बहुत दिन हुये थे उसे देखे हुये।वो भी इन दिनो नज़र नही आ रही थी।पता चला कि वो मेरे मामा के गांव की तरफ़ आई हुई है।बस मैं भी निकल लिया उसे देखने के लिये।मगर ये क्या?वो तो ऐसे भागी जैसे मै सूरत से शक्ति,शाईनी या गुलशन भाई जैसा नज़र आ रहा हूं
कल रात ही मामा से बात हुई।उन्होने बताया कि वो इधर आ गई है।बस फ़ट से उधर जाने का प्रोग्राम बना लिया।भांजा गर्मी की छुट्टियां मनाने के लिये आया हुआ था।उसकी स्कूल भी शुरू हो गई थी।वो वापस जाने को तैयार नही था और उसकी मां यानी छोटी बहन बार-बार फ़ोन करके उसे भिजवाने के लिये कह रही थी।मैने उससे कहा भई तेरे बच्चे को किडनैप नही किये हैं।कल शाम को फ़ोन पर वो भी बोली आ जाओ वो यंहा आ गई है।और मैने उसे देखने जाना फ़ाईनल कर दिया।फ़िर मुझे खयाल आया कि गाड़ी की स्टेपनी तीसरा मोर्चा हो गई है।पिछली बार उसके सपोर्ट मे कुछ दूर तक़ जैसे-तैसे गाड़ी चला ले गया था।गाड़ी तो चल गई थी मगर सपोर्ट देने के बदले स्टेपनी निपट गई थी।
बिना स्टेपनी के लांग ड्राईव का मज़ा किरकिरा ना हो जाये इसलिये बिना रिस्क लिये मैने स्टेपनी डलवाने की सोची तो हमारे मैकेनिक साब ने कह दिया एक नही दो टायर लेने पड़ेंगें,दोनो को आगे या पीछे डाल कर निकले हुये टायरो मे से एक को स्टेपनी बना देंगे। और दूसरा?वो स्पेयर मे पड़ा रहेगा।रेट पूछा तो 5600 रु का एक टायर्।मैने कहा कि कोई पुराने टायर का जुगाड़ कर दे।इस पर उसने सभी टायर बदलने की सलाह दे दी।उसने कहा कि चारो टायर अच्छे है मै इनको अच्छे रेट मे बेच दूंगा आप पिरेली कं के टायर डाल लो।6800 रू का एक टायर।मै बोला खसक गया है क्या।वो बोला साब गाड़ी चलाने का मज़ा भी तो लोगे।फ़िर टायर तो देखिये क्या खूबसूरत दिखते हैं।पहली बार मुझे पता चला कि टायर भी सुन्दर दिखते हैं।फ़िर उसने बताया कि पीरेली कंपनी का कैलेण्डर दुनिया की सबसे सुन्दर माडलो को लेकर बनाया जाता है।सबसे सुन्दर,सबसे महंगा औए सबसे सैक्सी।मैने कहा सारी तारीफ़ कैलेण्डर की और टायर?साब वो भी कैलेण्डर जैसे ही है।
आखिर उसे देखने जाना था इसलिये सारे टायर बदल डाले।कोई रिस्क लिये बिना सुबह-सुबह निकल जाने का प्रोग्राम बना लिया।सुबह फ़ोन करके पूछा तो छोटी बहन ने बताया कि वो इधर ही है और झूम-झूम कर इतरा रही है।मैने अपने शहर के आसमान की ओर आस भरी निगाहों से देखा और सोचा दो दिनो से आसमान पर पसरे हुये है शायद आज बरस पड़े,इसी उम्मीद से मैने सुबह के प्रोग्राम को दोपहर तक़ टाला और जब देखा कि बादल तो कांग्रेस के गरीबी हटाओ नारे की तरह नज़र आ रहे है ,सो साढे बारह बज़े मैने निकल जाने मे ही भलाई समझी।सोचा कंही न कंही तो मुलाकात होगी ही।
छत्तीसगढ की सीमा समाप्त होने से पहले-पहले सड़क के किनारो के गड्ढो और आजू-बाजू के खेतों मे जमा पानी मुंह चिढाने लगा। और महाराष्ट्र म घुसते ही जमा पानी कुछ और बढा नज़र आया और उसका मुंह चिढाना भी बढता चला गया।पनी से भरे खेत और सड़को के किनारों के गड्ढे उसके आने-जाने की चुगली कर रहे थे।तीन बज़े मैने नागपुर फ़ोन किया तो पता चला कि बरखा रानी का रात को शुरू हुआ रेन डांस अभी तक़ जारी है।शायद वो नया रिकार्ड़ बनाना चाह रही है।मैने सोचा चलो यंहा न सही वंहा तो मुलाकात होगी ही।बारीश की बूंदो की टप-टप के साथ-साथ वाईपर्स की सर्र-सर्र का मज़ा लेने का खयाल अब किसानो की उम्मीद की तरह दम तोड़ने लगा था।
नागपुर पहुंचते-पहुंचते आसमान साफ़ होने लगा और थोड़ी ही देर मे किसी गरीब की तार-तार साड़ी से झांकती खुबसूरती की तरह आसमान पर छटते बादलो के बीच से धूप झांकने लगी।सुबह से गायब सूरज महाराज किसी कामचोर बड़े बाबू की तरह शाम को दफ़्तर बंद होते समय हाज़िरी लगाने की गरज़ से ड्यूटी पर हाज़िर नज़र आया।शहर मे घुसा तो आसमान साफ़ हो गया था।सोचा रात तक़ ही सही वो वापस आ जाये।पर देर रात तक़ वो नही आई।खैर हम भी हार मानने वालों मे से नही हैं।कल अमरावती निकल जाऊंगा उसे ढूंढते-ढूंढते।अगे वंहा म मिली तो अकोला और फ़िर और आगे।साली कंही न कंही तो मिलेगी।देखते हैं कब तक़ भागती है वो।मैने भी तय कर लिया है अगर वो मुझे गुल्लू यानी गुलशन,शक्ति या शाईनी समझ कर भाग रही है तो भागे।मै भी गब्बर बन कर उसका करारा नाच देखे बिना मानूंगा नही।
14 comments:
आस लगाए रखिए, पीछा मत छोड़िए, जरूर आएगी और नाचेगी भी। आप की बरखा रानी।
अजी जायेगी कहां ? जरुर मिलेगी, बस आज की रात थोडी कठिन है, कल शाम तक जरुर आयेगी, बहुत लोगो को उसी की इंतजार है.
धन्यवाद
बेहतरीन...अच्छा सस्पेंस है....वो कौन थी...आपकी उपमाएं कहर ढा रही हैं...
बड़ा तेज भागी भई...मस्त रहा लेकिन!
बहुत खूबसूरती से लिखा है .
स्टेपनी की ज़रूरत आपको …!?
आप तो शादीशुदा नहीं हो :-)
वाह वाह वाह!!
वीरु ने अगर कहा कि बसंती... तो :)
लगे रहिये जी....तेरा पीछा न छोडूंगा सोणिये...वाला गाना याद आता है.....अरे बरखा रानी मान भी जाओ काहे सताती हो
क्या बात है..... हाहा... रोचक..
आस ही लगा रखी है...देखो कब मेहरबा होती है.....
रोचक।
ummeed karenge ki jald hi milegi.
बड़ी शाइनिंग पोस्ट है!
le ke hi aana bhaiya use.............;)
हा हा हा
..पीछा करो बरखा-रानी की दिलचस्प दास्तान
विलंब से आया हूँ, मेरे ख्याल से अब तक तो मुलाकात हो गयी होगी और अब तक वो आपको अपने आगोश में ले सराबोर कर चुकी होगी...!!!
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