Friday, September 18, 2009

क्या कर रहा है?क्यों?पता है ना कल से नवरात्रि शुरू है?

एक माईक्रो पोस्ट।सुबह से ही फ़ोन बजने लगे,क्या कर रहा है?क्या प्रोग्राम है?कब निकलेगा घर से?खाली है ना?क्यों?क्यों,क्या क्यों?पता नही है क्या कल से नवरात्रि शुरू हो रही है।पता है, तो?तो क्या?कल से सब सत्संग वत्सग बंद हो जायेगा ना?तो?तो-फ़ो कुछ नही।आज ज़ल्दी निकलना,बस।कमाल है, मैने सोचा घोर कुतर्की कह रहा है कल से बंद है?फ़िर दूसरे का,फ़िर तीसरे का,फ़िर चौथे का और एक एक करके सबके फ़ोन आ गये।सारे के सारे इस बार नवरात्रि मे बंद करने पर एक साथ सहमत?मैने सोचा लगता है मैया का असर है।मगर ये गलतफ़हमी ज़ल्द ही टूट गई।थोडी ही देर मे फ़िर से फ़ोन बज़ने लगे ज़ल्दी पहुंचो आज लास्ट डे है दिन से ही चालू करना है,नौ दिन का कोटा आज ही पूरा करना पडेगा ना?मैने सोचा क्या फ़र्क़ पड़ता है नौ दिन दारू बंद करने से।और फ़िर बंद कर भी देंगे तो रोज़ दिन गिनेंगे एक-एक करके।इससे तो अच्छा है शुरू ही रक्खें।फ़ाल्तू दिखावे मे क्या रक्खा है।श्रद्धा मन मे होनी चाहिये।

15 comments:

Arvind Mishra said...

ई दारू बंद करने से श्रद्धा में पंख थोड़े ही लग जायेगें !

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

भाई जब दो पैग लगते ही आते शुद्ध विचार
अगली पोस्ट के लिए ब्लॉगर हो जाता तैयार

लोग बंद कर देंगे तो दुकान तो खुली रहेगी

संगीता पुरी said...

खाने और पीनेवालों को बस बहाने चाहिए .. मकर संक्रांति को एक दिन मांसाहार खाना बंद रखना है .. इसके लिए 13 जनवरी को हमारे इलाके में जमकर मांस खाने का एक त्‍यौहार मनाया जाता है .. सबके घर एक बलि पडती है .. तो यहां तो नौ दिनों की बात है !!

राज भाटिय़ा said...

अरे पहले कोटा पुरा कर लेते ब्लांग पर फ़िर पेंग वाली पोस्ट डालते.... पता नही क्यो मुझे हंसी आती है, ऎसे लोगो पर, आप ने बहुत सुंदर लिखा,लेकिन जब नही पीनी तो मत पियो, क्या यह नॊ दिन ही उस देवी के है बाकी दिन किस के, उन दिनो मे पीने से डर नही लगता ?? राम राम

Kulwant Happy said...

लास्ट डे, फास्ट वे... जल्दी से लालपरी का लुत्फ उठा लो...वरना नौ दिन..तरसोगे...

Anonymous said...

बंद रखें या शुरू!
हमें कौन याद करता है :-)

बी एस पाबला

अनिल कान्त said...

sahi baat kahi

ताऊ रामपुरिया said...

।इससे तो अच्छा है शुरू ही रक्खें।फ़ाल्तू दिखावे मे क्या रक्खा है।श्रद्धा मन मे होनी चाहिये।

सत्य वचन भतिजे.

रामराम.

Unknown said...

नवरात्रि के नौ दिन तक देवी नहीं आती दारू दुकानें बंद करवाने फिर भी लोग, नौ दिन के लिए ही सही, पीना छोड़ देते हैं, दारू दुकान वाले मक्खी मारते बैठे रहते हैं।

गांधी जयन्ती के दिन शासन द्वारा बन्द करवाने के बावजूद लोग पीते हैं इससे पता चल जाता है कि किसी के प्रति जबरन श्रद्धा उत्पन्न नहीं करवाई जा सकती।

Gyan Dutt Pandey said...

यो, यत श्रद्ध: स एव स:।

दिनेशराय द्विवेदी said...

जिस की जैसी श्रद्धा।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

भूखे पेट भजन न होये गोपाला॥
तो फ़िर, प्यासे रह्कर भजन कैसे करेंगे:)

Smart Indian said...

बात शायद परिजनों के दवाब की है.

समयचक्र said...

सुन्दर प्रस्तुति . धन्यवाद . ईद और नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनाये

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

अहा कितने committed लोग हैं...पूरे 9 दिन तक, हर रोज़, याद रखेंगे कि आज भी नहीं पीनी है