एक छोटी सी मज़ेदार पोस्ट।बात निकली तो समझिये बस निकलती चली गई।आदमी को कल हमारे मित्र ड़ा अजय बेचारा साबित करने पर उतर आये थे।दो एक डीडी वन,दूरदर्शन वाला डीडी वन नही डीडी वन याने डऊकी(पत्नी) डरहा नम्बर वन,ने उनकी बातो का विरोध करने की कोशिश मगर जब डा ने अपने तर्क मे ये कहा तो सब खामोश रह गये।
डा ने कहा कि बताओ आदमी क्या कर सकता है,वो तो लाचार है,बेचारा है।
अगर वो बीबी पर हाथ उठाता है तो ज़ालिम कहलाता है,
अगर बीबी से पिट जाता है तो बुज़दिल,
औरत को किसी के साथ देख कर लड़ाई करे तो जलनकुकड़ा और अगर खमोश रहे तो बेगैरत,
घर से बाहर रहे तो आवारा और घर मे घुसा रहे तो नाकारा,
बच्चों को डांटे तो निर्दयी और न डांटे तो लापरवाह,
औरत को सर्विस करने से रोके तो शक्की और उसे काम करने दे तो उसकी कमाई खाने वाला।
उसके बाद डा बोला और बताऊ या इतना काफ़ी है।अब तक़ बाकी सब डीडी वन सरेंडर कर चुके थे।सब बोले यार डा बात तो ठीक है मगर क्या करें मज़बूरी है यार उधर का फ़ेवर भी तो करना पड़ता है ना।
ये सारा किस्सा दोस्तों की महफ़िल मे हंसी-मज़ाक के दौर का है।इसमे सीरियस होने जैसा कुछ भी नही है।ये किसी का मज़ाक उड़ाने के लिये नही कहा गया और ना ही यंहा किसी वर्ग विशेष को अच्छा या बुरा साबित करने की कोशिश है।हंसी-मज़ाक के दौर मे इसका केंद्र मैं भी था,मेरी शादी की बात को लेकर शुरू हुई बहस ने ये मोड़ ले लिया था।आपको क्या लगता है कि डा का कहना सही है या गलत?बताईयेगा ज़रूर।आपकी राय मुझे आगे का फ़ैसला लेने मे मदद करेगी।
करो तो ऐसा है,वो करो तो वैसा है,आदमी बेचारा करे तो क्या करे?
18 comments:
"आदमी बेचारा करे तो क्या करे? "
ऐसे में बेचारा आदमी कुछ कर ही कहां सकता है! :)
अनिल जी, डॉक्टर साहब के कथन से हमें भी समझ में आ गया कि आदमी बेचारा है!
ये डीडी वन भी खूब रही! :-)
sahi hai bhai!!!!!!!
bechara
sachmuch bahut bechara
डॉ. से सहमत
ये दुनिया जीने नहीं देगी खाने नहीं देगी पीने नहीं देगी...
ये डीडी वन कोटेशन बहुत काम का मिला.
हम तो लड्डू खा के पछता रहे है भैया, भले लोग हमे बेचारा कहे .... :)
आप अब भी शादी न करने का बहाना क्यो तलाशते हैं? कर ही लीजिए। वरना लोग कहेंगे। डरता था।
क्या करेगा बेचारा ।
एक पत्नि पीड़ित गोष्ठि मे पूछा गया, कि क्या आप अपनी पहचान बनाना चाहेंगे? संतु को छोड़ सब ने हाथ उठा दिये। क्यों भाई तुम नहीं चाहते अपनी अलग पहचान बनाना?
पत्नि से पूछ कर बताऊंगा। उसने कहा है कि खबरदार मेरे जाने बिना कोई फैसला किया तो। संतु ने जवाब दिया।
sir ji shaadi karenge to badhaai aur nahin karenge to ......?
संवेदनशील रचना। बधाई।
कुल मिला कर मुझे तो यह डीडी वन विशेषण खूब भाया :-)
मेरे ख्याल से आपके डीडी टू होने में कोई बुराई नहीं है :-)
हा हा
अनिल जी, जिंदगी में शादी एक बार ज़रूर कराना ,
वर्ना सारी उम्र बिना वज़ह ही पड़ेगा पछताना ।
शादी करके आपकी हालत होगी सो होगी ,
पर कम से कम ,पछताने की एक वज़ह तो होगी।
"आपकी राय मुझे आगे का फ़ैसला लेने मे मदद करेगी।"
अरे ये तो पता नहीं चला उम्मीद अभी बाकी है !
बड़ी दुविधा है!
डी दी तो सही ही कह रहे हैं बस संकोच में हम ही पड़े हैं.
अनिल जी,
शेर अगर आपके सामने आ जाए तो फिर आपने क्या करना है...जो करेगा वो शेर ही करेगा...
जय हिंद...
डॉक्टर साहब ने जो भी कहा शादी शुदा भाइयों को पता होगा पर लगता तो यही है की शायद सभी DD-१ होंगे, आखिर करें तो करें क्या????????वैसे सबसे पुराना चैनल है..........हाहाहाहाहाहा..........
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