राजधानी रायपुर से लगी विधानसभा धरसीवा के 90 गांव और एक लाख लोग रोज काले धुएं का ज़हर पीने को मज़बूर हैं। ऐसा अभी हाल मे नही हुआ सालो से ये सिलसिला चला आ रहा है और सरकारी पार्टी का विधायक पिछले पांच साल लगातार चिल्लाता रहा और इस बार मज़बूर होकर उसने रैली निकाली और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।भाजपा विधायक देवजी भाई पटेल ने सरकार से बात करना ज़रूरी नही समझा,उनका कहना था वंहा बात करने का कोई मतलब नही है क्योंकि वंहा सिर्फ़ आश्वासन मिलते हैं।उन्होने काला धुआं उगलने वालों के खिलाफ़ सीधी लड़ाई की घोषणा भी कर दी है।इस मामले मे विपक्ष यानी कांग्रेस के लोगो की सालो की खामोशी समझ से परे है।शायद इस्लिये कि उन्की सरकार ने ही नियम बदल कर खेती की ज़मीन पर कारखाने लगाने की अनुमती दी थी या फ़िर मोटे चंदे की चाहत उन्हे चुप रहने पर मज़बूर कर रही है।
राज्य बनने के बाद राजधानी के आसपास उद्योग लगाने का सिलसिला शुरू हुआ।सारे दुनिया से रिजेक्ट प्रदूषण फ़ैलानी वाली सस्ती तक़नीक से स्पांज आयरन के भारी कारखाने लगाने की होड़ सी लग गई थी छत्त्तीसगढ मे।भारी मुनाफ़े को देखते हुये सारे उद्योगपति इस ओर टूट पड़े थे।सरकार तब कांग्रेस की थी और उसने उद्योग़पतियो को फ़ायदा पहुंचाने की गरज से नियमो को शिथिल कर खेतो मे कारखाने लगाने की अनुमती दे दी।इस्के बाद तो रायपुर के आसपास धरसीवा विधानभा के सिलतरा ब्लाक मे ही 40 से ज्यादा कारखाने शुरू हो गये,और पूरी विधानसभा मे 90 से ज्यादा।
कुछ समय बाद ही काले धुएं का ज़हर चारो ओर फ़ैलने लगा।फ़सल खराब होने लगी,छत पर काली धूल जमने लगी।पेडो का रंग हरा न रह कर काला होने लगा और तो और जानवरो के चारागाह की घास भी काली पड़ गई।इसका विरोध शुरू हुआ और सरकारी लापरवाही के चलते मामला बिगड़ता चला गया।तब एक कारखाने के खिलाफ़ गांववालो का आक्रोश इस कदर भड़का की गांव वालो ने कारखाने के दो लोगो को तो जान से ही मार ड़ाला।इसके बाद सरकार की नींद कुछ समय के लिये टूटी और उसने नींद मे ही कुछ घोषणायें की और फ़िर से कुम्भकरण हो गई।
हालात बिगड़ते देख तब भी सरकारी के पार्टी के विधायक देवजी पटेल ने इस मामले को विधानसभा मे उठाना शुरू किया और उसके बाद ये समिती जांच समिति और जाने क्या-क्या सरकारी घोषणाएं हुई।देवजी पटेल की इस मामले मे सरकार की खिंचाई करने के कारण कांग्रेसी उन्हे अपना एसोसियेट मेम्बर कहने लगे।सरकार भी परेशान रहने लगी और नौबत टिकट कटने तक़ की आ गई।जीतने वाला और कोई केंडिडेट नही मिलने के कारण देवजी को टिकट मिली और फ़िर से जीत कर उन्होने अपने पुराने तेवर दिखाने शुरु कर दिये।इस मामले मे कांग्रेस सालो से खामोश है और शायद खामोश ही रहेगी।
मंत्री से लेकर पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम वंहा एक नही कई बार दौरा कर चुकी है।उद्योगो मे लगे ईएसपी हमेशा बंद पाये गये।कुछ उद्योगो को जुर्माना भी हुआ और कुछ की बिजली काटने की चेतावनी जारी हुई मगर सब कुछ वैसा ही चल रहा है। हार कर देवजी पटेल और ईलाके के निर्वाचित पंच-सरपंचो ने रैली निकाली और आरपार की लड़ाई की घोष्णा कर दीऽब एक और भाजपाई यानी सरकारी विधायक नंद कुमार साहू भी देवजी के साथ जाते नज़र आ रहे हैं।
इसमे कोई शक़ नही कि पूरा ईलाका काले धुएं की गिरफ़्त मे है। और ये राजधानी रायपुर तक़ आ पंहुचा है।पता नही कब जागेगी सरकार।विपक्ष भले ही खामोश हो मगर सरकारी विधायक चिल्ला रहा हि काले धुएं से बचाओ,इस पर नही जागी सरकार तो पता नही कब जागेगी।भगवान ही मालिक है इस अमीर धरती के गरीब लोगों का।बड़े लोगो के लिये तो विदेशो तक़ मे आंदोलन होने लगते हैं मगर्…………॥
8 comments:
यह तो निकम्मेपन की हद है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
yahi to rona hai is desh ka aur samaj ka
सरकार को जागना ही होगा. पूर्व में भी सीमेंट कारखानों के कारण बुरा हाल था. फिर चिमनियों पर एक महंगा उपकरण लगाया जाना अनिवार्य कर दिया गया था. जब भी कोई सरकारी अमला इन फेक्टरियों में निरीक्षण हेतु जाता है, उन्हें दारु पिला कर लंचित (लंच) कर दिया जाता है. ईएसपी काम कर रही है या नहीं किसी को फ़िक्र नहीं होती.
काँग्रेसी अपने ही किए धरे के खिलाफ क्यों बोलने लगे? विधायक जी इस लिए जीत गए कि उन्हों ने जनता की आवाज उठाई। अगर अब भी कुछ नहीं हुआ तो वही हाल हो सकता है जो प.बंगाल में वामपंथियों का हो रहा है।
और जब गांव वालो ने प्रतिवेदन देने के साथ साथ मुणत से कहा कि आप उद्योगपतियो को प्रश्रय देते है और उन पर कार्यवाही नही होती ..तब मुणत जी तिलमिलाते हुये गांव वालो को धमाकाने लगे कि जानते है कि आप किस से बात कर रहे है ।
याने कि जान लो हम जनता के सेवक नही जनता के राजा है ।
इस देश का क्या होगा, यह नेता तो सुयर है, इन से क्या कोई उम्मीद नही, अब इस कांगेस को चुना है जिस ने पिछले ६० सालो से हमे चूना लगाया है अगले पांच साल ओर सही, फ़िर राय पुर क्या पुरा देश काला हो जाये इन्हे क्या, इन्हे तो नोट चाहिये.
प्रदूषण- वो क्या होता है जी....मुझे तो माल से मतलब है, सारी दुनिया जाए भाड़ में:(
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर अच्छी पोस्ट लिखी आपने.....जहां तक पढ़ा है आपको, आपकी हर पोस्ट को सार्थक ही पाया है....किसी ना किसी समस्या पर ध्यान दिलाती हुई, किसी कुरीति पर आवाज़ उठाती हुई, एक आम आदमी की आवाज़....यूं ही लिखते रहिये.....हम भी पढ़ते रहेंगे....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
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