Saturday, May 23, 2009
क्या मनमोहन सिंह राजकुमार है?
एक माईक्रोपोस्ट हाज़िर है।टीवी वाले कुछ भाई चिल्ला रहे थे राजतिलक! देखिये राजतिलक!और खूब बड़े सिंहासन पर मनमोहन सिंह को बैठे दिखाते रहे!अब सवाल ये उठता है क्या मनमोहन सिंह राजकुमार है? क्या हम लोकतंत्र मे जी रहे हैं? या फ़िर से राजशाही लौट आई है?क्या जनता ने उन्हे राजा बनाने के लिये उनकी पार्टी को वोट दिया है?क्या वे खुद कह रहे है कि उनका राजतिलक हो रहा है?क्या उनकी पार्टी कह रही है कि उनका राजतिलक होने जा रहा है?जब कोई नही कह रहा तो ये टी वी वाले चारण और भाट की तरह क्यो चिल्ला रहे है राजतिलक!राजतिलक्।लोकतंत्र मे ऐसी भाषा या ऐसे शब्द ऐसे विशेष्ण पता नही किस मानसिकता का सबूत हैं?
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14 comments:
मीडिया का बस यही एक काम है,
किसी को भी राजकुमार बना देते है
बस बातों मे ज़ोर है,इनके
किसी को सरकार किसी को बेकार बना देते हैं.
media wale to chor, rapist, terrorist.... ko bhi hero bana dete hain
टीवी वाले भाट-चारण से कम नहीं बल्कि उनसे ज्यादा हंै। टीवी वाले किसी सब्जी मंडी में दुकान सजाने वालों जैसे हैं जो चिल्ला-चिल्ला कर अपना सामान बेचने का काम करते हैं। इनमें तो सब्जी वालों से भी ज्यादा स्वस्थ नहीं बल्कि गंदी प्रतिस्पर्धा चलती है। एक अगर किसी को राजा कहेगा तो दूसरा शहंशाह कहेगा। हर चैनल वाला कोई न कोई शगूफा छोडऩे का काम करता है। ऐसे शगूफों से अब दर्शक भी बोर होने लगे हैं कोई ऐेसे राजतिलक को देखना भी पसंद नहीं करता है।
अब मीडिया वालों को कौन समझाए.एक ही उपाय है. उनको मत देखो, मत सुनो, मत पढो. इतना ही यदि लोग कर दें तो मीडिया के बाप भी सुधर जायेंगे.
हमारा मीडिया अभी सामंती मानसिकता से नहीं उबरा है। उबरे भी कैसे? सब अपनी बारात में घोड़ी पर बैठ कमर में तलवार बांध परण के आते जो हैं।
हमारे देश मे आज कल प्राइवेट मीडिया की भूमिका इतनी संदेहास्पद हो गयी जीतने कभी नही थी. बेकार की चीज़ों का महिमामंडन, एक तरफ़ा विचार और छोटी सी बातों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाना ... ये सब ही रह गया है मीडिया मे ...
प्रश्न - ऐसे विशेष्ण पता नही किस मानसिकता का सबूत हैं?
उत्तर- ऐसे विशेषण बाजारू मानसिकता के सबूत हैं.
वे राजकुमार नहीं, एक राजकुमार के राजतिलक के लिए सिंहासन को तैयार करते सिपहसालार हैं.
इससे सम्बन्धित व्यंग्य आप मेरे इस ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं.
http://girijeshrao.blogspot.com
कृपया विजिट करें और अपनी टिप्प्णियों से इसे समृद्ध करें. धन्यवाद्
मै तो उस दिन के इंतजार मे हुँ जब इन भूत-प्रेत और हवेली दिखाने वाले रिपोर्टरो पर भी जूता फ़ेका जाये और इसे बार-बार टी वी मे दिखाया जये और हेड्लाईन फ़्लेश हो " he must Deserve this !!
इतने सालों की "गुलामी" ऐसे ही चली जायेगी क्या? आज भी तो एक ही "परिवार" के गुलाम हैं, और दक्षिण का एक परिवार पूरे मन्त्रिमण्डल पर कब्जा चाहता है… और मजे की बात कि गाली देते हैं आडवाणी और मोदी को, जिन्होंने कभी अपने परिवार को आगे नहीं किया… जय हो…
मैडम की नजरों में तो राजकुमार ही हैं.
हर माँ को अपना बेटा राजकुमार ही तो लगता है.
मनमोहन जी भरत हैं - राम की खड़ांऊ रख कर राज काज देख रहे हैं।
पता नहीं क्यूँ?? हमारा मीडिया अपनी दिशा खोता जा रहा है. बेकार की चीज़ों पर बवाल करने के बजाय मीडिया को संवेदनशील और सामाजिक हित के मुद्दों पर अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए. मगर ये बात मीडिया को समझ आये तब ना....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
sameer ji tippani daagne se pahle post to padh lijiye ki anil ji ne kise raajkumaar kahne ka virodh kia hai. raajkumaar dikha nahi ki binaa age padhe comment maar diya ?
ye bhi ek mansikta ki hi galti hai
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