Monday, September 6, 2010
सरकारी आइटम बिल्कुल नही चलेगा सिवाय सरकारी नौकरी के!
सरकार को गाली देना बहुत आसान है,बहुत क्या सबसे आसान है.कुछ भी होता है मुँह खोलो और सरकार पर गँदे-गँदे गालियोँ के गोले बरसा दो.सड्क से लेकर रेल और हवाई जहाज और नाली से लेकर नल,दवा से लेकर दारु और दारु से लेकर अनाज ,चाहे कोई भी मामला हो सरकार को गाली देना ज़रुरी है.अपराध से लेकर बेरोज़गारी सबके लिये सरकार ज़िम्मेदार है और आप?हमे तो बस सरकारी नौकरी चाहिये!सरकारी अस्पताल मे इलाज कराना नही,सरकारी स्कूल मे बच्चोँ को पढाना नही,सरकारी राशन खाना नही,सरकारी बस मे चढना नही.बस नौकरी चाहिये सरकारी.वाह रे पब्लिक.
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16 comments:
आज ऐसा नहीं है लोगों को दोनों वक्त दाल रोटी मिले इसकी चिंता ज्यादा है ,क्योकि शरद पवार जैसा राक्षस सरकार में बैठा है ...
सरकारी बस में तो बैठना है हमें ।
सरकारी स्कूल, सरकारी अस्पताल.....आदि को देख कर बात समझ में आती है क्यों सरकारी नौकरी चाहिए :)
हा हा हा, बढि़या व्यंग्य. पर मन की आकांक्षा के बावजूद हम ये लड्डू खा नहीं पाये.
हरामखोरी का लाइसेंस जो मिल जाएगा.
क्या कहा जाये...
जिस चीज में आराम और अपना फायदा दिखेंगे वही लेंगे ना भैया... कैसी बात करते हैं आप भी.. :P
हरामखोरी का लाइसेंस जो मिल जाएगा.
सटीक मुद्दा उठाया आपने ...
सरकारी नौकरी करो.. खूब पैसे मारो जनता के और अपने लिए अन्तराष्ट्रीय कार.. अन्तराष्ट्रीय विद्यालय और अन्तराष्ट्रीय उत्पाद खरीदो...
यही चलन है भैया.. क्या कर सकता है कोई..
kya lapeta hai boss, ekdam dhaansu... khushkittai, hamein sarkari tab hi accha lagta hai jab vo naukari ko vo bhi khud ki, baki koi bhi sarkari pasand nahi.... kya aaina dikhane wali baat.
ekdam jabardast.
बहुत पते की बात कही बोस !
जियो !
वाह....क्या बात है............
गम्भीर विषय
सरकारी स्कूल, सरकारी अस्पताल की हालत सब जानते हैं. सरकारी स्कूल मैं बच्चा गया तोह उस पढाई गयी और सरकारी अस्पताल मैं गया तो दुनिया से गया. और भाई जब इस जगहों मैं कोई नौकरी मिलेगी तोह काम कहां होगा. बग़ैर काम किये, अच्छा पैसा (पगार) किसको बुरी लगती गई?
गोया सरकार न हुई गरीब की लुगाई हो गई ... हाहाहा
सही कह रहे हैं !
अच्छा लेख
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