढी ही पहनना छोड़ दो. सारी प्रोब्लम सोल्व
कुछ और पहनो या न पहनो, "गुलाबी चड्डी" न पहनना न उतारना… बड़ी खतरनाक चीज़ है… :)
वैसे भी उन पट्टीदार कच्छा का चलन अब नहीं रहा अनिल जी....हमारे पडोसियों ने हमें बहुत दिखाए है ....
hmmmm........ yeh baat thi jo aajkal aap ko naraz rakh rahi thi
वो साले चैन से चड्डी-बनियान भी नही पहनने देते।
हा हा!!
पहनने दें तो कभी चड्डी बनियान गिरोह के सदस्य होने के आरोप में बन्द ही न हो जाना, महाराज!!
शुक्रिया दर्ज करो उनका, जो नहीं पहनने दे रहे.
ab to chaddi banyan day bhi aa gaya :) frontline
अनिल जी इस झगडे की जड को उतार फ़ेको... ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी... लेकिन एक बात फ़िर कोई आप को घूरेगा नही यह पक्की बात( सिर्फ़ भारत मै )
आजकल तो बालकनी में सूखती मेल चड्डीयो पर फिमेल चड्डीया भी उड़ते हुए आकर गिरती है.. इसी उम्मीद में कि वापस लौटाने जाऊंगा.. मैं अपनी कई चड्डीया बालकनी में सुखा चूका हु जो तेज हवा में उड़कर पता नहीं कहा चली गयी.. :)
हा हा
सुरेश चिपलूनकर जी, समीरलाल जी, द्विवेदी जी और राज भाटिया जी की सलाहें विचारणीय लगीं।
मज़ा आ गया आपकी झल्लाहट पर
बहुत ही सहज हास्याभिव्यक्ति के लिये बहुत बधाई अनिल जी हमें हंसना याद दिला कर आप बहुत अच्छा काम कर रहे ...
badi dukh bhari gaatha hai :)
अनिल भाई,
आपकी शैली का निरंतर
निखार प्रभावित कर रहा है
....और नए-नए विषय
चुनने में भी
आपकी दृष्टि का पैनापन
साफ़ झलकता है...बधाई.
=======================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
Post a Comment