Saturday, May 15, 2010
फ़ैमिली का मतलब सिर्फ़ मियां-बीबी और बच्चे,बस!
एक छोटी सी पोस्ट और उसके जरिये छोटे-छोटे कुछ सवाल भी।आज वर्ल्ड फ़ैमिली डे है।फ़ैमिली!इस शब्द ने आज मुझे चौंका दिया!बहुत दिनों बाद इस शब्द का अर्थ ढूंढने की कोशिश की।बहुत सोचा तो बहुत सारे जवाबों के साथ-साथ बहुत से सवाल भी सामने आने लगे।फ़ैमिली का मतलब क्या सिर्फ़ मियां-बीबी और बच्चे की होता है?अक्सर सुनने मे आता है यार फ़ैमिली बड़ी हो गई है इसलिये शिफ़्ट हो रहा हूं।ये फ़ैमिली बड़ी होना भी समझ मे नही आता?बच्चों का बड़ा होना क्या फ़ैमिली का बड़ा होना होता है?सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्या फ़ैमिली मे माता-पिता,भाई-बहन,बहु-भाभी, भतीजे-भतीजी की कोई जगह नही होती?पता नही फ़ैमिली की आजकल क्या परिभाषा है?हम तीनों भाई,आई(मां),दोनो बहुयें,भतीजी और भतीजा साथ मे रह्ते हैं?मेरे हिसाब से तो ये फ़ैमिली है,हो सकता है कुछ प्रगतिशील लोगों को ये कुछ और लगे और वे किसी न्यूक्लियर फ़ैमिली की भी बात करें ,हो सकता है वे सही हों।मगर मुझे तो अपनी भरी-पुरी फ़ैमिली मे ही मज़ा आता है।कितनी भी बड़ी हो जाये फ़ैमिली हम लोगों मे से कोई शिफ़्ट करने वाला नही है।
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25 comments:
जिसमें दादा-दादी, चाचा-चाची और भाई-भाभी ना हों, मुझे तो वो फैमिली लगती ही नहीं।
प्रणाम
हो सकता है कि आपका कहना सही हो सकता है लेकिन शहरों की समझदार बीवियों के लिए 'केवल' पति व बच्चे ही परिवार होते हैं.
"हम तीनों भाई,आई(मां),दोनो बहुयें,भतीजी और भतीजा साथ मे रह्ते हैं?मेरे हिसाब से तो ये फ़ैमिली है ..."
आप गलतफ़हमी में हैं अनिल जी, ये फेमिली नहीं परिवार है, फेमिली का मतलब तो होता है "फ़ैमिली का मतलब सिर्फ़ मियां-बीबी और बच्चे,बस!"
फैमिली बड़ी हो गयी.....बहुत पते की बात कही है...
बड़ी फैमिली के बड़े फायदे हैं...पर लोग समझें तब ना....अब तो दो जन भी एडजस्ट नहीं कर पाते ..
सोचने लायक बात कही है
bahut kuchh sakaratmak klah diya bhaai ji aapne chhoti si post me....
jai ho.
फ़ैमिली मे माता-पिता,भाई-बहन,बहु-भाभी, भतीजे-भतीजी की जगह तो है .
बस दिलों में जगह की कमी हो गयी है .
भाई अनिल जी
आपको भी फेमिली दिवस की शुभकामनाये.... आपने न्यूक्लियर फ़ैमिली की बात की है तो माइक्रो फेमिली भी होना चाहिए..और इसका शार्ट फ़ार्म एमबीबीएस ...इससे जनाधिक्य पर लगाम तो लगेगी .. बहुत बढ़िया लिखा आपने . याद दिलाने के लिए भी की आज फेमिली दिवस है. आभार
भाई अनिल जी
आपको भी फेमिली दिवस की शुभकामनाये.... आपने न्यूक्लियर फ़ैमिली की बात की है तो माइक्रो फेमिली भी होना चाहिए..और इसका शार्ट फ़ार्म एमबीबीएस ...इससे जनाधिक्य पर लगाम तो लगेगी .. बहुत बढ़िया लिखा आपने . याद दिलाने के लिए भी की आज फेमिली दिवस है. आभार
शुक्र है हमारी फैमिली में अभी नाभिकीय अस्त्र नहीं आये!
Bahut achha likha hai aapne. Ab to sarkar bhi family me kewal pati, patni aur bachhe ko hi manti hai!
हिन्दुओं में तो बच्चा रह गया है, बच्चे नहीं.
न्यूक्लियर फैमली इसी से उभरा है.
सरकारी विज्ञापन भी यही कहते हैं
छोटा परिवार सूखी परिवार
हम दो हमारे दो
इस देश में हर दिन परिवार का होता है , जहाँ यह बचा है .
विदेशों में फुर्सत नहीं तो एक दिन हर बात का मना लिया जाता है लेकिन वो भी कहते हैं पुनर्मिलन . हम तो और आगे निकल गए
अनिल जी जो फ़ेमली डे मनाते है उन के लिये ही यह "फ़ैमिली" बनी है, मैरे आप के लिये तो परिवार ही अच्छा है जिस मै घर के सब से बुजुर्ग को सब से पहले सम्मान दिया जाता है, जिस मै चाचा, ताऊ, बुआ ओर भी बहुत से लोग मिल कर रहते है, जहां बडो की इज्जत ओर पांऒ छु ने की प्रथा को सम्मान की नजर से देखा जाता है, इस लिये हम एक परिवार मै रहते है ओर हमारा परिवार दिन रोजाना मानाया जाता है, फ़ेमिली डे साल मै एक दिन.
धन्यवाद
एक अच्छी खासी भरी पूरी फैमिली है आपकी ...और बड़ी भी हो जाए तो भी हम फैमिली ही मानेगे !
वैसे आप अकेले भी होते तब भी फैमिली ही होते बस ज़रा अलग टाइप की :)
आप ने सही अंतर्विरोध पकड़ा है। पर परिवार का न्यूक्लियर होना ठोस भौतिक परिस्थितियों पर हुआ है। इस युग में लोग अधिकांशतः नौकरियाँ करने निकल जाते हैं। स्वतः ही परिवार न्युक्लियर हो जाता है। मेरे परिवार में विभाजन कभी नहीं हुआ। लेकिन अलग अलग घर बनते चले गए। सब लोग अलग अलग नगरों में रहते हैं। बीस साल पहले चाचा जी कोटा में आए। बीस बरस बाद मैं यहाँ आया। निश्चित रूप से दो अलग घर बनने ही थे। जब न्यूक्लियर परिवार बन ही गए तो फिर उसी के अनुरूप विचारों और व्यवहार में परिवर्तन भी आता चला गया। आप सौभाग्यशाली हैं कि अभी तक संयुक्त परिवार को बचाए रखे हुए हैं।
अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्
jha do pal tharhane par hriday me prasannata ho vahi parivar ya family hai.
man ke bheetar utar gaya aapka aalekh..........
परिवार से फैमिली ............
आज की हकीकत को बयां करती और समाज की दिशा दिखाती ये सामयिक पोस्ट विचारोत्तेजक लगी अनिल जी । आज का सच यही है एक दुखद सच
Beshak.....sahi kaha aapne..
मुझे तो अपनी भरी-पुरी फ़ैमिली मे ही मज़ा आता sahi vichrniy lekh
ghar ki family yaani poora bhara parivaar na ki sirf miya bibi aur bachche...jo apne liye jiye vohsawarth aur parivaar ke liye jiye sachcha jivan.....
हमे पता नही था यह फमिली डे भी होता है वरना हम अपनी फमिली के सिर्फ नाम लिख कर ही चार पोस्ट बना देते ।
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