सरकार,ठाकरे बंधुओं से ज्यादा भाषाई ज़हर उगल रही है!ये गूढ तथ्य उभर कर सामने आया रात्रिकालीन चिंतन बैठक मे।जब इस तथ्य का खुलासा किया डा अजय ने तो सभी चौंक गये और इस बात पर यकीन करने को तैयार नही हुये मगर हंसी-मज़ाक के दौर मे निकली इस बात को डाक्टर ने सच साबित कर दिखाया।
चिंतन बैठक मे मुम्बई के भाषाईदंगल जो कभी-कभी मुझे डब्ल्यू-डब्ल्यू एफ़ की फ़ाईट जैसा,लगता है पर बहस चल रही थी।बैठक मे उपस्थिती ठीक थी याने कोरम पूरा था।दौरे थकोहारन के शुरु होते ही एक एक करके सब शुरु होने लगे।बुद्धिविलास टानिक असर दिखाने लगा था और मुम्बई मे हो रहे तमाशे पर पुलिसिया पाण्डे ने कड़ी आपत्ती की और इस सबके लिये राजनिती खासकर ठाकरे बंधुओं को ज़िम्मेदार ठहराया।
तब तक़ सबकी बुद्धी चार्ज़ हो चुकी थी।बिना डाक्टरी किये डाक्टरों के साथ रहने के कारण डाक्टर कहलाने लगे डाक्टर गोपाल ने तत्काल कश्मीर का मसला उठा दिया और अपने भाजपा प्रेम की वजह से सीधे-सीधे कांग्रेस को फ़ूट डालकर राज करने वाले अंग्रेज़ो का उत्तराधिकारी ठहरा दिया।मैने जब असम और नेफ़ा का राग छेड़ा तो पीऊ याने पुलिसिया पाण्डे ने तत्काल विरोध किया और कहा कि आप एक गलती को दूसरी गलती बता कर सही साबित नही कर सकता।मैने वंहा ब्लाग कबाड़खाना पर संभवतः अनिल यादव द्वारा लिखी गई पोस्ट का उदाहरण देकर बात रखी।इस पर ब्लागर डा महेश सिन्हा ने ब्लागर सुरेश चिपलुणकर की तिरंगे पर लिखी गई पोस्ट का उल्लेख करते हुये बहस को आगे बढाया।
बैठक मे क्रिस्चियन साथी और मंडली के बड़े भाई की मौज़ूदगी की वजह से बहस धर्मांतरण की ओर मुड़ते-मुड़ते रह गई।फ़िर मैने छेड़ा कि बस्तर से नीचे उतरते ही आंध्र-प्रदेश की सड़कों पर माईलस्टोन पर हिंदी या अंग्रेज़ी के नज़र नही आने का सवाल उठाया तो पण्ड़े समेत गोपाल और अन्य साथी एक स्वर मे राग आलापने लगे नेशनल हाईवे पर लिखा मिलता है।जब मैने पूछा जिसे तेलुगु नही आती तो क्या उसे सिर्फ़ नेशनल हाईवे पर ही सफ़र करना चाहिये और अंदर जाना हो तो।भाषाई-विवाद को इस मोड़ पर आते देख कुछ लोग उसे वापस मुम्बई की ओर खिंचने लगे।
तभी अचानक़ डाक्टर अजय ने रह्स्योदघाटन किया कि सबसे ज्यादा भाषा का ज़हर तो केन्द्र सरकार घोलती है।सब हैरान रह गये कि डाक्टर कितनी दूर की कौड़ी ढूंढ कर ले आया।सबने कहा क्या बात कर रहे हो डाक्टर!इस पर डाक्टर ने कहा कि बीएसएनएल क्या है?सबने कहा ये भी कोई पूछने की बात है!तब डाक्टर ने कहा कि इस सरकारी कम्पनी को राष्ट्रभाषा और अंग्रेज़ी के अलावा राज्यों की भाषाओं का उपयोग क्यों करना चाहिये?क्या महाराष्ट्र मे मराठी और आंध्र मे तेलुगु का इस्तेमाल भाषावाद को बढावा नही देता।जब आप हिंदी और अंग्रेज़ी मे सब को सब कुछ बता सकते हो तो मोबाईल पर मराठी मे संदेश क्यों?
बात तो सही ही थी।महौल गंभीर हो चला था।मैने थकोहारन के स्ट्रांग स्ट्रोक को माईल्ड करने के लिहाज से कहा क्या डाक्टर सिर्फ़ मराठी के पीछे ही क्यों पड़े हो।वो हंसा और बोला कि यही तो इस विचार को सामने लाने वाला कारण है।मैने पूछा कैसे?अरे यार 12- 14 जबलपुर कान्फ़्रेंस मे जाना है और उसी समय नागपुर मे टोनी के बेटे की शादी भी है।घर मे बता दिया हूं जबलपुर कान्फ़्रेंस जाना है।तो बता दो नागपुर जा रहा शादी मे ये नागपुर पे तेरी भाभी विश्वास कम करती है।इस पर गोपाल भी बोला हां ये प्राब्लम तो है।अब टापिक बदल गया था।पाण्डे ने कहा वो सब मैं नही जानता।टोनी खुद यंहा आकर सबको बोल कर गया है और सबको लाने की ज़िम्मेदारी मुझे सौंप गया है।
इस पर डाक्टर बोला उसी के तो जुगाड़ मे लगा हूं।घर मे बता दिया हूं की कान्फ़्रेंस मे जबलपुर जाना ज़रूरी है।जबलपुर बोलकर नागपुर तो जा नही सकता ना।सब बोले क्या प्राब्लम है।तब डाक्टर बोला वही भाषा का प्राब्लम।नागपुर मे अगर मोबाईल बंद मिला तो मराठी मे दिया जाने वाला मैसेज बता देगा ना कि मैं जबलपुर मे नही हूं।सब बोले ये तो वाकई बड़ा प्राब्लम है।अब गोपाल बोला एक बार मै फ़ंस चुका हुं दिल्ली बोलकर मुम्बई गया था साले फ़ोन ने पोल खोल दी थी।
अब सब के सब बोले ये बात तो सही सरकार को सिर्फ़ राष्ट्रभाषा का उपयोग करना चाहिये वर्ना भाषावाद का ज़हर सिर्फ़ प्रांतों के बीच नही बल्कि घर-घर मे कलह पैदा करा देगा।इसके बाद फ़िर से माहौल मुम्बई के लफ़्ड़ों के कारण सीरियस होने की बजाय मोबाईल पर अपनी लोकेशन छुपाने जैसे राश्ट्रव्यापी समस्या का हल ढुंढते हुये खुशनुमा हो गया।तो कैसा लगी हमारी चिंतन बैठक और उससे निकला अमृत विचार्।बताईयेगा ज़रूर्।
15 comments:
ab kya kahein....kuch bacha hi nahi, aapka lekh padh kar khamosh hona hi pada
कितना अच्छा लगता है पढ़ कर कि देश के कर्णधार कैसे नशे में लगाए पड़े हैं मुझे ताकि मैं दूसरे सवाल पूछूं ही नहीं...
रात्रिकालीन चिन्तन बैठक!
बुद्धि विलास टॉनिक!!
खैर, इसी बहाने घर-घर मे कलह पैदा करने वाले भाषावाद का ज़हर क्या गुल खिला सकता है,जानकारी हुई
आभार
हमारी राष्ट्रभाषा तो अब नाम मात्र को रह गई है.....
अपनी भाषा से प्रेम बहुत अच्छी बात है किन्तु जब तक लोगों के दिमाग में यह नहीं स्थापित होता कि राष्ट्र की भाषा का स्थान अपनी भाषा से अधिक ऊँचा है तब तक भाषाई विवादों का अन्त नहीं हो सकता। किन्तु हमारे देश की स्वार्थ की राजनीति के कारण आज तक हमारे पास कोई राष्ट्रभाषा ही नहीं है। हिन्दी तो राजभाषा है। राज समाप्त हो गये और राष्ट्र बन गया मगर राजभाषा है और राष्ट्रभाषा का अस्तित्व ही नहीं है। जब राज ही नहीं रहे तो क्या है ये राजभाषा?
aana padega lagta hai aapki chintan baithak me
;)
वह संजीत क्या अंदाज है एंट्री लेने का :)
संजीत भाई से सहमत, ऐसी चिन्तन बैठक करना ही पड़ेगी एक बार… सारी गलती बुद्धिविलास टॉनिक की है…। यह टॉनिक कायदे-कानून से लिया जाना चाहिये… ठीक से नहीं लिया होगा कुछ लोगों ने इसीलिये ऐसे विचार निकले… :) :)
बुद्धि विलास टॉनिक!!
kya hain is taaanik me.... thoda maharashtra me denaa padegaa
he he he, apan amithabhi nai lekin us se kam bhi nai ;)
isliye entry dhansu hi lenge na
;)
छत्तीसगढ़ के 35 लाख युवायों की ओर से कृशि सचिव बी एल अग्रवाल जैसे लोगों के कारण ही प्रदेष में नक्सलवाद पनपती है इस तरह के जितने भी भ्रश्टाचार नेता है उन्हे फासी पर लटका देना चहिए ये लोग अपने स्वार्थ के लिए आम जनता के हक के पैसे अपनी माँ बहन में बाप भाई बेटे बेटीयों में खर्च करते हैं इस तरह के लोग ही नासुर है हमारे देष में इनके खिलाफ रासुका लगनी चाहिए और जिंदगी भर जेल में सड़ने देना चहिए इनकी सभी संपत्ती सरकार जप्त करे और इनके सारे रिस्तेदार जो इनके इस भ्रश्टाचार में लिप्त थे इन पर भी कठोर से कठोर कार्यवाही हो तब जाकर इस तरह के भ्रश्टाचारीयों को सबक मिल सके सभी भ्रश्टाचार आई ए एस लोगों के खिलाफ जाच किया जाय की छत्तीसगढ राज्य बनने के बाद किन किन भ्रश्टाचार आई ए एस अफसरों ने अपने वेतन के अलावा कितना पैसा भ्रश्टाचार से कमाया है। यदि सरकार पाक साफ है तो यह कार्य जन मानस के उपर पड़ रहे अतिरिक्त महंगाई के बोझ को कम करने के लिए इस तरह के बड़े कदम सरकार को उठाना चाहिए मैं चाहूँगा कि मेरे प्रदेष की जागरूक जनता इस माँग को लेकर षासन के समक्ष अपना दबाव बनावें । ताकि पारदर्षिता के साथ भ्रश्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाया जाय इसी तरह से व्यापारियों के उपर भी अंकुष लगाया जाय ये अधिकारी और व्यापारी मिलकर देष की जनता को लुट रहे है मैं युवा भईयों एवं आम जनता से अनुरोध करता हूॅ कि वे इस पक्ष में एक जन जागृति लावें सभी न्यज चैनल वाले भईयों मिडिया जगत के लोगों एवं समाचार पत्र प्रकाषक भईयों से अनुरोध है कि वे इस तरह के अन्य अधिकारी कर्मचारीयों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ कर सरकार में बैठे लोगों को कहे कि इस तरह के अफसर को तत्काल अरेस्ट कर उन्हे जेल भेजे और देषद्रोह का चार्ज लगावे ये भ्रश्ट अधिकारी कर्मचारी अपने एसोसियेसन बनाकर अपने आप को सुरक्षित करने की कोषिष करते हैं इस तरह के एसोसिएसन को ततकाल प्रभाव से रद्द किया जाय जो कि सिर्फ षासन का पैसा डकैत के रूप् में गैंग बनाकर लुटते हैं और सभी पर डकैती का अपराध दर्ज हो। जो भी व्यक्ति इस तरह के लोगों का सहयोग करता है उस पर भी कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो। केन्द्र सरकार में जो लोग बैठे हैं उन नेताओं और अधिकारियों को सब पता रहता है कि किस विकास के लिए कितना पेसा आता है कितना खर्च होता है कितना डकार दिया जाता है अत: महानुभावों से पुन: अनुरोध है कि इस तरह के लोगों पर सख्त से सख्त कार्यवाही हो । अन्त में मैं यह बात पुरे देष के सामने ले जाना चाहता हूँ कि आप सभी बतायें कि इस अधिकारी पर क्या कार्यवाही किया जावे.......................धन्यवाद्
मुझे तो लगता है की आपके मित्रों को सरकारी भाषावाद से ज्यादा पत्नियों के सामने पोल खुलने की चिंता है :)
Rastra bhasa par chinta hamara daram siddha aadikar hai par buddhivilas tanik ke bina ho to aachcha hoga
हा हा हा हा।सही कहा अली भाई मगर आप ये भी देखिये पत्नी के सामने पोल खुलने कि चिंता हुई तो राष्ट्रभाषा पर चिंता करने के बाद ही।
अज्जू आजकल तो कोई भी बैठक इस टानिक के बिना नही होती और तो और लोकतंत्र का महाकुंभ चुनाव भी इसके बिना पूरा नही होता।गलत कह रहा हूं तो बताना।
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