Thursday, June 25, 2009

प्रिय बरखा तुम जंहा कंही भी हो ज़ल्द आ जाओ,तुम्हे कोई कुछ नही कहेगा,तुम्हारे जो जी मे आये करना!

बरखा अभी तक़ नही आई!सब चिंतित है।उसे तो कम से कम बीस दिन पहले आ जाना चाहिये था।पता नही कंहा भटक गई है।मन तमाम आशंकाओं से भर गया है।कंही कोई बरगला के भगा तो नही ले गया उसे।वो किसी बात से नाराज़ तो नही थी।ये सोच कर मन कांप रहा था।सोचा कल अख़बार मे एक बड़ा सा विज्ञापन दे ही दूं।प्रिय बरखा तुम जंहा कंही भी हो ज़ल्द आ जाओ,तुम्हे कोई कुछ नही कहेगा,तुम्हारे जो जी मे आये करना!

आमतौर पर बरखा इतनी देर नही करती।कुछ सिरफ़िरे लोगो की वार्मिंग की वारनिंग़ से कभी-कभी उसे थोड़ी देर ज़रूर हो जाती थी मगर इस बार तो मामला बेहद संगीन लग रहा है।ये लू नामका लफ़ंगा अभी तक़ चक्कर मार रहा है इसलिये उसके साथ भाग जाने का खतरा तो नही नज़र आता,मगर क्या कहा जा सकता है आजकल के बच्चों को।

बरखा के अब तक़ नही आने से सब परेशान है।गांव वाले नानाजी,दादाजी का तो बुरा हाल है।बुढापे मे ये दिन देखने मिलेंगें ऐसा सोचा भी न था कह कर अपने दिनो के किस्से सुनाते नही थक रहे हैं।आंखे बरखा के इंतज़ार मे अपने विदेश मे नौकरी कर बच्चों के इंतज़ार से ज्यादा पथरा गई है।उनके साथ-साथ काकाजी मामाजी,फ़ूफ़ा जी और नौकर कल्लू-मटल्लू,पील्लु-चुन्नू-मुन्नू सब उसका इंतज़ार कर रहे हैं।सब को इंतज़ार है कि वो ज़ल्द आयेगी और हर साल की तरह उनके लिये हरी-हरी चादर लेकर आयेगी।

शहर मे भी कभी उसे स्कूल छोड़ने जाने वाले रिक्शे वाले से लेकर थियेटर वाला,बाज़ार मे समोसे की दूकान वाले से लेकर गली के नुक्कड़ पर गुपचुप का ठेला लगाने वाले तक़ को बरखा का इंतज़ार है।सब हैरान है ऐसा क्या हो गया कि बरखा अभी तक़ नही आई।कंही किसी ने उसे कुछ कह तो नही दिया।मौसम विभाग वाले ज़रूर कभी कभार उसके बारे मे अंट-शंट बात किया करते थे मगर इस साल तो वो भी उसके फ़ेवर मे ही दिखे।फ़िर ऐसा क्या हो गया?क्यूं नही आई बरखा?सोच-सोच कर मन थर्रा जा रहा था।

कंही किसी से उस्का टांका तो नही भीड़ गया था?कंही पड़ोसी की नीयत तो खराब नही हो गई?कंही किसी ने किड़नैप तो नही कर लिया?सोच-सोच कर हालत पतली हुई जा रही थी।पंडित जी अलग डरा रहे थे कि बरखा आप के घर की लक्ष्मी है,अगर वो नही आई तो मुसीबत आ जायेगी।मुहल्ले के लफ़ंटूस भी उसके ना आने पर तरह-तरह की बाते करने लगे हैं।दो कौड़ी का सब्जी वाला भी बता रहा था कि आने वाले दिन मुश्किल और बढ जायेगी।

सब सोच समझ कर यही लगा कि अख़बार मे विज्ञापन दे ही देना चाहिये।बरखा अगर तुम्हारा किसी से लफ़ड़ा भी है तो उससे निपट लेंगे।तुम आ जाओ और फ़िर जिधर से चाहे गुज़रो कोई तुम्हे कुछ नही कहेगा।कोई तुम्हे मेंढक,बंदर,गधे या पेड़ से शादी करने की बात कह कर नही डरायेगा।तुम तो चाहे जिस छ्त पर बरसना और चाहे जिस गली से गुज़रना।तुम्हारी मरज़ी हो वंहा जाना और जंहा जाने की इच्छा ना हो मत जाना।तुम चाहो जिस पर अपना गुस्सा उतार सकती हो।मंगलू चौकीदार और कामवाली बाई के घर पर चाहो तो कहर बरपा देना मगर तुमसे निवेदन ही अब और इंतज़ार मत करवाना बस ज़ल्दी लौट आना।

31 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

खबर यह है कि इधर राजस्थान और कोटा में भी बरखा को नहीं देखा गया। शाम को पाबला जी ने फोन पर बताया था कि उसे भिलाई में उन के घर के आस पास देखा गया है।

संगीता पुरी said...

इसे कोई कुछ नहीं कहता .. फिर भी पिछले साल आकर कोसी क्षेत्र में कहर बरपाया था इसी ने .. और इस बार न आकर कहर बरपा रही है .. किसी में भी चैन नहीं है लोगों को .. इसी का तो फायदा उठाती है ये बरखा रानी।

Sanjeet Tripathi said...

भैया बरखा का इंतेजार कुवांरे लोगों को ही ज्यादा क्यों?

;)

एकदम सटीक लिखा है आपने।

Anonymous said...

द्विवेदी जी ने लिख ही दिया है तो बता देते हैं कि बरखा रानी आयी थी अपने पायलट्स, आंधी तूफान के साथ। जिन्होंने बरखा के गुजरने के पहले रास्ते की सारी बाधायें हटा दीं, फिर चाहे वह सालों पुराने पेड़ हों, बिजली के खंबे हों या फिर वैध-अवैध होर्डिंग।

आयी बरखा तो खूब बरसी सब पर। शहर के लोग तो पानी-पानी हो गये। सड़कें, मैदान भी पीछे नहीं रहे बरखा के रंग दिखाने में। बरखा के कोप से लोग दुबके हुये हैं क्योंकि उसकी सहेली बिजली रह रह कर उसके बॉडीगार्ड, बादल की गरज के साथ दहला रही।

बाकी हाल कल

राज भाटिय़ा said...

अनिल जी आप की बरखा रानी तो दो सप्ताह से यहां कहर ढा रही है,दो सप्ताह क्या पुरा जुन ही इस ने बरबाद कर दिया, यही मोसम होता हे यहां गर्मी का, इस की अटखेलिया, अब तंग कर रही है, चलिये इसे आप लोगो के पास भेजने के लिये मनाता हुं, अगर मान गई तो एक दो दिन मे सीधी फ़लाईट से भेज देता हुं, लेकिन इस की आव भगत सही करना, चाहो तो वही रख लेना.
चलिये अब इस को भेजने की तेयारी शुरु करता हुं.
धन्यवाद, इस के पहुचते ही खुशी का तार जरुर दे देना.

अविनाश वाचस्पति said...

मनमानी किसी की अच्‍छी नहीं
चाहे वो बरखा रानी ही क्‍यों न हो

अविनाश वाचस्पति said...

सीमा के अंदर
रहना और बहना
अच्‍छा रिश्‍ता है

Udan Tashtari said...

इस तरफ आने का कोई कारण भी नहीं है और आई भी नहीं हैं..वहीं कहीं खोजो!!

कुश said...

हमें तो लगा आप बरखा दत्त को बुला रहे है

अजित गुप्ता का कोना said...

ऱ्चना की जितनी तारीफ की जाए कम है। हमारे लेखकों के पास अगर कलम में इतनी सशक्‍त स्‍याही होगी तो फिर बरखा रानी क्‍या शस्‍य श्‍यामला भी स्‍थायी रूप से यहीं रह जाएगी। हार्दिक बधाई, ऐसा ही लिखता रहें।

ताऊ रामपुरिया said...

कहीं रिपोर्टिंग करने गई होंगी?:)

रामराम

उम्मतें said...

इस बार तो वो हमसे भी छुपा छुपाई खेल रही है वर्ना आप जानते ही हो जगदलपुर के रास्ते ही वो आप तक पहुँचती थी !
अनिल भाई पिछले कई दिनों से धुआंधार फार्म में है बरखा रानी नें उकसाया कि क्रिकेट के धुरंधरों की विज्ञापनबाजी नें ?

कौतुक रमण said...

बरखा तो आवारा होती जा रही है, जहाँ जरूरत नहीं वहाँ महिनों रह जाती है और जहाँ जरूरत है वहाँ से नदारद. हो भी क्यूँ नहीं बेचारी के लिये लोग दिन-ब-दिन मुश्किल बढ़ाते जा रहे हैं.

Nitish Raj said...

बरखा का इंतजार हम दिल्ली में भी कर रहे हैं। पर अनिल भाई बहुत अच्छा टाइटल दिया है आपने। आज फिर आप को मान गया, गजब की सोच।

नीरज गोस्वामी said...

" सुबह का भूला शाम पड़े जब लौट के घर को आये तो वो भूला ना कहलाये..." आपकी पोस्ट पढ़ कर मानसून लौट आया है...आप इतने आग्रह से बुला रहे हैं...कैसे नहीं आता?

नीरज

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

भारत के लिये तो वर्षा को आरक्षण की जरूरत अवश्य है.

दिगम्बर नासवा said...

काश बरखा को भी ब्लोगिंग का चस्का होता........... उसे भी पता चलता कितने लोग उसको पुकार रहे हैं.........
लाजवाब पोस्ट

राज भाटिय़ा said...

अनिल जी बरखा रानी की टिकट २९ जुन की पक्की हो गई है, आप तेयारी कर ले, संगीता जी को भी पता है यह टिकट उन्होकि कोशिश से मिली है, अगर सब ठीक रहा तो बरखा रानी २९ जुन को आप के पास भारत पहुच जायेगी.
राम भली करे

Ashish Khandelwal said...

देर न हो जाए कहीं देर न हो जाए... हमारे यहां भी इसे नहीं देखा गया

Abhishek Ojha said...

पुणे में एक सप्ताह से बादल तो घिर रहे हैं लेकिन २ दिन की बरसात के बाद फिर कुछ बरसा नहीं !

CARTOON TIMES by-manoj sharma Cartoonist said...

Answer dekhne ke liye my blog clik karen

नीरज मुसाफ़िर said...

आ रहे है जी 29 तारीख को.

Anil Pusadkar said...
This comment has been removed by the author.
Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

अनिल जी, क्या कमाल का लिखा है....सच पूछिए, हमें तो आधी पोस्ट पढने का बाद ही मालूम पडा कि आप किस "बरखा" की बात कर रहे हैं.. बेहतरीन पोस्ट.......देख लीजिएगा अब की बार बरखा रानी एक बार मुँह दिखाकर फिर से निकल जाने वाली है।

शेफाली पाण्डे said...

barkha ranee pahadon par to khoob aa rahee hai...vahan tak aane me samay lagega

अनिल कान्त said...

बहुत सताया है इसने ...अभी भी सता रही है

Ashok Pandey said...

अच्‍छा तो बरखा जी 29 को आएंगी... हम अगवानी में अभी से ही खड़े हैं जी हाथों में फूल-माला लेकर।

Pratik Maheshwari said...

लिखा तो आपने सटीक है..
पर हमारे यहाँ तो बरखा देवी ने दस्तक दे दी है काफी दिन पहले..
कहते हैं उनसे की आपका ब्लॉग पोस्ट पढ़ ले..
ज़रूर आ जाएगी :)

एम अखलाक said...

बेहद रोचक अंदाज में लिखी गयी स्‍टोरी।

Asha Joglekar said...

लगता है गलती से इधर का रुख कर गई हैं बरखा रानी। पर परवाह नही जल्दी ही समझा बुझा कर घर भेज देते हैं ।

Smart Indian said...

बरखा रानी, ज़रा जम के बरसो...