Tuesday, August 10, 2010

प्यार दिल में होना चाहिये ना कि ……………!

एक और छोटी सी पोस्ट बड़ी बात कहती हुई!होना क्या चाहिये और हो क्या रहा है इसको बयान करती है ये पोस्ट्।प्यार दिल मे होना चाहिये ना कि लफ़्ज़ों मे और नाराज़गी लफ़्ज़ों में होनी चाहिये नाकि दिल में।मगर हक़ीक़त मे हो रहा है ठीक इसका उल्टा!नाराज़गी दिल में रहती है और प्यार लफ़्ज़ों में ही सिमट कर रह गया है।मुझे तो ऐसा लगता है।आपको क्या लगता है बताईयेगा ज़रुर!

22 comments:

डॉ महेश सिन्हा said...

इसे कहते हैं वैश्वीकरण

राज भाटिय़ा said...

सहमत है जी आप से

Udan Tashtari said...

प्यार दिल मे होना चाहिये ना कि लफ़्ज़ों मे और नाराज़गी लफ़्ज़ों में होनी चाहिये नाकि दिल में..


बिल्कुल यही होना चाहिये मगर सही कहा-हो इसका उल्टा रहा है.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

बहुत सही कहा आपने .

प्रवीण पाण्डेय said...

गहरी बात सबके लिये।

उम्मतें said...

इसे छोटी पोस्ट कहते हैं आप ! सन्देश सेकंड्स में अंदर तक पंहुचा और क्या चाहिए !




नोट :
ऊपर के लफ्जों वाले प्यार के बाद अब हमारे दिल के अंदर वाली शिकायत भी सुनिए ! बहुत दिनों से अनिल पुसदकर मार्का पोस्ट नहीं पढ़ी हमने ! कहां खो गये हैं आप !

K.P.Chauhan said...

sahi kahaa aapne ,munh me ram ,bagal me chhuri

K.P.Chauhan said...

sahi kahaa aapne ,munh me ram ,bagal me chhuri

Unknown said...

"प्यार दिल मे होना चाहिये ना कि लफ़्ज़ों मे और नाराज़गी लफ़्ज़ों में होनी चाहिये नाकि दिल में।"

सौ टके की बात! काश ऐसा हो पाए!!

गागर में सागर जैसा बेहतरीन पोस्ट!!!

Anil Pusadkar said...

अली भाई थोड़ा व्यस्त हूं,फ़्री होते ही लिखूंगा और लिखूंगा ज़रूर्।बस तब तक़ छोटी-छोटी पोस्ट लिखता रहूंगा।

कडुवासच said...

... ye to bahut badee post hai ... aap aadhyaatmik ho rahe hain, shaayad isliye hee yah chhotee lag rahee hai !!!

अन्तर सोहिल said...

"हाथ तो खुलकर मिलाते हैं सभी
दिलों में लेकिन फासला है आजकल"


मुझे नहीं पता इन पंक्तियों का रचनाकार कौन हैं, मगर हमेशा सच लगती हैं।

प्रणाम

arvind said...

प्यार दिल मे होना चाहिये ना कि लफ़्ज़ों मे और नाराज़गी लफ़्ज़ों में होनी चाहिये नाकि दिल में।...laakh take ki baat.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

ये हो क्या रहा है? :)

डॉ टी एस दराल said...

सही कहा है । लेकिन अगर प्यार लफ़्ज़ों में भी हो तो सोने पे सुहागा हो सकता है ।

Aanurag Agrawal said...

baat to sahi hai Anil bhiya . per is satahi pyar ka jimmewar kaun hai?... ye sohna bi jaruri hai..

ताऊ रामपुरिया said...

क्या होगया भतिजे? अपन निर्मल तो जग निर्मल. कुछ लोगों की फ़ितरत ही ऐसी होती है. वो नही सुधरेंगे.

रामराम.

Rahul Singh said...

खून के रिश्‍तों के बीच (टी वी पीढ़ी के पहले) का बेमानी जुमला कहां और कब जरूरी होता है, आइये एक बार याद कर लें.
जुमलाः 'आई लव यू'

अजय कुमार झा said...

छोटी पोस्ट .......मगर बहुत बडी बात कह दी आपने अनिल भाई

समयचक्र said...

उम्दा लेख..आपके विचारों से सहमत हूँ.....

SATYA said...

सही कहा आपने,
आभार...

शरद कोकास said...

बह्त कन्फ़्यूज़िन्ग है भाई