Friday, August 14, 2009

क्या इसीको आज़ादी कहते हैं?

हर साल की तरह इस बार भी आज़ादी का महापर्व आ गया।शान से तिरंगा फ़हरा कर हम इस जश्न को मना लेंगे और फ़िर अगले साल इसी दिन यही सब दोहरा देंगे जैसे सालो से करते आ रहे हैं।लेकिन आज भी अगर अपने ही देश मे तिरंगा फ़हराने के लिये अगर जद्दोजहद करनी पड़े और सालो बाद तिरंगा फ़हराने की घोषणा गर्व से करनी पड़ी तो ये क्या साबित करता है?क्या इसीको आज़ादी कहते हैं?

मैं कश्मीर की बात नही कर रहा हूं,कभी अमन और चैन का टापू कहलाने वाले छत्तीसढ की बात कर रहा हूं।यंहा मदनवाडा,(जंहा हाल ही मे एस पी समेत तीन दर्ज़न जवान नक्सली वारदात मे शहीद हो गये थे),मे पुलिस वाले कई सालो बाद तिरंगा फ़हरायेंगे वो भी ग्रामीणो के साथ्।सालो बाद तिरंगा फ़ैलाना अपने ही देश मे,और उसकी घोषणा करना,समझ से परे है।ये अकेला कस्बा नही है,ऐसे दर्ज़नो कस्बे और गांव है जंहा यही सब हो रहा है।

इसी इलाके मे ट्रांसफ़र के बाद पुलिस के पन्द्रह जवानों ने सस्पेंड होना मंज़ूर कर लिया मगर इसे नक्सलियो की दह्शत ही माना जायेगा कि वे वंहा नौकरी पर गये नही।उन्होने नौकरी दांव पर लगाना ज़रूरी समझा बनिस्बत ज़िंदगी दांव पर लगाने के।खैर उन्को क्या कहे वे तो छोटे कर्मचारी है उसी इलाके मे ट्रांसफ़र के बाद एक एएसपी ने वंहा जाने के बदले कोर्ट जाना उचित समझा और ट्रांसफ़र रूकवा लिया।जब एएसपी वंहा नही जा रहे है तो जवानो को क्यों जबरन भेजा जा रहा है?क्या उनको जीने की आज़ादी नही है?

दूसरे इलाको मे तो और बुरा हाल है।दस किलोमीटर की दूरी तय करने मे पुलिस को 48 घंण्टे से ज्यादा समय लग रहा है।पुलिस कोईलीबेडा इलाके मे घूसने मे पूरी एह्तियात बरतने का दावा कर रही है।पुलिस को वंहा एक ही परिवार के आठ लोगो को ज़िंदा जला दिये जाने के मामले की जांच करना है।मृतको मे एक दो साल की दुधमूंही बच्ची भी है।ये पहला मामला है निजी विवाद मे नक्सलियों के शामिल होने की बात सामने आ रही है।आठ लोगो को ज़िंदा जला देने के संगीन मामले की जांच दो दिन बीत तक़ शुरू भी नही हो पाई?क्या कोई सबूत मिलेगा?और क्या कोई गवाही देगा?न अपने हिसाब से देखने की आज़ादी?न बोलने की आज़ादी?

अबूझमाड के 4000 वर्ग किलोमीटर तक़ फ़ैले ईलाके के तीन सौ से ज्यादा गांवो मे से मात्र दो का ही विद्युतीकरण हो सका है आज तक़। सड़को का तो अता पता नही है।आज़ादी के इतने जश्न मनाने के बाद भी आज-तक़ वंहा के लोगो को अस्पताल आने के लिये कई किलोमीटर पैदल चलना पढता है।स्वाईन फ़्लू से पूणे मे एक आदमी मरता है तो सारे देश मे हल्ला मच जाता है।सब को अपने ज़िंदा रहने की चिंता है और जंगल मे बिना ईलाज हर साल एक नही दर्ज़नो लोग मर रहे है उन्की सुध लेने वाला कोई नही?

वैसे मुझे भी ये सब कहने का बहुत ज्यादा हक़ नही है क्योंकी मै तो आज़ाद हूं।कल शान से तिरंगा फ़हराऊंगा।वी आई पी पास घर आ जाता है।चाहे तो पुलिस परेड ग्राऊण्ड मे जाकर मुख्य कार्यक्रम देखूं या घर मे बैठ कर टीवी पर सबके खोकले संदेश सुनु।जगह-जगह शान से और कड़ी सुरक्षा मे तिरंगा फ़हराने के शाट्स देखूं और आंखे बंद कर अपने ही प्रदेश के जंगलो की दुर्दशा पर रोऊं?क्या फ़र्क़ पड़ता है?हां वैसे इस देश मे कम से कम रोने की तो आज़ादी है?

21 comments:

Unknown said...

jiyo anilji jiyo,
bade marm ki baat kahi hai..........

swaaeen flu ka hangaamaa machaa rakha hai aur rozaana kitne hi log be maut maare jaa rahe hain
unki ginti tak nahin hoti...

kyon ve insan nahin hain ya aazaad nahin hai ?

abhinandan aapkaa...........

Unknown said...

bhai aah !
bhai waah !
nabz par haath dhar diya aapne.....
darpan dikha diya aapne........
badhaai !

Anonymous said...

सर झुकाए, बुदबुदाने के अलावा किया भी क्या जा सकता है।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सरकारें कब चेतेंगी?

जितेन्द़ भगत said...

आजादी मनाना और उसको जीने में यही फर्क है:(

डॉ महेश सिन्हा said...

पुलिस और सेना में यही फर्क होता है . पुलिस की नौकरी लोग रोजी रोटी के लिए करते हैं न कि जान गवाने के लिए . यह तो साबित हो चुका है कि गरीब जनों की जिनका कोई माई बाप नहीं है की पोस्टिंग ही दूर दराज इलाकों में होती है . वैसे खबर अच्छी है कि १५ अगस्त के बाद BSF की तैनाती होने जा रही है . इसी सन्दर्भ में चीनी कूत्नित्क का बयां आना कि भारत के टुकड़े टुकड़े कर देना चाहिए जाहिर करता है कि लडाई कोई छोटी नहीं है . नेपाल में माओवादी बिहार और यूपी के अपराधियों को सरंक्षण और सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं ? जब तक इनके आतंरिक समर्थकों को नहीं घेरा जाएगा बीमारी चलती रहेगी . यह भी जानना जरूरी है कि क्या बात है जो नक्सली सदस्य को तो लड़ने पर उतारू और पुलिस को भीरु बनाती है .

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

आज़ादी के छः दशक हमें करोडपतियों की आधी संसद दे दी!! क्या यह प्रगति नहीं है:)

SAMEER said...

दिल के दर्द को जुबान दे दिया आपने.....आजादी के इस महापर्व में हमें इस चिंतन की अत्यंत आवश्यकता है अनिल जी कोटि -कोटि बधाई आपको....

Vinay said...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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INDIAN DEITIES

अनिल कान्त said...

पुणे के हो हल्ले की तरह देश के अविकसित अन्य हिस्सों पर पहले से ध्यान दिया होता तो आज ये दिन ना देखना पड़ता...और अब भी क्या ख़ाक कर रही है सरकार

ताऊ रामपुरिया said...

क्या किया जाये?

रामराम.

उम्मतें said...

"सहमत"

संगीता पुरी said...

कहीं किसी क्षेत्र में आजादी नहीं .. पर सबकुछ झेलने को विवश ही तो हैं हम !!

Gyan Dutt Pandey said...

नक्सली फैलाव के खिलाफ एक केंद्र सरकार के तालमेल वाली मुहिम की खबरें थी। उसपर अगर कुछ होता है तो आशा की किरण जागेगी।

36solutions said...

मुझे बाबा नागार्जुन की एक कविता इस अवसर पर याद आती है 'किसकी है जनवरी किसका अगस्‍त है, कौन यहां सुखी है कौन यहां मस्‍त है'
आपको स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनांए.

Akanksha Yadav said...

Ekdam sahi farmaya apne !!

स्‍वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.

स्वतंत्रता रूपी हमारी क्रान्ति करवटें लेती हुयी लोकचेतना की उत्ताल तरंगों से आप्लावित है।....देखें "शब्द-शिखर" पर !!

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

आप की बात एकदम सही है....

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

देश को एक हिटलर की जरूरत है. कडुवा लगेगा लेकिन लिखूंगा जरूर, यहां का आदमी हंटर के बिना काम करना ही नहीं चाहता (अपवाद हर जगह होते हैं), जब हंटर चलेगा तभी कुछ होगा, अन्यथा अरण्य रोदन होता रहेगा.

Arkjesh said...

आपका ब्लॉग एक अच्छा प्रयास है ।

विकास की कमी ही नक्सलवादी समस्या को बढावा दे रही है ।
ब्लॉग के माध्यम से जमीनी सच्चाइयों को उजागर करना सराहनीय है ।

Creative Manch said...

बहुत ही गजब का लिखा है. बिलकुल सच्चा लेखन
आपने देश की नब्ज पर हाथ रख दिया !
शुभकामनाएं


-----------------------------------
सूचना :
कल सवेरे नौ बजे से पहली C.M. Quiz शुरू हो रही है.
आपसे आग्रह है कि उसमें भी शामिल होने की कृपा करें.
हमें ख़ुशी होगी.
-----------------------------------
क्रियेटिव मंच

Creative Manch said...

बहुत ही गजब का लिखा है. बिलकुल सच्चा लेखन
आपने देश की नब्ज पर हाथ रख दिया !
शुभ कामनाएं



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सूचना :
कल सवेरे नौ बजे से पहली C.M. Quiz शुरू हो रही है.
आपसे आग्रह है कि उसमें भी शामिल होने की कृपा करें.
हमें ख़ुशी होगी.
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क्रियेटिव मंच