Monday, May 25, 2009
देश का भविष्य रो रहा था,सरकार सो रही थी और जनता की किसी को फ़िक़्र नही थी!
पेश है एक सेमी माईक्रो पोस्ट।रात की मण्डली मे जनता और सरकार की भूमिका पर चल रही चर्चा के दौरान एक बड़े अफ़सर ने इस की व्याख्या करते हुये जब कहा कि जब देश का भविष्य रो रहा था तो सरकार सो रही थी और जनता की किसी को फ़िक्र तक़ नही,तो सब चौंक गये।उन्होने कहा कि ये मै नही कह रहा हूं मेरे एक मित्र ने मुझे जो एसएमएस किया था,वो बता रहा हूं।उन्होने बताया कि एसएमएस मे कहा गया है कि एक बच्चा अपने पिता से पूछता है कि लोकतंत्र क्या है?पिता उसे बताता है कि आप जनता हो।मैं कमा कर लाता हूं,सो मैं कर्मचारी हूं।मम्मी घर चलाती है इसलिये मम्मी सरकार है और घर के सारे काम बाई करती है, सो वो मज़दूर है। छोटू देश का भविष्य है और हम सब मिलकर जनता और देश के भविष्य का खयाल रखते हैं।इस पर बच्चा कहता है कि मगर पापा कल जब देश का भविष्य रो रहा था तब सरकार सो रही थी।कर्मचारी मज़दूर को चूस रहा था और जनता की तो किसी को फ़िक़्र ही नही थी!बात मज़ाक मे निकली थी लेकिन थी बड़ी गंभीर्।कभी-कभी एसएमएस के ज़रिये मज़ाक मज़ाक मे कड़ुवा सच सामने आ जाता है।मुझे लगा इसे आप लोगो से शेयर करना चाहिये और मैने इसे पोस्ट कर दिया।
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10 comments:
इस पर बच्चा कहता है कि मगर पापा कल जब देश का भविष्य रो रहा था तब सरकार सो रही थी।कर्मचारी मज़दूर को चूस रहा था और जनता की तो किसी को फ़िक़्र ही नही थी!
अक्सर कई बार बच्चों के मुंह से भी मजाक मजाक में बहुत गंभीर बात निकल जाती है.
रामराम.
बहुत जहीन चुटकुला है।
बहुत जहीन चुटकुला है।
bilkul theek kaha
बच्चों की समझदरी को नमन!!
अति सुन्दर
उलझन में हूँ कि इसे चुटकुला समझ कर हसूँ या हकिकत जान कर रोऊँ.......
माइक्रो पोस्ट किंतु करारी चोट
सही वक्त पर सही पोस्ट। मौजू और मारक।
अनिल जी,
एक यथार्थ को प्रहसन के तरीके से परोसा है कि किसी सरकार या उसके नुमांइदे को बुरा भी ना लगे और जनता का मनोरंजन भी हो, मज़दूर की बात नही करनी चाहिये क्योंकि वह तो चूसे जाने के लिये बना है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बच्चे मन के सच्चे, शायद इसीलिए उनके मुख से अनजाने में भी सच्चाई निकल आती है.
पोस्ट, माइक्रो पोस्ट और सेमी माइक्रो पोस्ट का फंडा पसंद आया.
साभार
हमसफ़र यादों का.......
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