Tuesday, September 15, 2009
हिंदू त्योहार की पार्टी दी तो भगवाकरण और रोज़ा ईफ़्तार पार्टी दे रहें है तो?
एक मैकरो विषय पर माईक्रो पोस्ट।रमज़ान के महिने मे इन दिनो ईफ़्तार पार्टिया देने का कम्पिटीशन चल रहा है।दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ की राजधानी मे ईफ़्तार पार्टियां हो रही है।कंही मुख्यमंत्री शामिल हो रहे हैं तो कंही महामहिम राज्यपाल।मंत्री और पूर्व मंत्री भी शामिल हो रहे हैं।ईफ़्तार पार्टी मे किसी के शामिल होने पर मुझे कोइ ऐतराज़ नही है और इसे लेकर कंही कोई बवाल भी नही है।बिल्कुल होना चाहिये ईफ़्तार पार्टियां,दिजिये,खुशी से दिजिये लेकिन कभी-कभार कांवरियों या बजरंगियों को तो भी बुलाना चाहिये? अगर कोई भाजपा का बड़ा नेता हिंदू त्योहार धूमधाम से मना ले तो? ढेरों सवाल,जगह-जगह बवाल।हिंदू त्योहार की पार्टी दे दी तो भगवाकरण और रोज़ा ईफ़्तार पार्टी दे रहें है तो…………………।?
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29 comments:
there should be a blanket ban on all such faltu events ....any religion it may be.
तुष्ट करो,संतुष्ट करो,संतुष्ट सुधा का अमियपान वोटिंग रेट बढाता हैं
क्षुधित रहे अगर कोई तो पार्टी का पूरा टी.आर.पी.रेट गिर जाता हैं
बात तो आपकी ठीक लगती है ।
तुष्टिकरण से ज्यादा क्या कहेंगे !
आप सही कह रहे है, लेकिन इस मै हमारी भी गलती है ८०% हिन्दु है अगर सब मिल कर रहे तो इन कमीने नेताओ को इन की ओकात याद दिला दे, ओर हमारी आपसी फ़ुट के कारण ही हम दब से गये है
हिंदू त्योहार की पार्टी दी तो भगवाकरण और रोज़ा ईफ़्तार पार्टी दे रहें है तो? धर्मनिरपेक्ष ..
ई तो बिरियानी और हलीम की सेकुलरिज़्म है भैया:)
और हाँ… ऐसी इफ़्तार पार्टियों में हरा साफ़ा या जाली वाली टोपी अवश्य लगाना चाहिये…। लेकिन हिन्दू त्योहार पर कहीं किसी कांग्रेसी ने गलती से भगवा दुपट्टा ओढ़ लिया तो इटली की चर्च वाली मैडम उसकी ऐसी-तैसी फ़ेर देंगी। क्या भाऊ, आप अब तक सेकुलरिज़्म का मतलब नहीं समझे? सेकुलरिज़्म मतलब "शर्म"निरपेक्षता… :)
राज भाटिया जी , बस वही तो मार खा गए ! अगर ये उंच नीच , ब्रह्मण क्षत्रीय, पंजाबी मद्रासी की खाईया न खादी की गयी होती तो जनपथ के इर्दगिर्द बैठे इन गिद्धों का पालन पोषण कैसे होता ?
भतीजे प्रजातांत्रिक देश मे ऐसी बाते करना मना है.:)
रामराम.
यह सारा चक्कर वोटों का है. वह धर्म के नाम पर एक हो जाते हैं, इसलिए हर राजनीतिबाज उन्हें खुश करने की कोशिश करता है. आप धर्म के नाम पर और ज्यादा बँट जाते हैं. कोई क्यों परवाह करेगा आपकी? एक हिन्दू ही हिन्दू धर्म और संस्कृति को गाली देता है, यह सोच कर कि इस से मुसलमान खुश हो जायेंगे और उसे वोट दे देंगे.
मैं तो सेक्युलर हूँ, इसलिए आपकी पोस्ट से आपत्ति है. लगता है आपका आरएसएस से सम्बन्ध है. देश में कट्टरता फैलाना बन्द करें और इस्लाम कबुल लें तथा स्वच्छ हो जाएं. फिर भारतीयों को मारोगे तब भी तमाम सगंठन आपके लिए काम करेंगे, जेल में भी बिरयानी मिलेगी. और आप हो कि एक पार्टी को ही रो रहे हो.
मेरे देश में परजातंत्र है....! गजब है भाई...
आपने ये सवाल किससे पूछा है?
{ Treasurer-S, T }
सही कहा आपने ये तुश्टिकरण ही है आभार्
excellent
हिंदू त्योहार की पार्टी दी तो भगवाकरण और रोज़ा ईफ़्तार पार्टी दे रहें है तो? सेकुलर !
मुसलमान को गैर मुस्लिम द्वारा आयोजित इफ्तार में जाने से पहले यह तस्दीक़ कर लेना चाहिए कि उसकी कमाई हलाल है या हराम...
आज खबर थी की ओसामा फिर जिंदा हो गया है!
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वाह अनिल जी वाह,
बड़ी ही आसानी और सफाई से आपने ये तथ्य छुपा लिया कि संवैधानिक पदों पर बैठे ये महानुभाव होली मिलन भी आयोजित करते हैं और जितनी जानकारी मुझे है होली शायद हिन्दुओं के त्यौहारों में गिना जाता है।
मुनीश जी से सहमत, धर्मनिरपेक्ष देश होने के कारण हमारे संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को सार्वजनिक तौर पर किसी भी धर्म के कार्यक्रम में अपनी संवैधानिक हैसियत में शिरकत नहीं करना चाहिये।
secular शब्द का अर्थ हमारे देश में अधिकतर लोग सभी धर्मों का समान रूप से तुष्टिकरण मानते हैं इसीलिये होता है ऐसा...
सेकुलरों ने गंध मचा रखा है | ये सरासर तुस्टीकरण है पर सेकुलर इसपे भी कुतर्क करना नहीं भूलते |
बहुत सही मुद्दा उठाया है अपने |
bhai secualr nahi ho jaiyenge nahi to?
प्रवीण भाई अभी कुछ दिनो बाद ही नवरात्र है।इसमे भी श्रद्धालू उपवास रखते हैं।तब आपसे पूछेंगे सारे देश मे कितनी फ़लाहार पार्टियां हुई।मुझे तथ्य छुपाने से क्या फ़ायदा?रहा सवाल सलीम का तो मै उससे सहमत हूं,जितने नेता ईफ़्तार पार्टियां देते हैं क्या वे अपनी मेहनत की कमाई का पैसा खर्च करके देते हैं?ये तय कर लिया जाना चाहिये?
दोनों ही पार्टियां वोट पार्टियाँ हैं। दोनों में कोई फर्क नही, दोनों तुष्टिकरण की मिसाल हैं।
अनिल भाई , जो लोग ये दावतें करते हैं उनके शुद्ध निहित स्वार्थ होते हैं हाँलाकि आपका आशय मै समझ सकता हूँ यह द्रष्टि का प्रश्न है लेकिन क्या करेंगे हम लोग तो इतने असहाय हैं कि हम वही देखते हैं जो दिखाया जाता है ।
तुष्टी करण तो है ही । हज के लिये सबसिडि और यात्रा के लिये ठेंगा । हर मंत्री इफ्तार पार्टी देगा होली मिलन होगा पार्टी नही नवरात्र और दीवाली तो सवर्णों के त्यौहार हैं इनमें तो शुभ कामनाओं से काम चल जाता है ।
हिंदू त्योहार की पार्टी दी तो भगवाकरण और रोज़ा ईफ़्तार पार्टी दे रहें है तो? तुष्टिकरण ...लोकतंत्र का असली चेहरा...वोट-बैंक की राजनीति
जब देश का विभाजन कर के तुष्टिकरण किया गया तो कोई रोक नहीं सका, तो क्या अब तुष्टिकरण को रोक लोगे? हुँह
अच्छा, ऑस्टेरिटी ड्राइव चल रही है। और इफ्तार पार्टी भी!
जय सेकुलरदेव!
आपके विचारो से सहमत हूँ . हर हाल में समाजवाद होना चाहिए ....
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