Sunday, December 6, 2009

कितना बदल गया है सब कुछ, समय के साथ-साथ खुद समय भी बदल गया है शायद!

एक बहुत छोटी सी पोस्ट समय के बदलते मिजाज़ पर।बात बहुत छोटी सी है मगर इसके मायने बहुत बड़े है।ये इस बात का सबूत भी है कि हमने समय के साथ तरक्की तो बहुत कर ली मगर उसके साथ ही बहुत कुछ पीछे छूटता चला गया है।
सदियों पहले इंसान के पास घड़ी नही थी मगर उसके पास समय भरपूर था और आज लगभग हर इंसान के पास घड़ी है मगर समय्……………?समय शायद किसी के पास नही है।शायद मेरे पास भी नही।जभी तो मैं भी चंद लाईनो मे इस पोस्ट को निपटा रहा हूं।ये बात मुझसे कही मेरे छोटे भाई जैसे भतीजे,यंहा के होटल और प्रापर्टी मार्केट के दिग्गज़ कमलजीत सिंह होरा ने।उम्र बहुत ज्यादा नही मगर अनुभव बहुत ज्यादा जभी तो महसूस कर लिया कि कितना बदल गया है सब कुछ, समय के साथ-साथ।और मुझे तो लगता है कि खुद समय भी बदल गया है शायद!आपको क्या लगता है बताईगा ज़रूर।इस भागती-दौड़ती दुनिया मे सब भागते चले जा रहे मिल भी रहे हैं तो चलते-चलते,किसी के पास समय नही हैं आखिर क्यों?

26 comments:

Unknown said...

समय पहले भी कहाँ था अनिल जी? इसीलिये तो कहा गया हैः

काल करे सो आज कर आज करे सो अब्ब।
पल में परलय होयगी बहुरि करेगा कब्ब?

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

आदरणीय अनिल भैया.....

बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....... सदियों पहले इंसान के पास घड़ी नही थी मगर उसके पास समय भरपूर था और आज लगभग हर इंसान के पास घड़ी है मगर समय्…… यह पंक्तियाँ बिलकुल सही गयीं हैं......

छोटी पोस्ट ...मगर गहरी बात......

संजय बेंगाणी said...

मैं समझता हूँ, एक पंक्ति में बात कही जा सकती हो तो दो पंक्तियों में लिखना गलत है. समय सबके पास कम है. अतः आपकी यह पोस्ट माइक्रो नहीं, प्रयाप्त है.

दिगम्बर नासवा said...

इंसान को छोड़ कर सबके पास समय है ..... ये पंछी, प्रकृति और सब .......... इसलिए ये सब शाश्वत रहेंगे बस इंसान को छोड़ कर ..........

दिनेशराय द्विवेदी said...

समय तो अपनी रफ्तार पर है। हम ही बदल रहे हैं बहुत तेजी के साथ।

उम्मतें said...

विचारणीय

Chandan Kumar Jha said...

समय सबकुछ ठीक कर देगा पर पहले घड़ा तो भर जाय ।

डॉ महेश सिन्हा said...

पहले समय आदमी का गुलाम था अब आदमी समय का .
शायद इसीलिए कहा जाता है कि मरने की फुर्सत नहीं

Khushdeep Sehgal said...

वहां कौन है तेरा मुसाफ़िर जाएगा कहां,
दम ले घड़ी भर,
ये आराम पाएगा कहां...

जय हिंद...

अनूप शुक्ल said...

क्या पता किसी के पास अभी भी समय बहुत बहुत इफ़रात हो। जिन जगहों में घड़ी अभी पहुंची नहीं वे शायद अभी भी भरपूर समय के साथ हों।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सही बात है
शहरों में समय नहीं बचा है

योगेन्द्र मौदगिल said...

होरा जी ने अपनी अनुभवशीलता का सही प्रमाण दिया.....

राज भाटिय़ा said...

कर्मजोगी के पास तो समय कभी नही होता, लेकिन प्यार, ओर भावानेये होती थी, जिन्के कारण हम समय निकल लेते है, ओर आज वो भावनाये मर गई, वो प्यार खत्म हो गया, बस मतलब रह गया हमारे पास, मतलब के लिये सब के पास समय है, वरना राम राम
आप ने भौत सुंदर लिखा

Gyan Dutt Pandey said...

बहुत भागमभाग बढ़ गई है! :(

शरद कोकास said...

बिलकुल सही है .. घड़ियाँ तो है समय नहीं ,दवाएँ तो हैं स्वास्थ्य नहीं , पकवान तो है मगर भूख नहीं ... पुराने लोग कहा नही करते थे चने हैं पर दाँत नहीं ...

Arvind Mishra said...

इसके बाद भी आपकी पोस्ट पढी और लीजिये टिपियाया भी !

شہروز said...

bhaiya namaste! dino baad net se jud paaya hoon.idhar blogging bhi shuru kar di hai.mere teenon blog ki posting aur vishesh kar saajha-sarokaar ki post zaroor dekhiye.

aap ne jo likha pahle sa hi sooraj sa yatharth hai.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

जीवन की भागदौड ने आज इन्सान को सिर्फ अपने तक ही सीमित कर दिया है...

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

गर मेरी ज़िंदगी में ग़म इतना था
तो दिल भी यारब कई दिए होते॥

उसी तरह तेज़ ज़िंदगी में काश कि ४८ घंटे का दिन होता :)

गौतम राजऋषि said...

सच कहा अनिल जी। अब देखिये ना कब से सोच रहा था कि अनिल जी के ब्लौग पर झांक कर देखना है...और आज आया तो लगा को पोस्ट की बात सीधे-सीधे मुझपर ही कटाक्ष कर रही है।

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

अंधी विकास की दौड़ में इंसान अपने को इतना उलझा लेता है की इसी में फसा रहता है ... बाकी चीजों के लिए समय कहाँ है ?

नीरज गोस्वामी said...

बहुत सही लिखा है आपने...समय आज किसी के पास भी नहीं है...और इस दौड़ भाग में कोई कहीं पहुँच भी नहीं रहा...अंधी दौड़ है जिसमें कौन आगे है और कौन पीछे इसका कोई अर्थ ही नहीं है...
नीरज

shikha varshney said...

बहुत सही कहा आपने आज सबके पास घड़ी है पर समय........और जिनके पास थोड़ा बहुत समय है उन्हें उसकी कदर नहीं ..बहुत अच्छी पोस्ट.

Anonymous said...

dear,
Anil,namaste
first time i read ur blog.It is nice to see,some body critisise the current situetion.
Anallyse about the direction of development.Spacialy about youth & culture?

परमजीत सिहँ बाली said...

विचारणीय़ पोस्ट।

सूर्यकान्त गुप्ता said...

ab log ghadi ghadi ghadi dekhne me samay bitate hain to samay kahan milega