यंहा राजधानी रायपुर मे एक सार्वजनिक गणेशोत्सव मे गणेश जी की प्रतिमा को गज़नी फ़िल्म के आमिर खान का रूप दे दिया गया था।इस बात को लेकर विरोध शुरू हुआ ही था कि पुलिस जागी और आनन-फ़ानन मे मुहल्ले वालों समेत कुछ हिंदूवादी नेताओं को बुलाया और सबसे सहमति लेकर मूर्ति का मान-सम्मान से विसर्जन करा दिया। हालांकि समिति वालों ने गणेश जी को पितांबर पहना कर और उसे केश आदि लगाकर लीपापोती करने की कोशिश जरूर की मगर पुलिस ने इसे संवेदनशील मामला मानते हुये सुधरे रूप को भी आपत्तिजनक माना।
रायपुर का हिंदू जाग न जाये और बेवजह बवाल न मच जाये इसलिये पुलिस तत्काल हरकत मे आई।हालांकि इस बार भी उसकी कारवाई काफ़ी देर से शुरू हुई मगर इस बात का संतोष किया जा सकता है कि कोई फ़साद खडा होने के पहले ही मामला निपट गया।पुलिस ने पता लगाया तो गणेशोत्सव समिति मे कक्षा नवमी और दसवी के छात्र भर बस हैं।छात्रों को नासमझ मानते हुये पुलिस ने उन्हे समझाईश देकर छोड़ दिया मगर मूर्ति बनाने वाले कलाकार विनय को पुलिस ने नही छोड़ा।उसे प्रतिबंधात्मक धारा के तहत गिरफ़्तार कर लिया ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
बहरहाल पुलिस की इस कार्र्रवाई को समय पर उठाया कदम माना जा रहा है।इस मामले मे देरी का मतलब बेवजह का फ़साद फ़ड़फ़ड़ाता और शहर समेत आसपास की शांति भंग कर देता।इस कार्रवाई के बाद अब पुलिस के पास कुछ और इलाको से मूर्ति के आकार मे परिवर्तन कर उससे उपहास किये जाने की शिकायत आने लगी है।जो भी हो अब लगता नही है कि लोग भगवान की प्रतिमा का मज़ाक बनायेंगे,बाकि तो इस देश का भगवान ही मालिक है।
27 comments:
गुड!..अच्छा किया...
सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी
वाकई, भगवान ही मालिक है!
रायपुर के पुलिस वाले आप का ब्लाग पढ़ते हैं?
हमारे यहाँ तो प्रतिष्ठित भिलाई विद्यालय के ठीक सामने लाऊडस्पीकरों की कतार से शोर आता रहा किसी जिम्मेदार अधिकारी ने नहीं पूछा भई ये स्कूल के सामने ध्वनि विस्तारक यंत्र कैसे लग गए।
जनता जाग भी जाए तो क्या? एक्शन लेने वाले जगें तो बात बने
यह तो कोई बात नहीं हुयी ! बस हिन्दू धर्म को इसी से खतरा हो गया ?
आपकी तरह जागरूक और दबंग पत्रकार की बदौलत यह मामला उठा और संतोषजनक ढंग से हल भी हुआ, वरना दुनिया में रोज़ाना हिन्दू प्रतीकों के साथ खिलवाड़ होता रहता है, पत्रकार, पुलिस और वकील देखते रहते हैं कुछ करते नहीं… इसलिए आप बधाई के हकदार हैं…
अब क्या कहा जाये अनिल भाई?
रामराम.
हिन्दू के जागने की परिभाषा क्या है?
यही कि जैसे वो अयोध्या में जागा था, जैसे वो गुजरात में जागा था...
चलिए, अन्त भला सो भला!
@पाबला जी, छत्तीसगढ़ में तो गणेशोत्सव और दुर्गोत्सव में कानफोड़ू संगीत (या शोर?) ठेलना समितियों का जन्मसिद्ध अधिकार बन गया है। शिकायत पर कोई भी ध्यान नहीं देता और यदि कोई समिति वालों से आवाज कम करने का आग्रह करता है तो स्वयं ही अपमानित होता है।
विवादास्पद मुद्दे को समाप्त करना अच्छा ही होता है .. वैसे मेरी नजर में मूर्तिकार का कोई दोष नहीं .. उसे भी दंड नहीं मिलना चाहिए !!
वाह, गणेश जी फिल्मी पहलवान बनने से बचे!
एक बार सिलचर नामक शहर में दूर्गापूजा के पंदालों में ईसाईयों ने टेरेसा की फोटोएं लगवा दी थी. लोगो ने खूद ही हटा कर बवाल होने से बचा लिया. पुलिस ने ठीक किया.
@स्वच्छ भाई बुद्धी स्वच्छ रखें सब समझ आ जाएगा.
जब जागे तभी सबेरा
आपका स्वागत है इस ब्लाग PAHLA EHSAS पर केवल टिप्पणी से काम नहीं चलेगा। आपको भी सहयोग करना होगा।
@ अरविन्द मिश्रा जी - बात हिन्दू धर्म पर खतरे की नहीं है, अपमान की है… यदि ध्यान नहीं दिया गया तो कल गणेशजी की मूर्ति को दाऊद जैसा भी दिखाया जा सकता है, बुश जैसा भी बनाया जा सकता है, तब?
@ स्वच्छ सन्देश - कुतर्क फ़ैलाने इधर भी आ गये? अनिल भाई अब आप झेलो इसे, मोहल्ला से बाहर किये जाने का दुख इतना साल रहा है कि अब बात-बेबात में इधर-उधर ऊटपटांग वक्तव्य दे रहे हैं… (पता नहीं इस पोस्ट में अयोध्या और गुजरात कहाँ से घसीट लाये), इस "अस्वच्छ" से पूछिये कि जब एक जूता कम्पनी ने अपने जूतों पर "मुस्तफ़ा" लिखा था तब क्या-क्या हुआ था? दिक्कत ये है कि ये तर्क की भाषा नहीं समझते…
चलो अंत भला तो सब भला.........
haan ,itna kar dene bhar se shaanti ho gayi hogi!
jis ne 'is moorti ko banwaane ka order 'diya aur lagwaayee wah vyakti kya doshi nahin hai?
चलो, गणेश जी के चक्कर में रायपुर बच गया.
सच कहा आपने,वाकई इस देश का तो भगवान ही मालिक है!!!!!
मामला सुलझ गया है ये जानकर ख़ुशी हुई !
अभी यू ट्यूब में देख रहा था बंबई के मशहूर गणपति को १९३७ से १९४८ तक कई बार गणपति को नए नए आधुनिक रूप में दिखाया गया . तब भी हम लिबरल ही थे
मैंने "The return of hanuman" देखी है उसमें एक बिल्ली हनुमान जी पर फ्लर्ट कर रही थी और हनुमान जी कह रहे थे "अपनी साइज़ देखी है" {भगवान् (हिन्दुओं के ही सही)} को किस तरह से पेश किया जाता है मीडिया में वहां कोई बवाल नहीं होता... कोई हिन्दू नहीं जागता....
एक और फिल्म देखी थी (फिल्म का नाम भूल गया) उसमें अंडी फिल्म का हीरो था और कादर खान था, कादर खान यमराज बनता है और असरानी चित्रगुप्त) इसमें भी यमराज की किताब को गलती से ज़मीन पर गिरते दिखाया गया था.....बाकी बताने की ज़रूरत नहीं...
मीडिया और फिल्म वाले लगातार भगवानों को ज़लील करते हैं....
खासकर अमिताभ बच्चन की हर फिल्म में भगवान् से दो दो हाथ करते दिखाया जाता है जैसे "खुश तो बहुत होगे तुम..."
और अदालत फिल्म में भी अमित भैया ने भगवान् शंकर की तस्वीर को उठा कर पठ्खने की गुस्ताखी की है... तब हिन्दू नहीं जागा... ऐसे कई उदहारण हैं...
हाँ हिन्दू जागा वहां जहाँ मुसलमान सामने होता है, चाहे वो विभाजन की बात हो, अयोध्या की बात हो, गुजरात की बात हो......यह नादानी है
हिन्दू और मुसलमान को समझना चाहिए कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.... जिन वेदों को हिन्दू धर्म में प्रतिष्ठा प्राप्त है अगर हिन्दू वेदों की शिक्षाओं को आत्मसात कर ले तो कहीं भी कोई प्रॉब्लम नहि आएगी....
क्यूंकि वेदों में कहीं नहीं लिखा है कि मूर्ति पूजा करनी चाहिए... उसमें लिखा है न तस्य प्रतिमा अस्ति...
और एकम् ब्रह्म द्वितियों नास्ति, नेहंये नास्ति, नास्ति किंचन"
यानि भगवान् एक ही है दूसरा नहीं है. नहीं है, नहीं है, ज़रा भी नहीं है"
सलीम खान जी, कुरान तो आसमानी किताब है, दुनिया के हर्ज मर्ज की दवा है......उसमें हिन्दुओं के जागने की परिभाषा नहीं दी है क्या??
सलीम ने बात तो बिलकुल सही कही है.... अभी अभी टी वी पर जो स्वंबर का मजाक उडाया गया कोन बोला उस के बिरोध मै.....
बहुत अच्छा किया
भगवान् गणेश का वो गेटअप रखना ही नहीं चाहिए था
वीनस केसरी
NAYA DRISHTIKON JAROORI HAI MAGAR AASTHA SE KHILWAAD KARKE NAHI ...
चलिए छत्तीसगढ़ की पुलिश समय रहते जागी | काश भारत के बाकी कोने मैं भी पुलिश समय रहते जागी होती तो दैवीय प्रतिमा अपमान से बच जाती |
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