Tuesday, June 1, 2010
हर कोई स्वागत के लिये तैयार है बरखा रानी के मगर …।
हम जिस बात पर खुश हों ,ज़रुरी नही हर कोई खुश हो जाये!अब बरखा रानी को ही ले लिजिये,किसानो की तो वो जान है!वैसे भी तीन माह की तपा देने वाली गरमी से राहत केवल वही दिला सकती है और इसिलिये उसका सभी बेसब्री से इंतज़ार भी कर रहे हैं।केरल मे तो उसने कदम रख भी दिये है और देश के दूसरे हिस्सों मे भी सब पलके बिछाये बैठे हैं।कंही रेन डांस होगा,तो कंही गरमा-गरम पकौडो की पार्टियां होगी तो कंही दौर चलेंगे पीने-पिलाने के।कोई लांग ड्राईव्ह पर निकलेगा तो कोई घूम-घूम कर देखेगा बरखा को धरती पर हरी चूनर ओढाते हुये।हमारे लिये उसका आना जश्न हो सकता है मगर कुछ लोगो को उसके आने से डर भी लगता हैं।नदी-नाले-तालाबों के किनारे बसी झोपड-पट्टियों के लोग हर साल बाढ का प्रकोप झेलने वाले भी उसके स्वागत की तैयारियों मे जुट गये है मगर उनका तरीका थोडा अलग है।आप खुद ही देख लिजिये।
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21 comments:
यह तैयारी तो करनी ही पड़ती है
घर को टपकन से जो बचाना है
"हम जिस बात पर खुश हों ,ज़रुरी नही हर कोई खुश हो जाये!"
हमारे लिये तो बरसात का आना खुशी की ही बात होती है। जी करता है कि वापस बचपन में चले जायें और पहली बारिश में जानबूझ कर भीगने का आनन्द लें।
बरखा रानी के आने से ज्यादा दुखी वे भी होते हैं जो इन गरीबों को कर्ज देते हैं| जितना कम पानी गिरेगा उतना ही उनका व्यापार बढेगा| उनका बस चलता तो वे केरल में ही मानसून से सौदा करके लौटा देते|
आप आजकल कम दिखते हैं ब्लागजगत में| आपकी कमी खलती है|
आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
आचार्य जी
sahi hi likha hai... kisi ko vrsha suhati hai to kisi ko dar bhi lagta hai.. varsha khoob ho water recharge ho bas baadh n aaye..
हम भी स्वागत को तैयार बैठे हैं, बरखा रानी आए तो! स्वागत की तैयारी नहीं बताएँगे। वह टॉप सीक्रेट है।
तैयारी तो करना ही होती है...तकलीफ बस अति(बाढ़) हो जाने पर होती है.
बरसात के न आने या आने से एक का नुक्सान तो होना तय है --किसान का या कुम्हार का ।
चित्र ने ही सबकुछ कह दिया..
Kya baat hai sir ji......
Kya baat hai sir ji.....
बहुत सही कहा है।
घुघूती बासूती
bhaiya rasta to har koi nihaar raha hai barkha rani ka, swagat ki taiyari bhi har koi apne star par kar hi raha hai, lekin barkha rani aayegi kab...
क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।
आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !
हर चीज़ समय पर अच्छी लगती है...और आग लगने से पहले कुआँ खोद लेने में ही भलाई है...अब ये तैयारी तो करनी ही पड़ेगी
सुनने में तो आया है कि मानसून आ रहा है....
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क्या आप जवान रहना चाहते हैं?
ढ़ाक कहो टेसू कहो या फिर कहो पलाश...
in pareshaniyon ke baavjood barkha rani ka intizar hai
सही कहा, बहुत बड़ा विरोधाभास है.
tapan ke baad barish kise pasand nahi...par aasuon ki barish??
inhe dard pata hai..dawa to karni hi hai..
We need people like u in politics Anil bhai.
मुनीश की बात मानने के बारे में क्या विचार है?
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