केन्द्र सरकार ने एक बहुत ही वाहियात प्रस्ताव राज्यों के पास भेजा था,जिसे उसे तत्काल वापस लेना पड़ गया।केन्द्र सरकार ने बच्चों के लिये सेक्स की कानूनन न्यूनतम उम्र को घटाकर मात्र 12 साल करने का प्रस्ताव बनाकर राज्यों को भेज दिया था।ये उम्र दुनिया में सबसे कम न्यूनतम उम्र 13 साल से भी कम है जो स्पेन मे लागू है।अमेरिका और ब्रिटेन में भी ये 16 से 18 साल के बीच है मगर पता नही भारत मे किस नेता या अफ़सर के बच्चों को सेक्स की जल्दी मची हुई है जो ऐसा घिनौना प्रस्ताव तैयार करके राज्यों को भेज दिया गया।
अफ़सोस की बात तो ये है कि सड़ी-सड़ी बातों के लिये हंगामा कर देने वाले सभी राजनैतिक दल खामोश बैठे है।ऐसा घटिया प्रस्ताव बनाने वाले के खिलाफ़ तो जांच कर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिये।सिर्फ़ ज़ल्दी बड़े होने के नाम पर बच्चों को सेक्सूयल रिलेशनशीप के लिये इतनी कम उम्र में ही अनुमति दे देना इस देश के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक अपराध है।कहने को ये ज़रूर कहा गया है कि 12 साल की उम्र मे सेक्स के दौरान इंटरकोर्स की अनुमति नही होगी या बिना इंटरकोर्स के वे अपनी उम्र के बच्चों के साथ सेक्स कर सकेंगे।पता नही कौन सा विद्वान अफ़सर य नेता था जो सेक्सूअल संबंधो के बीच इतनी बारीक लकीर खींच कर दिखा रहा है।
दरअसल पूरा मामला है प्रोटेक्शन आफ़ चिल्ड्रन फ़्राम सेक्सुअल आफ़ेंस बिल 2010 के एक प्रस्ताव का जिसके मुताबिक बिना इंटरकोर्स किये 12 साल के बच्चों को अपनी उम्र के बच्चों के साथ यौन संबंध बनाने की कानूनन अनुमति होगी। फ़िलहाल ये उम्र 16 साल निर्धारित है।अब बताईये भला कम उम्र बच्चों को सेक्सुअल आफ़ेंस से प्रोटेकशन के लिये ये प्रस्ताव है या सेक्सुअल आफ़ेंस को कानूनी अनुमति देने की साजिश।अब आप ही बताईये कि ये प्रस्ताव घटिया है या नही?
16 comments:
आपके पास पूरानी खबर है। ये ताजा खबर देखीये ।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7406850.cms
अनिल जी बहुत सही लिखा आपने मैंने आज ही सुबह अख़बार में पढ़ा तो इस तरह के कानून बनाने वाले और पूरी यु.पी.ए. सरकार को कोस रहा था ! मानसिक दिवालिये पन की सारी हदे पार कर दी है इन निक्कमे राजनेताओ ने
jis prakaar sae aaj kal bachcho kae saath sexaul harasment sodomisation ho rahaa haen agar yae prastaav paas ho jaataa haen to kisi par bhi shoshan kaa aarop nahin lag saktaa
afasos....
न जाने क्या होगा तब बचपन का।
अच्छा हुआ कि कुछ सयानों ने इसे रोक दिया वर्ना पाश्चात्य नकल में भारत की संस्कृति और सभ्यता को खाक में मिलाने पर तत्पर हैं ये नकलची॥:(
इस बिल से यह प्रतीत होता है कि कितनी घटिया सोच के लोग कानून निर्मात्री संस्थाओं में बैठे हैं। इन्हे जूते मार कर हटाना चाहिए।
अनिल जी ये पगलाए व बिके हुए लोगों की जमात है. जूता चाहते हैं ये ....बस्स्स.
आशीष जी की टिप्पणी के हवाले से नवभारत टाइम्स की खबर पढ़ी, लगा कि वास्तविक तथ्य ठीक से नहीं आने के कारण ऐसा हुआ है. ऐसे मुद्दों पर कई बार बातों के ठीक खुलासे के बिना भी चर्चा जल्दी गरम हो जाती है.
मानसिक विकृति का इससे बड़ा उदहारण और क्या हो सकता है ..
शर्मनाक !
पूरी तरह से घृणित एवं शर्मनाक ! ऐसी भ्रष्ट मानसिकता वाले नेताओं से तुरंत इस्तीका ले लेना चाहिए और उन्हें समाज के प्रति आपराधिक षड्यंत्र करने के अपराध में जेल में डाल देना चाहिए ! यदि ऐसा कुछ हुआ तो जनता सडकों पर उतर आयेगी और व्यापक आंदोलन छिड़ जायेगा !
बेशक उपरोक्त मुद्दा हर लिहाज से गलत है. मेडिकल , सोशल, मनोवैज्ञानिक और नैतिक नजरिए से भी अमल करने योग्य नहीं है.ऐसे किसी भीकानून को लाने से , बाल व्यभिचार, सोडोमी, , बाल विवाह तक बढ़ सकते है. इसका गलत फायदा बच्चो का यौन शोषण करने वाले कुंठित वयस्क भी ले सकते है. बजाय इसके आज के दौर में यौन शिक्षा पर गंभीरता से व्यापक बहस छेडी जानी चाहिए. परम्परावादी समाज को नाक- मुह सिकोड़ना बंद करना होगा.
बच्चों के एक्स्प्लोरैटरी व्यवहार को सेक्स का दर्जा -किस गधे के दिमाग की उपज है यह ?
विकसित होते इंडिया (भारत) के बच्चों की आजादी का नया सूत्र और कमातुरों के लिए भी आजादी. इससे देश में बचपन का अंत हो जायेगा, देश में युवा शक्ति बढ़ जायेगी. जय हो.
इसके साथ ही वे लोग जो अभी डर-डर कर बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनायेंगे वे खुले आम ऐसा कर पाएंगे.
हालाँकि अभी ऐसा नहीं हो सका पर समलैंगिकता की तरह लम्बी लड़ाई के बाद कहीं कोई इसे जीत गया तो................
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
हद हो गई यह तो....
Sarkar Sethiya gaya hai
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