Wednesday, May 27, 2009

तब विलास राव को सीएम पद से हटाना मीडिया की जीत थी तो अब उन्हे केन्द्र मे मंत्री बनाना क्या है?मीडिया की हार?

महाराष्ट्र के एक्स सीएम विलास राव को केन्द्रीय मंत्री बनाने की घोषणा हो गई है।ये वही विलास राव है जिन्हे मुम्बई कांड के समय फ़िल्मकारो के साथ ताज होटल जाने पर मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था।तब मीडिया ने उन्हे गैरजिम्मेदार ठहराने मे कोई कसर नही छोडी थी और जब तक़ उन्हे सीएम की कुर्सी से उतार नही दिया गया मीडिया शोर मचाता रहा।उन्हे कुर्सी से हटाने को मीडिया ने अपनी जीत करार दे दिया था।अब उन्हे केन्द्र मे मंत्री बनाया जा रहा है और मीडिया खामोश है।क्या ये मीडिया की हार नही है?

आखिर इन कुछ महिनो मे विलासराव ने ऐसा क्या कर दिया जो वे एक गैर ज़िम्मेदार मुख्यमंत्री से ज़िम्मेदार केन्द्रीय मंत्री हो गये हैं।ऐसा उन्होने कुछ नही किया बल्कि उनकी पार्टी ने मीडिया को ये बताने की कोशिश ज़रूर की है लो आपके दोषी को हमने मंत्री बना कर आप लोगो को आपकी औकात बता दी है।

वैसे इस मामले मीडिया का खामोश रहना भी अनेक प्रकार के संदेहों को जन्म देता है।ज़रा सी बात मे फ़ाईल शाटस के भरोसे बडी-बडी टेबल स्टोरी डेवलप करने वाले मीडिया ने लाईब्रेरी की ओर नज़र तक़ नही डाली जो हैरान करने वाली बात है।आंतकवादी हमले के बाद उनके अपने पुत्र रितेश और डायरेक्टर रामगोपाल वर्मा के साथ ताज होटल के दौरे के फ़ुटेज़ तो हर न्यूज़ चैनल के पास होंगे ही।मगर एक भी चैनल वाले जागरूक लोगो को मुम्बई हमले की याद न आना और विलासराव का अगला पिछला हिसाब नही दिखाना उसकी ओरिजिनल भूमिका पर सवाल खड़े कर देता है।

हैरान कर देने वाली बात है जिस विलास राव को सारे देश के मीडिया ने जिस तरह से निशाने पर लिया था और उन्हे गैर ज़िम्मेदार ठहरा कर कुर्सी से उतार कर दम लिया था उसे देख कर लगा था कि हां देश मे मीडिया अपनी भूमिका सही ढंग से निभा रहा है।मगर अब विलास राव को केंद्र मे मंत्री बनाया जा रहा है तो उसकी खामोशी खलने वाली लग रही है।

9 comments:

Admin said...

janta aur midea ki yadasht kamjor hoti hai

दिनेशराय द्विवेदी said...

हजारों लाखों बातें ऐसी हैं जो मीडिया विस्मृत कर देता है। यह भी उन में से ही एक है।

Anonymous said...

हालाँकि यह कोई तुलना नहीं किंतु मुम्बई कांड के समय, मीडिया के इस हंगामे के वक्त मुझे जेम्स बॉंड की फिल्म Tomorrow Never Dies की याद आती रही.

यहाँ तो सभ्यता दिखाई थी मीडिया ने। वरना इस मामले में तो बेशर्मी की हद ही हो गयी थी।

ताऊ रामपुरिया said...

आपका कथन बिल्कुल सही है.

रामराम.

Udan Tashtari said...

हार ही मानो, जब मौन धरे हैं तो!!

अनिल कान्त said...

media ki to baat hi na karein aap
media ?

Unknown said...

मीडिया को ये मुगालता है कि सरकार उसके कहने से चलती-रुकती है… आपने सही कहा कि मीडिया को उसकी असली औकात बता दी कांग्रेस ने (बहुमत जुट गया आसानी से इसलिये)। वैसे एक बात बता दूं कि विलासराव को हटाया इसलिये क्योंकि लोकसभा चुनाव आने वाले थे, अब विलासराव को लिया इसलिये क्योंकि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव आने वाले हैं… कांग्रेस से ज्यादा घाघ, शातिर और कमीनी पार्टी कोई हो नहीं सकती, इसीलिये 50 साल शासन किया है कोई मजाक है क्या… "नैतिकता" की उम्मीद राजनेताओं से वैसे भी नहीं की जाती, लेकिन कांग्रेस से यह उम्मीद करना तो "पानी को मथकर मक्खन निकालने" जैसा होगा…

admin said...

इसका बेहतर जवाब तो मीडियावाले ही दे सकते हैं।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

latikesh said...

dear kal ki baat kaun yaad rakhta hai . i s desh me kal bangaru laxman pm ban jaye to surprise mut hona

latikesh
mumbai