Thursday, April 8, 2010
विवाह के समय पत्नी बायीं तरफ़ और पति दायीं तरफ़ क्यों बैठते हैं?
आज छोटी सी पोस्ट।हल्कि-फ़ुल्की,निर्मल आनंद के लिये।सभी से निवेदन है कि इसे उसी रूप मे ले।एक सवाल उठाया गया था दोस्तों के सत्संग में।सवाल ऐसा था जिससे मेरा दूर-दूर तक़ कोई वास्ता नही था,लेकिन बाकी सब उस सवाल से परिचित थे।काफ़ी देर तक़ जब सवाल का जवाब सामने नही आ पाया तो पूछने वाले भाई बलबीर ने ही जवाब भी दे दिया।सबने उसको अकल आने की बधाई दी तो उसने सरदार से असरदार होने का राज़ भी बता दिया।सवाल ये था कि विवाह के समय पत्नी बायीं तरफ़ और पति दायीं तरफ़ क्यों बैठते हैं?अब जवाब भी सुन लिजिये क्योंकि बैलेंस शीट के अनुसार तमाम असेटस दायीं तरफ़ और लायबिलिटीज़ बायीं तरफ़ होती है।अब सरदार के असरदार हो जाने का राज़ भी अरे भाई मुझे किसी ने एसएमएस भेजा था वही तुम लोगों को बता रहा हूं,और उसी बात को मैं आप लोगों को बता रहा हूं।आप लोग भी बताईयेगा सही क्या है गलत क्या है?क्योंकि अपुन तो आज तक़ बैलेंस शीट पर आया ही नही।
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29 comments:
हाहाहा, बहुत बढ़िया, सही बताया..
लाभ की बैलेंससीट में किसका भारी होना सही रहता है :) मामला बराबरी पर छूटता है शायद :)
ये सरदार जी की बात काफी असरदार लगी....अब सच क्या है ये नहीं पता पर कहीं मैंने पढ़ा था की ईश्वर ने नारी को पुरुष के वाम अंग से निर्मित किया था इसी लिए वो वामांगी कहलाई ..और इसीलिए विवाह के समय वो बायीं ओर बैठाई जाती है....जिनको सही पता हो वो इस विषय पर रोशनी डालें....ये निर्मल हास्य भी ज्ञानवर्द्धक बन जायेगा ...
यानि अपुन का खाता एक साइड खाली है . इसीलिये लोग पीछे पड़े रहते हैं कि कुछ माल ढीला हो :)
Badi sargarbhit jankari di..abhar.
बेहतरीन। बधाई।
बैलेंस शीट तो नयी बात लगती है ( liabilities तो होना जरुरी है)... वैसे ज्यादातर मामले में पुरुष का दाहिना हाथ, और स्त्री का बाया चलता आया है. शायद ज्योतिष भी बायाँ हाथ कन्या के लिए मानते हैं.
एक का वामपंथी होना भी जरुरी है...(हा हा)
अनिल जी,
विवाह होते समय सात फेरे होने के पहले तक वधू वर के दाहिनी ओर रहती है किन्तु फेरे हो जाने के बाद उसे वर के बाईं तरफ का स्थान मिल जाता है। इससे सिद्ध होता है कि फेरे होने के बाद ही वधू लायबिलीटी बनती है।
भतीजे, जरा बैलेंसशीट बना कर तो बताओ, फ़िर बायें दायें का खेल बिना समझाये ही समझ आ जायेगा.:)
रामराम.
...रोचक प्रसंग!!!
ओह...तभी तो ये स्त्रियां विवाह के बाद बायें से उठकर दायें आ जाती हैं और फिर बेचारा पति वामन हो कर रह जाता है !
"अब जवाब भी सुन लिजिये क्योंकि बैलेंस शीट के अनुसार तमाम असेटस दायीं तरफ़ और लायबिलिटीज़ बायीं तरफ़ होती है" Ha-ha-ha-ha-ha..
लोग कहते हैं सरदार पागल होते हैं और यहाँ एक सरदार ने १२० करोड़ लोगो को पागल बना रखा है !
हा हा हा ! लाइफ एक बैलेंस शीट है।
बढ़िया लगी ये तुलना ।
kya baat hai dada.... sachhi.... kabhi kabhi aap bahut sahi baat kah jaate hain...
हा हा
असरदार बात है
मालूम ही नही था और न अभी तक जानने की इच्छा हुई । ऐसे मे वही बात मान लेना चाहिये जो कोई बताये और कारण सहित बताये
लाईफ वाईफ और बैलेंस शीट
सुन्दर
Is mamle me main kaise kuchh bata sakta hoon.. kabhi pala hi nahhin pada bhaia
apan ye sab nai jante, bas ballu bhaiya ko apna hello hai
अच्छा ..!!!
असेटस दायीं तरफ़ और लायबिलिटीज़ बायीं तरफ़..!
अजी हुज़ूर सबसे बड़ा असेट जो बायीं तरफ ही है...'दिल'
न हो तो सारे खाते यहीं रह जाने हैं...
हाँ नहीं तो...!!
हमेशा बांई ओर ही चलना चाहिए ..क्योंकि बाईं ओर पत्नी होती है ..अर्थात ...हे तात ..हमेशा से पत्नी के पीछे पीछे चलने का मतलब है कि आप राईट साईड चल रहे हैं । कितनी फ़िलौस्फ़िकल टाईप हो गया ये तो ....।हा हा हा
मगर कौन है वो जो एक ब्रह्मचारी ब्लोग्गर को ऐसे एसएमएस भेजता है , जरा बताईये तो सही । वैसे असली कारण तो वही है जो आपने बताया
अनिल भाई्,
ये मुआ सारा पर्स का खेल है...और मर्द का नाम प्राणी पर्स दायीं जेब में ही रखता है...
वैसे सर जी, इरादे क्या है, बड़ी गौर से देखा जा रहा है कि फेरों में कौन कहां बैठता है...क्या इसी साल बाराती बनने की तैयारी शुरू कर दें...क्यों ब्लॉगर बिरादरी, आपका क्या कहना है...आप भी तो उगलवाइए ज़रा अनिल जी के दिल का राज़...
जय हिंद...
एक और पहलू हो सकता है। जब वधु वर के वामांग में बैठेगी तब वधु का दायां हाथ होगा और वर का बायां। मतलब वधु उसे मजबूती से पकड़ सकती है और उसकी पकड़ इतनी मजबूत नहीं होगी। वाम तरफ ही दिल भी होता है तो वर कहता है कि अब तुम मेरे दिल पर राज करो। अनिल जी आप यह सब क्यों पूछ रहे हैं, कहीं वामांगी मिल तो नहीं गयी है?
सब दिल का मामला है, और कुछ नहीं बाकी बातें तो केवल मजे लेने के लिये हैं :)
आधी बात अबधिया चाचा ने बता दी है कि फेरो के बाद पत्नि वाम अन्ग बैठती है. इस निर्मल हास्य को और आगे बढते है विवाह से पूर्व महिला मित्र के रूप मे लडकी असेट की तरह होती है और बदनामी के डर के कारण ळडकी के लिये पुरुष मित्र लायबिलीटी. फेरो के बाद जब दाम्पत्य का तुलन पत्र बनता है तब दोहरे लेखान्कन के नियम के अनुरूप यह स्थान परिवर्तन होता है क्योकि सारे मामले अब नकद नारायण से चलते है.
जिन्दगी के तुलन पत्र पर मेरी ये कविता भी देखे.
जनम होता हमारा ओपनिंग बैलेंस यहाँ
आख़िरी की सांस होती क्लोजिंग बैलेंस जी
जिद है हमारी भैया करंट लाइबिलिटी यहाँ
सीखने की इच्छा है अपने असिट जी
दिल है हमारा भैया करंट असिट यहाँ
सुद्ध साफ आत्मा है फिक्सड असिट जी
बुद्धि दिमाग होता फिक्सड डिपॉजिट यहाँ
मेहनत से काम करना करंट अकाउंट जी
उपलब्धियाँ हमारी कैपिटल होती है यहाँ
चरित्र हमारा भैया स्टॉक इन ट्रेड जी
मित्रगन हमारे हैं जनरल रिज़र्व यहाँ
सद्व्यवहार हमारी गूडविल होता है जी
धैर्य है हमारे द्वारा अर्जित व्याज यहाँ
सबका मिला प्यार हमें मिले दिविदेंत जी
बाल बच्चे हमारे बोनस इशू है यहाँ
और शिच्छा है यहाँ ब्रांड और पेटेंट जी
ज्ञान हमारे द्वारा किया इनवेस्टमेंट यहाँ
अनुभव होता है हमारा प्रीमियम जी
आदमी को चाहिए इसे अक्यूरेट रखे
और चाहत ऐसी इसे साफ सुथरा रखे जी
फिल्मों में दिल बायें तरफ होता है . वास्तव में तो बीच में होता है . दायें बायें को बैलेन्स करने के लिए .
वैसे एक टिप्पणी नहीं आई इसलिये राज नहीं खुल रहा है :)
is daayen baayen me to apun ki chhakkar ghirni ho gayi
hahahaha.........achcha balance hai.
पहली बार सुना बॉस ऐसा धाँसू विश्लेषण ।
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