Sunday, August 22, 2010

पिपली लाइव के हिरो नत्था का सम्मान करना सबसे बड़ा सम्मान है!

पिप्ली लाईव का हिरो नत्था।द रियल हिरो आफ़ सिल्वर स्क्रीन।नत्था यानी ओम्कार दास माणिकपुरी आज चर्चा का केन्द्र है।उसने अभिनय के झण्डे गाड़ दिये हैं।स्वाभाविक अभिनय क्या होता है दुनिया को बता दिया है नत्था ने।नत्था फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद छत्तीसगढ के प्रवास पर आया है।उसे सबसे पहले सम्मानित किया दैनिक अख़बार नेशनल लुक ने।नेशनल लुक के समारोह मे प्रदेश के मुख्यमंत्री डा रमन सिंह,विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक समेत मंत्रियों,महापौर ने गणमान्य नागरिको की उपस्थिति मे सम्मानित किया।मुख्यमंत्री रमन सिंह ने तो नत्था को एक लाख रू और नेशनल लुक के प्रधान संपादक राजेश शर्मा ने पचास हज़ार रूपये की सम्मान राशि भी दी।उसके बाद प्रेस क्लब मे मैंने भी अपने साथियों के साथ नत्था को सम्मनित किया।सच मानिये नत्था को सम्मानित करते समय मुझे ऐसा लगा कि मेरा सम्मान हो रहा है।
फ़िल्म के सुपर_डुपर हिट होने के बाद भी नत्था मे कोई बदलाव नही आया है।वो वही भोला-भाला छत्तीसगढिया है।सादगी की मूरत नत्था बात-बात पर आमीर खान के साथ-साथ हबीब तनवीर का शुक्रिया अदा करता हैं।हबीब तनवीर के नया थियेटर की देन नत्था अभी भी कहता है कि थियेटर नही छोडूंगा।उसे फ़िल्म और थियेटर मे बहुत ज्यादा अंतर नज़र नही आता।वो बेहद सादगी से बताता है कि दोनो मे ही डायलाग याद करने पड़ते हैं।थियेटर को कला पक्ष मे और फ़िल्मों को  तकनीकी पक्ष मे ज्यादा मज़बूत मानता है  नत्था।वैसे हर कलाकार कि तरह उसका भी यही कहना है फ़िल्मो मे रिटेक होता है और थियेटर मे रिटेक की कोई जगह नही होती।
नत्था का यंहा तक़ का सफ़र संघर्षपूर्ण रहा है।गरीबी से तो शायद उसकी जन्म-जन्म की रिश्तेदारी है।आज ग्लैमर की दुनिया की चकाचौंध के बीच भी उसे अपने जीवन की अनिश्चितता का भय सताता है।उसका कहाना है थिएटर से इतने पैसे नही मिलते की आराम की ज़िंदगी गुज़ार सके।हिंदी सिनेमा मे अचानक़ धूमकेतू की तरह चमके नत्था को फ़िलहाल तो लटके-झटको ने नही जकड़ा है और वो कहता भी है कि मैं वही सीधा-सादा,भोला-भाला छत्तीसगढिया हूं,चाहे मुझे ओंकार कहिये या फ़िर नत्था।

23 comments:

شہروز said...

नत्था का सम्मान हम सब का सम्मान है! जय छत्तीसगढ़!
क्या बात है!! बहुत खूब!!

माओवादी ममता पर तीखा बखान ज़रूर पढ़ें:
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html

उम्मतें said...

अच्छी रिपोर्ट !

प्रवीण पाण्डेय said...

ओंकार जी के बारे में पढ़कर बड़ा ही अच्छा लगा।

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर! बधाई नत्था को! शुक्रिया आपका!

अजित गुप्ता का कोना said...

पीपली लाइव तो देखी नहीं है लेकिन आपने एक मंचीय कलाकार का सम्‍मान किया इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।

Yashwant Mehta "Yash" said...

ओंकारदास माणिकपुरी को पिपली लाइव की सफलता पर हार्दिक बधाई!!!

नीरज मुसाफ़िर said...

देखी नहीं है अभी तक, अब देखनी पडेगी।

दीपक 'मशाल' said...

बहुत खुशी हुई ये सब देख के भैया.. आभार..

soni garg goyal said...

चलो अच्छा है लेकिन इस सम्मान के बाद अब नत्था "लाल बहादुर" का क्या करेगा ?? शायद अब वो उसे बुधिया को ही दे देगा !

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लगा नत्था के बारे पढ कर, अभी हम ने फ़िल्म तो नही देखी जल्द ही देखे गे.
धन्यवाद

डॉ महेश सिन्हा said...

इसपर भी नजर डालें
http://aarambha.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

अच्छी पोस्ट भईया. नत्था अभिनय की नई ऊँचाइयों को छूते रहें. शुभकामनाएं.

Unknown said...

भाऊ साहेब… आपके प्रेस क्लब में तो बहुत मजा आता होगा… आना पड़ेगा कभी उधर… :)

Smart Indian said...

एक सफल फिल्म में काम करने का कुछ तो लाभ हुआ!

Arvind Mishra said...

नत्था का असली सम्मान पीपली लाईव में उसके अभिनय को देखना है -अगर न देखा हो तो जाकर देख आईये : ) कितने मजे की बात है की जिस पीपली लाईव ने जिस मीडिया की कुल कुल फजीहत कर डाली अब वही नत्था के लिए फूल माला लिए खड़ी है ,पहले ५० हजार रूपये नहीं दिए गए -अब पेशकश हो रही है .यह हमारा राष्ट्रीय चरित्र है -मगर ओमकार एलियास नत्था की सहज मुस्कान इन सब नौटंकियों की पोल खोल रही है ...
पीपली लाईव से भी मीडिया ने सबक नहीं लिया लगता है :)

स्वप्न मञ्जूषा said...

बहुत खुशी हुई ये सब देख के..

36solutions said...

ओंकार को बहुत बहुत बधाई.

Rahul Singh said...

यह सिलसिला, सम्‍मान का ही नहीं, छत्‍तीसगढ़ की प्रतिभाओं का धूमकेतू की तरह छा जाने का भी, बना रहे.

समय चक्र said...

नत्था तो मंचीय कला के नाते वैसे ही सम्मान का हकदार है ...कलाकार नत्था को सम्मानित करने के लिए आपको बधाई..

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

भला हो आमिर खान का...वर्ना हमारे देश ने तो हबीब तनवीर तक को ही उनका हिस्सा ठीक से नहीं दिया, नया थियेटर के कलाकारों की तो कोई क्या कहे.

Anonymous said...

जय जय छत्तीसगढ.

Vishal said...

मनिकपुरीजी के कारण छत्तीसगढ़ के कलाकारों को नयी पहचान मिली है, जय छत्तीसगढ़

शरद कोकास said...

नत्था को आगे भी फिल्मे मिलती रहे और उसे भुला न दिया जये इस बरे मे भी कुछ सोचना होगा हम सभी को ।