एक और छोटी सी पोस्ट बड़ी बात कहती हुई!होना क्या चाहिये और हो क्या रहा है इसको बयान करती है ये पोस्ट्।प्यार दिल मे होना चाहिये ना कि लफ़्ज़ों मे और नाराज़गी लफ़्ज़ों में होनी चाहिये नाकि दिल में।मगर हक़ीक़त मे हो रहा है ठीक इसका उल्टा!नाराज़गी दिल में रहती है और प्यार लफ़्ज़ों में ही सिमट कर रह गया है।मुझे तो ऐसा लगता है।आपको क्या लगता है बताईयेगा ज़रुर!
22 comments:
इसे कहते हैं वैश्वीकरण
सहमत है जी आप से
प्यार दिल मे होना चाहिये ना कि लफ़्ज़ों मे और नाराज़गी लफ़्ज़ों में होनी चाहिये नाकि दिल में..
बिल्कुल यही होना चाहिये मगर सही कहा-हो इसका उल्टा रहा है.
बहुत सही कहा आपने .
गहरी बात सबके लिये।
इसे छोटी पोस्ट कहते हैं आप ! सन्देश सेकंड्स में अंदर तक पंहुचा और क्या चाहिए !
नोट :
ऊपर के लफ्जों वाले प्यार के बाद अब हमारे दिल के अंदर वाली शिकायत भी सुनिए ! बहुत दिनों से अनिल पुसदकर मार्का पोस्ट नहीं पढ़ी हमने ! कहां खो गये हैं आप !
sahi kahaa aapne ,munh me ram ,bagal me chhuri
sahi kahaa aapne ,munh me ram ,bagal me chhuri
"प्यार दिल मे होना चाहिये ना कि लफ़्ज़ों मे और नाराज़गी लफ़्ज़ों में होनी चाहिये नाकि दिल में।"
सौ टके की बात! काश ऐसा हो पाए!!
गागर में सागर जैसा बेहतरीन पोस्ट!!!
अली भाई थोड़ा व्यस्त हूं,फ़्री होते ही लिखूंगा और लिखूंगा ज़रूर्।बस तब तक़ छोटी-छोटी पोस्ट लिखता रहूंगा।
... ye to bahut badee post hai ... aap aadhyaatmik ho rahe hain, shaayad isliye hee yah chhotee lag rahee hai !!!
"हाथ तो खुलकर मिलाते हैं सभी
दिलों में लेकिन फासला है आजकल"
मुझे नहीं पता इन पंक्तियों का रचनाकार कौन हैं, मगर हमेशा सच लगती हैं।
प्रणाम
प्यार दिल मे होना चाहिये ना कि लफ़्ज़ों मे और नाराज़गी लफ़्ज़ों में होनी चाहिये नाकि दिल में।...laakh take ki baat.
ये हो क्या रहा है? :)
सही कहा है । लेकिन अगर प्यार लफ़्ज़ों में भी हो तो सोने पे सुहागा हो सकता है ।
baat to sahi hai Anil bhiya . per is satahi pyar ka jimmewar kaun hai?... ye sohna bi jaruri hai..
क्या होगया भतिजे? अपन निर्मल तो जग निर्मल. कुछ लोगों की फ़ितरत ही ऐसी होती है. वो नही सुधरेंगे.
रामराम.
खून के रिश्तों के बीच (टी वी पीढ़ी के पहले) का बेमानी जुमला कहां और कब जरूरी होता है, आइये एक बार याद कर लें.
जुमलाः 'आई लव यू'
छोटी पोस्ट .......मगर बहुत बडी बात कह दी आपने अनिल भाई
उम्दा लेख..आपके विचारों से सहमत हूँ.....
सही कहा आपने,
आभार...
बह्त कन्फ़्यूज़िन्ग है भाई
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