Saturday, June 27, 2009

क्या आपने देखी हैं ब्यूटी पार्लर से डेंटिंग-पेंटिंग करा कर निकली रंगी-पुती देवियां?

क्या आपने देखी हैं ब्यूटी पार्लर से डेंटिंग-पेंटिंग करा कर निकली रंगी-पुती देवियां?नही?अरे क्यों मज़ाक कर रहे हो भैया।रोज़ तो देखते हो।क्या कहा कंहा?अब ये भी बताना पड़ेगा क्या?एक नही तीन-तीन है वो,और मज़े की बात तो ये है कि उनका एक भी मंदिर नही है फ़िर भी लाखो लोग रोज़ उनके दर्शन कर रहे हैं।कर क्या रहे हैं वे खुद ही आ जाती है टाईम पर बिना नागा दर्शन देने।क्या कहा ऐसी कौन सी देवियां है?अब यार इतनी भी श्याणपंती ठीक नही है।हां याद आ गया ना।बिल्कुल सही। वही टीवी वाली तीन-देवियां।क्या कहा मै कैसे उनको देवियां कह रहा हूं?अरे भैया मेरी क्या मजाल किसीको देवी कह सकूं।अरे भैया तीनो स्वंभू देवियाम हैं।खुद ही बताती है खुद को देवियां।देवी कैसे हो सकती है?अब ये तो वो ही जाने भैया,वैसे कभी-कभी अपुन को भी बुरा लगता है उनका खुद को देवी कहना।ये तो भला हो ठाकरे ब्रदर्स एण्ड कंपनी और तमाम धर्म सैनिकों,सेनापतियों,ठेकेदारों का जो अभी तक़ इस बात को सीरियसली नही ले रहे हैं।वर्ना इस देश मे तो लफ़्डा करने के लिये बहाना भर बस चाहिये।देवी स्लीवलैस टाप क्यों पहनती है?देवियां बाल क्यों कट्वाती हैं?देवियां पतलून क्यों पहनती हैं?देविया लिप्स्टिक क्यों पोतती है?और दुनिया भर के सवाल किये जा सकते हैंआपत्ति तो मुझे भी है मगर तीनो देविया रोज़ सुबह-रात ये भी तो बताती है कि आपको क्या करना चाहिये-क्या नही?क्या पहनना चाहिये-क्या नही?बिना स्वार्थ के लोगो को आने वाले खतरे से सचेत करती रहती है और सही रास्ता भी दिखलाती है और इतना सब करने के बदले मे अगर वे खुद को देवियां कह लेती है तो क्या कुछ बुरा करती है?अब कुछ लोग ये ज़रूर कह सकते है कि दुकानदारी करने वालों को अपने आप को देवी कहने की बजाय दुकानदार कहना चाहिय्रे।अब किस्को क्या कहना चाहिये-क्या नही ये तो वे ही जाने मगर आप को कहना है कहिये ज़रूर्।

21 comments:

अनिल कान्त said...

आजकल आप पंगे लेने के मूड में दिख रहे हैं :) :)

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

शास्त्र कहते हैं कि सृ्ष्टि के प्रत्येक जीव में ईश्वर का अंश मौजूद है...हो सकता है कि ये तीनों भी किन्ही "देवियों" की अंशावतार हों...:)

विवेक सिंह said...

कुछ भी लिखिये , आपकी इश्टाइल अलग नज़र आ जाती है !

Anonymous said...

इस पोस्ट में कुछ अलग तरह की कुंठा झलक रही है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

रंगना पुतना स्वाभाविक प्रवृत्ति है,बस आप उत्तेजना में न आइए।

योगेन्द्र मौदगिल said...

कमाल है भाई जी... पिछली पोस्ट पर कमैंट देने लगा तो लाइट चली गई. आज फिर..

तीन देवियों के साथ-साथ बिजली देवी पर भी कुछ लिख डालिये ना...

Hari Joshi said...

जमाना ऐसी ही देवियों का है। ..इस से आगे हम कुछ कहेंगे तो लोगों के दिल पर ठेस लग सकती है।

विवेक रस्तोगी said...

अरे आपने तो बैठे ठाले ही ठाकरे बंधुओं को एक ओर नया मुद्दा दे दिया है, बस भला इसीमें है कि कोई उनको पढ़कर सुना न दें।

Gyan Dutt Pandey said...

कोई फिल्म या सीरियल की बात है शायद!

Gyan Dutt Pandey said...

देवियां तो आजकल वहीं पाई जाती हैं।

ताऊ रामपुरिया said...

बिना मेक अप के देवी कौन कहेगा जी?:)

रामराम.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

bhrastra rashtra, barkha raani aur aaj teen devi. kisi ka avtaar hone wala lagta hai.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

भैये, देवियों की बात छोडो, आजकल तो देव लोग भी रंगे पुते निकल रहे है ब्यूटी पार्लर से:)

Arvind Mishra said...

यह सब न हो तो नारी जीवन हा तेरी यही कहानी नहीं हो जाएगा !

राज भाटिय़ा said...

अनिल जी आप पंगा ले रहे है, अगर किसी देवी ठेकेदारनी की नजर पड गई तो आप के संग संग हमारी भी खेर नही( वेसे तो अब तक देवी अपने असली रुप मै आने की कोशिश कर रही होगी) क्योकि अनामी के रुप मे उस का दुत दस्तक दे चुका है...
मै तो चला... योगेन्दर जी की लाईट भी गई..अरे बाबा यह पतली गली कोन सी है...राम राम

दिनेशराय द्विवेदी said...

आज कल तो आप कुण्ठागार हो गए हैं? हर रोज अलग तरह की निकाल लाते हैं।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

देवियाँ ही क्यों बाकी चैनलों पर तो मुष्टंडे से दिखने वाले भी तो अपना अड्डा बनाये बैठे हैं.
...और वैसे भाई, दिल्ली में तो तरह -तरह के आड़े-तिरछे देवता भी ब्यूटी-पर्लोरों से डेंटिंग-पेंटिंग करा कर पुते- पताये निकलते हैं आजकल.

शेफाली पाण्डे said...

देवियाँ रंगना पुतना छोड़ देंगी तो समझ रहे हैं आप.....

महिलाऐं जो ना पोते लिपस्टिक और पावडर
घरवाले उनको पहचान ही नहीं पाएंगे
संसेक्स की हो जाएगी ऐसी तैसी
बाज़ार सारे खाली हो जाएँगे
इसीलिए अनिल जी .....
महिलाओं की ये मजबूरी है
अर्थव्यवस्था के लिए मेकप ज़रूरी है

उम्मतें said...

अनिल भाई मैंने आपका ये आलेख : सबसे पहले तो देखा ही नहीं फिर उसके बाद पढ़ा ही नहीं , इसलिए कोई कमेन्ट भी नहीं कर रहा हूं !

( वो क्या है कि रायपुर से होकर गुज़रने के अलावा हमारे पास दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं हैं ना )

समयचक्र said...

ब्यूटी पार्लर से डेंटिंग-पेंटिंग करा कर निकलती रंगी-पुती देवियां? को अभी तक नहीं देखा है . कल से किसी व्यूटी पार्लर के सामने खड़े होकर देखने की ट्राई करता हूँ . अनिल जी आपका लेख पढ़कर आनंद आ गया और पुतलियो/देवियो के बारे में सोचने जरुर लगा हूँ .

अजित गुप्ता का कोना said...

काले कपड़े वाले शनि महाराज के लिए भी कुछ लिख दें। और भी कई हैं जो नए नए प्रकार के जेवर और मेकअप कराकर आ रहे हैं हमारा भविष्‍य बताने। लिखे तो फिर सभी के लिए, एक वर्ग को ही निशाना न बनाए।