Sunday, January 16, 2011

जो खराब है उसे दिखाते ही काहे को हो?

सालों से एक बात मेरी समझ में नही आई है कि जो चीज़ खराब है उसे दिखाते ही क्यों है?या यों कहिये जो चीज़ खराब है उसे बेचते ही क्यों हैं?शराब और सिगरेट को खतरे की चेतावनी के साथ बेचने की अनुमती देने वाले, सभ्यता और संस्कृति की कोरी बकवास करने वाले, इस देश में अब और भी बहुत कुछ बेचने की अनुमती दी जा रही है।शर्त केवल इतनी सी है कि कंही पर भी ऐसी जगह,किसी को नज़र ना सके इतने छोटे अक्षरों में उससे बचने की चेतावनी लिख दो।बस इतना ही काफ़ी है इस देश मे कि किसी भी चीज़ को खतरनाक बता दो और फ़िर उसे खुले आम मौत का सामान बना कर बेचो।व्यापार का इससे घिनौना रूप कंही और देखने को नहीं मिलेगा।जी हां मैं सच कह रहा हूं।गर्भ निरोधक गोलियों के आपत्तिजनक विज्ञापनों से लेकर सेक्स वर्द्धक दवाओं और तेलों के विज्ञापन के साथ-साथ अब कार के विज्ञापन भी ऐसे दिखाये जा रहें कि उस प बारीक अक्षरों मे उसे नही करने या दोहराने की मनाही की चेतावनी भी लिखना पड़ रहा है।मेरा ये मानना है कि जब आपको पता कि है उस विज्ञापन में दिखाई गई करतबगिरी को दोहराना खतरनाक हो सकता है तो आप उसे जनमानस के बीच परोस ही क्यों रहे हो?ये सब किसी हल्के-फ़ुल्के व्यापारी की हरक़त नही है बल्कि देश के नामी-गिरामी औद्योगिक घराने टाटा की कंपनी का करनामा है।टाटा की विस्टा कार का विज्ञापन देख अक्र ये ज़रूर लगा कि नुकसान से बचने और अपना उत्पादन बेचने के लिये इस देश में ऊंची से ऊंची बातें करने वाला जितना चाहे नीचे गिर सकता है।कार का विज्ञापन अनाप-शनाप स्टंट और अंत मे कार धोने के कपड़े उतारने वाली लड़कियां? पता नही क्या बेचना चाह्ते हैं ये लोग?शायद अपनी संस्कृति भी बेचने पर उतर आये हैं,मुझे तो ऐसा ही लगता है।आपको क्या लगता है बताईयेगा ज़रूर।tata

10 comments:

Pratik Maheshwari said...

हम तो एक बात जान गए हैं भाईजी,
"जो दिखाता है, वही बिक पाता है"
बस यही माया चल रही है और खूब चल रही है.. अफ़सोस पर सच!

केवल राम said...

आप बिलकुल सही कह रहे हैं ....चेहरों पर चेहरा हो तो ऐसा ही होता है ....आपकी पोस्ट सरहनीय है ...शुक्रिया

एस एम् मासूम said...

सरकार को अच्छी आमदनी होती है, जनता मरे तो मरे

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

उपभोक्ता को खरीदने को प्रेरित करने के लिये कुछ भी किया जा सकता है..

दिनेशराय द्विवेदी said...

यहाँ, डिसक्लेमर के साथ कुछ भी दिखाने की छूट है। देश की व्यवस्था का केंद्र ही लालच और मुनाफा है। लोगों और जनता की किस को पड़ी है।

प्रवीण पाण्डेय said...

यहाँ तो खराब दिखा कर भी कमा लेते हैं।

अजित गुप्ता का कोना said...

संस्‍कृति की बात तो इस देश में करनी ही नहीं चाहिए।

PN Subramanian said...

द्विवेदी जी का मैं समर्थन करता हूँ.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

आपसे सहमत हूं... सरकार सिगरेट दारू तो बेच ही रही है.. काहे नहीं चकले भी खोल लेती, टैक्स से कुछ कमाई और हो जाएगी... हमारे पास परमाणु बंब है, उसे भी गली मोहल्लों में बेचने और निर्यात करने का धंधा भी allow कर देना चाहिये, सरकार की टैक्स आमदनी बढ़ जाएगी, GDP भी बढ़ेगा और तो और पाकिस्तान की तरह विदेशी मुद्रा कमाने का भी भरपूर मौक़ा मिलेगा.....

G.N.SHAW said...

sabase bada rupai...chod desh aur bhaiya..isiliye......sab kuchh ho raha hai.
आप-बीती-०५ .रमता योगी-बहता पानी